बिहार इलेक्शन वाच एवं एडीआर के संयुक्त तत्वावधान में ‘‘लोकतंत्र में नागरिक और वोट का अधिकार’’ विषयक संगोष्ठी 

पटना

बिहार इलेक्शन वाच एवं एडीआर के संयुक्त तत्वावधान में ‘‘लोकतंत्र में नागरिक और वोट का अधिकार’’ विषयक संगोष्ठी  दिनांक 14 सितम्बर 2025 को अपराह्न 11ः30 बजे गाँधी संग्रहालय, गाँधी मैदान, पटना में आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत एडीआर के संस्थापक सदस्य स्व0 जगदीप सिंह छोकर की तस्वीर पर माल्यापर्ण कर किया गया। स्व0 जगदीप सिंह छोकर चुनाव की प्रकिया को लोककतांत्रिक, पारदर्शी और न्यायसंगत बनाने में अहर्निश ताउम्र लगे रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डाॅ. डी. एम. दिवाकर ने बताया कि जनभागीदारी से मताधिकार को बहाल करना राजनीतिक दलों और नागरिक समाज संगठनों का दायित्व है। सिर्फ मताधिकार हीे लोकतंत्र बहुत आगे तक नहीं ले जाएगा। जब तक समाज में सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक गैरबराबरी दूर नहीं होगी तब तक सही मायने में लोकतंत्र सशक्त नहीं होगा। बिहार को लिच्छवी गणराज्य के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की धरती बताया। सार्थक लोकतंत्र के लिए जनता को आवेदन, निवेदन, प्रतिवेदन, धरना, प्रर्दशन और जनविरोधी कानूनों न मानने के लिए प्रशिक्षित होकर लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए प्रयास करना होगा।
अनिल कुमार राय ने बताया कि बिहार मे एसआईआर की शुरुआत का टाइमिंग शंका उत्पन्न करती है। इस प्रक्रिया में इतनी जल्दीबाजी बरती गई है कि इससे अनेक प्रकार की विसंगति उत्पन्न हूई है। ड्राफ्ट लिस्ट में किसी का नाम जोड़ा नहीं गया है, बल्कि लोगों के नाम काटे गए हैं। इस तरह यहाँ इनक्लूशन की नहीं, एक्सक्लूशन की प्रक्रिया है। मतदाता बनाना चुनाव आयोग का काम था। लेकिन इस पुनरीक्षण में यह भार नागरिकों पर डाल दिया गया है।

इस तरह यह राज्य के राजनीतिक चरित्र को बदल दिया गया है। सामाजिक कार्यकर्ता एवं जेपी सेनानी देव कुमार सिंह ने 1974 के आंदोलन को याद करते हुए कहा कि बिहार में जो जेपी ने आंदोलन से बदलाव लाने के लिए प्रयास किया था वह एसआईआर आने के बाद फिर वहीं पहुँच गया है। सामाजिक कार्यकर्ता शाहिद कमाल ने राजनीतिक पाटियों और सामाजिक कार्यकताओं के उच्चतम न्यायालय में जो याचिका के माध्यम से चुनाव आयोग और सरकार पर जो दबाव बनाया उससे लोकतंत्र को ताकत मिला है। अर्थशास्त्री विद्यार्थी विकास ने चुनाव आयोग पर मतदाता सूची के इलेक्ट्रोनिक डाटा को सार्वजनिक नहीं करने को चुनावी पादर्शिता के लिए चुनौती बताया। उन्होंने बिहार के 243 विधानसभा क्षेत्रों में 90178 बूथों पर राजनीतिक दलों और नागरिक संगठनों को वोटर पुष्टिकरण अभियान चलाने की जरूरत बताया। सेवानिवृत उप मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी बैजूनाथ सिंह ने भारत निर्वाचन आयोग के नियम व कानून की जानकारी देते हुए बताया कि फार्म 6, 7, 8 के द्वारा नया मतदाता बनने, स्थानान्तरण करने और आपत्ति दर्ज कराने के लिए चर्चा किया। मामूली तौर पर व्यक्ति जहाँ निवास करता है वहीं उसका मतदाता सूची में नाम जुड़ने की प्रक्रिया का नियम बताया। सीपीआई के रविन्द्र कुमार राय, सीपीआईएमएल के परवेज आलम, सीपीएम के अरूण मिश्रा और भाजपा के प्रेमचन्द्र पटेल ने कार्यक्रम में अपने-अपने राजनीतिक दलों का पक्ष रखा। कार्यक्रम का संचालन राजीव कुमार ने करते हुए बताया कि देश में कोई भी पद नागरिक के पद से उँचा नहीं होता है लेकिन दुर्भाग्य है कि नागरिकों को नागरिक के स्थान पर लाभार्थी बनाया जा रहा है। कार्यक्रम में बिहार के अलग-अलग जिलों से सामाजिक कार्यकर्ता, आम नागरिक और विभिन्न दलों के कई राजनीतिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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