*रेलों का उद्घाटन करने वाले सबसे बड़ी रेल दुर्घटना बालासोर की जिम्मेदारी लेकर प्रधानमंत्री इस्तीफा दें*

रेलों का उद्घाटन करने वाले सबसे बड़ी रेल दुर्घटना बालासोर की जिम्मेदारी लेकर प्रधानमंत्री इस्तीफा दें -चेन्नई , प्रभुराज नारायण राव


बालासोर रेल दुर्घटना में भारी भारी जान माल की नुकसान पूरे देश की जनता के मस्तिष्क को झकझोर दिया है । इस दुर्घटना में प्राप्त सूचना के अनुसार 400 से ज्यादा लोगों की मृत्यु तथा एक हजार से ज्यादा लोग हताहत हुए हैं । जिसमें बड़ी संख्या में गंभीर रूप से घायल भी शामिल है । सैकड़ों की संख्या में लोग लापता हैं । यह घटना न केवल देश की जनता को झकझोर दिया है । बल्कि दुर्घटना में मरने वाले के परिवार और उनके रिश्तेदार की बेचैनी को हम समझ सकते हैं l


यह दुर्घटना आजादी मिलने के बाद इतने बड़े पैमाने पर हुई पहली दुर्घटना है । जिसमें इतनी बड़ी संख्या में जान-माल की क्षति हुई है । मैं आक्रोश में कहना चाहता हूं कि आज देश के रेल मंत्री कोई की कोई अहमियत नहीं रह गई है । पूरा देश देख रहा है कि जिन ट्रेनों का उद्घाटन , सड़कों का उद्घाटन , हवाई जहाज का उद्घाटन पहले संबंधित मंत्री किया करते थे । आज की बदली हुई शासन व्यवस्था में फासीवादी तानाशाही के प्रतीक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए जाते रहे हैं । सारे विभाग के अंदर हो रही विकास की उपलब्धियां प्रधानमंत्री ले रहे हैं या लेना चाह रहे हैं । उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि 2014 के बाद पिछले 9 साल में आजादी के बाद देश की विकास का 75% हिस्सा 9 साल में हुआ है । उन्होंने तो विदेश में जाकर यह कहा था कि मेरा दुर्भाग्य है कि मैं भारत जैसे देश में पैदा हुआ हूं । तो फिर विकास का सारा श्रेय लेने वाले प्रधानमंत्री को विनाश का श्रेय लेने में क्यों हिचकिचाहट है । क्या उन्हें अविलंब इस विनाशकारी दुर्घटना की जिम्मेदारी पूर्ण रूप से स्वयं को लेकर इस्तीफा नहीं दे देना चाहिए । लेकिन ऐसा देश के प्रधानमंत्री नहीं करेंगे ।क्योंकि यह लाल बहादुर शास्त्री या माधव राव सिंधिया जैसे रेल मंत्रियों की परंपरा का निर्वहन नहीं करेंगे । उपलब्धी का सारा श्रेय लेंगे और नुकसान का सारा श्रेय संबंधित विभाग के कर्मियों को दे देंगे ।


वंदे भारत रेल का उद्घाटन का सिलसिला आज देश में चल रहा है और सभी वंदे भारत ट्रेन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं रहे हैं । वे देश के विकास का सारा श्रेय अपने ले रहे हैं । सही मायने में केंद्रीय मंत्रिमंडल या मंत्री गणों की निर्बलता इसके पहले किसी भी प्रधानमंत्री के कार्यकाल में नहीं देखा गया

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