अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के उपलक्ष्य में विशेष व्याख्यान का आयोजन
अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के उपलक्ष्य में विशेष व्याख्यान का आयोजन
जे टी न्यूज, मुजफ्फरपुर:

ललित नारायण तिरहुत महाविद्यालय, मुजफ्फरपुर के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस (10 दिसंबर) की पूर्व संध्या पर एकदिवसीय विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. ममता रानी ने की।
प्राचार्या डॉ. ममता रानी ने कहा कि मानवाधिकारों का संरक्षण कर्तव्यों के पालन से ही संभव है, और समाज में प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्तर से सकारात्मक परिवर्तन आरंभ करना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि अधिकार और जिम्मेदारी—दोनों मिलकर ही एक सशक्त और संवेदनशील समाज का निर्माण करते हैं।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता, श्री कोटा किरण कुमार, सीटी–एसपी, मुजफ्फरपुर, ने मानवाधिकारों की सामाजिक और प्रशासनिक प्रासंगिकता को विस्तृत रूप में प्रस्तुत किया।
उन्होंने पुलिस–जनसंख्या अनुपात की चुनौती पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह असंतुलन कानून-व्यवस्था पर अतिरिक्त दबाव उत्पन्न करता है, अतः समाज में कानूनी जागरूकता और नागरिक उत्तरदायित्व अत्यंत आवश्यक हैं।
अपने विचारों में उन्होंने यह भी महत्वपूर्ण रूप से कहा कि—
“अधिकारों का पालन करना जनता का कार्य है और उनके पालन को सुनिश्चित करना प्रशासन का कार्य।
जब तक दोनों के बीच संतुलन स्थापित नहीं होगा, तब तक मानवाधिकारों का पूर्ण संरक्षण संभव नहीं है।”
उन्होंने आगे समझाया कि एक सभ्य समाज का आधार परस्पर सम्मान, संवेदना और गरिमा है।
गांधीजी के विचारों को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि—
“बदलाव हमेशा व्यक्ति के भीतर से आरंभ होता है; समाज तभी रूपांतरित होता है जब व्यक्ति अपने आचरण में सुधार लाता है।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि लोकतांत्रिक व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए
गन कल्चर का उन्मूलन,
सार्वजनिक संस्थाओं का दुरुपयोग न होना,
तथा कानून के प्रति जन-जागरूकता
बहुत आवश्यक है।
राजनीति विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. कांतेश कुमार ने संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों और उनके संरक्षण संबंधी प्रावधानों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि जीवन, समानता, स्वतंत्रता और गरिमा मानवाधिकारों की आधारशिला हैं।
उन्होंने समाज में जेंडर समानता, समान अधिकारों और मानवीय दृष्टिकोण को समय की अनिवार्यता बताया।
कार्यक्रम की संयोजक डॉ. अर्चना सिंह ने प्रभावी और व्यवस्थित मंच संचालन किया,
जबकि सह-संयोजक डॉ. शशि कुमारी ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर महाविद्यालय परिवार के सभी शिक्षकगण, कर्मचारीगण तथा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।
कार्यक्रम सौहार्दपूर्ण वातावरण में, शैक्षणिक गरिमा और अनुशासन के साथ सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

