शिक्षकों को पांच महीने बाद भी नहीं मिला मूल्यांकन पारिश्रमिक

एलएनएमयू में 20 करोड़ की हेराफेरी, शिक्षा विभाग नहीं दे रहा जांच की अनुमति

शिक्षकों को पांच महीने बाद भी नहीं मिला मूल्यांकन पारिश्रमिक

एलएनएमयू में 20 करोड़ की हेराफेरी, शिक्षा विभाग नहीं दे रहा जांच की अनुमति

जेटी न्यूज (प्रो अरुण कुमार)

मधुबनी।ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में कापियों के मूल्यांकन के पांच महीने बाद भी परीक्षकों के पारिश्रमिक का भुगतान नहीं किया गया है, इससे कालेज शिक्षकों में भारी रोष है।बीए पार्ट प्रथम परीक्षा 2023 की कापियों का मूल्यांकन वर्ष 2023 सितंबर, अक्टूबर महीने आयोजित किया गया था। लेकिन अबतक मूल्यांकन कार्य में लगाए गए शिक्षकों का भुगतान नहीं किया गया है। अभी हाल में ही सेमेस्टर प्रथम की कापियों का मूल्यांकन भी करा लिया गया। इसके बाद भी पारिश्रमिक का भुगतान नहीं किया जा रहा है। जबकि परीक्षा नियंत्रक ने कहा था कि पिछला भुगतान होली से पहले कर दिया जाएगा।


दरअसल भुगतान नहीं होने का कारण ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग ने प्रश्न पत्रों की छपाई में हुए टेंडर , वेंडरों के भुगतान में की गई भारी अनियमितता और गड़बड़ी से जुड़ा हुआ है। मामला वर्ष 2020-21 का है। इसमें प्रश्न पत्र बुकलेट,मार्क्ससीट, ओएमआर, उत्तर पुस्तिका की छपाई और विभिन्न सामग्रियां की खरीद में नियम विरुद्ध कार्य कर सरकारी राशि के गबन का आरोप है।ऐसा ही मामला मगध विश्वविद्यालय में सामने आया था, जिसमें एसबीयू ने करीब 18 करोड़ रुपए की गड़बड़ी पकड़ी। इसमें तत्कालीन कुलपति डा राजेन्द्र प्रसाद को जेल तक जाना पड़ा। फिलहाल वे वेल पर हैं।
इस मामले में कहा जा रहा है कि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में तकरीबन 20 करोड़ रुपए का घपला हुआ है। जिसमें बिहार के राज्यपाल के दो रिश्तेदारों के नाम सामने आए हैं।यह स्पेशल विजिलेंस यूनिट (एसबीयू) राज्य के मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव और सचिव के साथ साथ निगरानी विभाग के अपर मुख्य सचिव के पास पहुंचा है। खास बात यह है कि एमडीयू ने पहले भी पूर्व राज्यपाल के दो रिश्तेदारों सहित तकरीबन दो दर्जन लोगों के विरुद्ध शिकायत की सूचना शिक्षा विभाग को दी थी।


तीन साल पहले ही शिकायत विजिलेंस के मार्फत शिक्षा विभाग और राजभवन को पहुंच चुकी थी। लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई।गत 17 मार्च को फिर से यह मामला विभिन्न माध्यमों से एसबीयू के पास पहुंची है,जिसको लेकर गतिविधियां तेज है। सूत्रों की मानें तो इस मामले में एसबीयू को शिक्षा विभाग की हरी झंडी का इंतजार है। दरअसल भ्रष्टाचार के इस मामले में जांच के लिए शिक्षा विभाग की ओर से महाधिवक्ता से मंतव्य लिया गया। राजभवन को दस्तावेज भेजे गए। तकनीकी रूप से इस मामले में अब शिक्षा विभाग की हरी झंडी आवश्यक है। शिक्षा विभाग अनुमति दे देता है तो फिर जांच की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी।


कहा जा रहा है कि इस मामले में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के दो दर्जन मत लोकसेवकों के विरुद्ध जांच होनी है।जिसे अबतक दबाने की कोशिश की गई है।24 नवंबर 2021 को जांच एजेंसी को एलएनएमयू में 20करोड से अधिक राशि की गड़बड़ी का गोपनीय पत्र प्राप्त हुआ।26 नवंबर 2021 को जांच एजेंसी ने शिक्षा विभाग से कार्रवाई की अनुमति मांगी।16 दिसंबर 2021 को शिक्षा विभाग ने कहा राजभवन से जुड़े 16 लोगों के विरुद्ध कार्रवाई की अनुमति मांगी गई है।24 दिसंबर 2021 को विजिलेंस ने शिक्षा विभाग को कहा की कार्रवाई दो हिस्सों में बांटकर नहीं होगी। एक्सन एक साथ होगी। यहां उल्लेखनीय है कि इस बीच शिक्षा विभाग ने महाधिवक्ता से विधिक परामर्श मांगा। जिसमें कहा गया कि इसमें गवर्नर की अनुमति आवश्यक नहीं है।15 फरबरी 2023 को विदाई से एक दिन पहले तत्कालीन राज्यपाल ने 14 महीने बाद शिक्षा विभाग के पत्र पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 17ए के तहत जांच की अनुमति देने से इंकार कर दिया।29 मई 2023 को शिक्षा विभाग ने विजिलेंस को राजभवन से जांच की मनाही की सूचना दी।‌22 दिसंबर 2023 को एसयूवी के एसपी पत्र लिख शिक्षा विभाग को सूचना देते हैं । शिक्षा विभाग ने जबाव नहीं दिया और मामला जब का तस है।

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