गिलगित-बाल्टिस्तान पर घर में भी घिर गए इमरान खान

इस्लामाबाद | अवैध रूप से कब्जाए गए गिलगित-बाल्टिस्तान को प्रांत का दर्जा देने के बाद चुनाव कराने की घोषणा पर इमरान खान की सरकार घर में ही घिर गई है। सैन्य माध्यम से कब्जा किए गए क्षेत्र में चुनाव को लेकर नेशनल असेंबली स्पीकर असद कैसर की ओर से सोमवार को बुलाई गई बैठक का विपक्षी दलों ने बहिष्कार करने का ऐलान किया है। यह पाकिस्तान की इमरान खान सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। भारत भी पाक के इस कदम पर आपत्ति जाहिर कर चुका है। डॉन की एक खबर के मुताबिक, मीटिंग के बहिष्कार का ऐलान पाकिस्तान पीपल्स पार्टी चेयरमैन बिलावल भुट्टो जरदारी ने किया। खबर है कि इससे पहले जमायत उलेमा-ई-इस्लाम चीफ मौलाना फजलुर रहमान ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से चर्चा के बाद हाल ही में बने विपक्षी गठबंधन ने यह फैसला लिया। भुट्टो-जरदारी ने ट्वीट किया, ”नेशनल असेंबली के स्पीकर और केंद्रीय मंत्रियों का गिलगित बाल्टिस्तान में चुनाव से कोई लेना देना नहीं है। हम चुनाव में केंद्रीय सरकार के दखल की निंदा करते हैं। मेरी पार्टी केवल चुनाव आयोग से बात करेगी और निष्पक्ष चुनाव की मांग करेगी।” पिछले सप्ताह पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ आरिफ अल्वी ने घोषणा की कि गिलगित बाल्टिस्तान में 15 नवंबर को चुनाव कराए जाएंगे।” यूरोपीय फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज के मुताबिक पाकिस्तान ने गिलगिलत बाल्टिस्तान को प्रांत का दर्जा देने के साथ यहां चुनाव कराने का फैसला भारत की ओर जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने के जवाब में किया है।  गिलगित बाल्टिस्तान को लेकर पाकिस्तान के फैसले पर भारत ने कड़ी आपत्ति जाहिर करते हुए कहा कि सैना द्वारा कब्जाए गए कथित गिलगित-बाल्टिस्तान के दर्जे में बदलाव को लेकर पाकिस्तान की ओर से उठाए जाने वाले किसी कदम का कानूनी आधार नहीं होगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवस्ताव ने कहा कि हमारी स्थिति हमेशा स्पष्ट रही है, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का संपूर्ण भाग भारत का अभिन्न हिस्सा है और हमेशा रहेगा। पाकिस्तान को भारत के आंतरिक मामलों में दखल का कोई अधिकार नहीं है।

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