ख्वाहिशों का कत्ल

ख्वाहिशों का कत्ल


जे टी न्यूज़
कर दिया उसने
और मैं ख्वाबों को
सजाती रही।
रौंद कर चला गया वो
और मैं उम्मीदों की
चादर बुनती रही।
मग्न था अपनी ही
दुनियां में वो
और मैं झूठी दुनियां
उसके संग बसाती रही।
बातों ही बात में
बहुत कुछ
कह दिया उसने
और मैं उसके हर बात को
सच समझती रही।
माना की हर एहसास से
जुड़ा था वो
और मैं हर पल
उसे महसूस करती रही ।
जानती थी के मेरे
तकदीर में नहीं था वो
और मैं उसे ही
अपने हाथों की
लकीर मानती रही।
सच है ना
जिसके हकदार था
उसे ही मिला वो
और मैं खुद को
उनमें ही देखती रही ।

मंजु कुमारी मधेपुरा बिहार

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