संस्मरण-मुजफ्फरपुर भ्रमण की
संस्मरण-मुजफ्फरपुर भ्रमण की
जे टी न्यूज़, मुजफ्फरपुर : 18 जुलाई (शुक्रवार) 2025 को, मैं भारत रत्न बाबासाहेब डाॅ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर परिसर में स्थित स्नातकोत्तर छात्रावास संख्या 03 का शिष्टाचार दौरा किया। ज्ञातव्य है कि सत्र 1987-1989 में मैं स्नातकोत्तर राजनीति विज्ञान विभाग का यहाँ छात्र था। मैं स्नातकोत्तर छात्रावास संख्या 03 में रहा करता था। मेरी सुपुत्री की मुजफ्फरपुर में बीपीएससी, सहायक अभियांत्रिकी ( Assistant Engineering) की परीक्षा 17 से 19 जुलाई तक आयोजित थी। उस दौरान मैं स्नातकोत्तर राजनीति विज्ञान विभाग और स्नातकोत्तर छात्रावास संख्या 03 का भ्रमण किया। समाज विज्ञान संकाय में स्नातकोत्तर राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष और प्राध्यापकों से भी मिला। बगल में स्थित स्नातकोत्तर इतिहास विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रेणु जी से भी मिला। विश्वविद्यालय परिसर में स्थित एल एस काॅलेज के भौतिकी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राजेंद्र से भी मिला। मुसल्लहपुर हाट,पटना में मैं और राजेंद्र जी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के दौरान वर्षों साथ रहे थे। फिर योगदान के बाद भी वर्षों तक एक परिसर में रहें। हमारे समय में स्नातकोत्तर राजनीति विज्ञान विभाग में एक दर्जन से अधिक मूर्धन्य विद्वान प्राध्यापक थे, जिनको एक – आध विषय और दो साल में एक या दो चैप्टर’ पढ़ाने को मिलता था और अभी के दौर में एक प्राध्यापक को सभी विषयों को अकेले पढ़ाना होता है। मैं 1990 के बाद पहली बार स्नातकोत्तर छात्रावास 03 पहुँचा था। छात्रावासों की स्थिति पहले की तुलना में बदतर हो गई है। दो-तीन छात्रावास बंद हैं। मैंने, वह कमरा देखा जिसमें मैं रहता था। छात्रावास में रहने वाले छात्रों से मिला। वे मुझे देखकर काफी खुश हुए। हाॅस्टल के ‘ पीरफेक्ट’ से भी मिला। उसने बताया कि वह भी स्नातकोत्तर राजनीति विज्ञान विषय का छात्र है।

हमारे समय में हाॅस्टल में एकतरफा मामला हुआ करता था। जातीय वर्चस्व की मिशाल हुआ करता था। हमारे शुभचिंतकों ने मुझे उस समय भी हॉस्टल में नहीं रहने की सलाह दी थी। इसके बावजूद, मैं दो साल हॉस्टल में रहा । मैं सर्वोच्च अंकों ‘ और ‘ रैंक’ के साथ अपनी स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की थी। यह वहाँ के ‘ अनुशासन ‘ और शुरू से ही पढ़ाई के प्रति समर्पण का परिणाम था। जहाँ कुछ बुराइयाँ होती हैं, वहीं कुछ अच्छाइयाँ भी रहती हैं। ‘ हमने अच्छी बातों को आत्मसात किया।’ नतीजा सामने है। हमारे शुभचिंतक मुझे यही कहते रहते हैं कि ‘ विपरीत परिस्थितियों में काम करना कोई आपसे सीखे। मैं कहता हूँ, हम बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर के अनुयायी हैं……..विरासत का यह कारवां बढ़ता और चलता रहेगा।


