लगहर गाय है लोजपा तभी बर्दाश्त कर रही भाजपा राजपूत-भूमिहार प्रभाव वाली सीट चाहते हैं चिराग अपनी जमीन को पट्टा पर नहीं देगी भाजपा
लगहर गाय है लोजपा तभी बर्दाश्त कर रही भाजपा
राजपूत-भूमिहार प्रभाव वाली सीट चाहते हैं चिराग अपनी जमीन को पट्टा पर नहीं देगी भाजपा
आलेख – बीरेंद्र यादव
जे टी न्यूज़, नई दिल्ली /पटना : एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर भाजपा और लोजपा में तकरार बढ़ गया है। लोजपा की ओर से लगाया जा रहा अड़ंगा सिर्फ सीट सौदेबाजी के लिए है। दरअसल लोजपा भूमिहार और राजपूत प्रभाव वाली सीट अपने खाते में चाहती है। इसकी दो वजह है। पहली वजह है कि भूमिहार और राजपूत दोनों पूरी ताकत से चुनाव लड़ते हैं। वे तन, मन और धन सब झोंक देते हैं। दूसरी वजह है कि भूमिहार और राजपूत टिकट खरीदने के लिए भी मोटा माल भी भेंट करते हैं। उधर, भाजपा का आधार वोट भी भूमिहार और राजपूत हैं। इन जातियों की जीत का प्रतिशत भी अधिक होता है। यदि वह भूमिहार और राजपूत प्रभाव वाली सीट लोजपा को दे देगी तो अपने कोटे का राजपूत-भूमिहार प्रभाव वाली सीट कहां से लाएगी। यही भाजपा का धर्म संकट है। वह लोजपा को छोड़ना नहीं चाहती है और राजपूत-भूमिहार प्रभाव वाली सीट देना भी नहीं चाहती है। फिलहाल भाजपा में 19 राजपूत और 8 भूमिहार विधायक हैं। राजनीतिक गलियारे में चर्चा के अनुसार, लोजपा और वीआईपी जैसी परजीवी पार्टियों के टिकट के उम्मीदवार नहीं होते हैं, बल्कि ग्राहक होते हैं। इसलिए टिकट बेचने के लिए संबंधित गठबंधन में अधिक सीट चाहते हैं। इस सच्चाई को सहयोगी दल भी जानते हैं, लेकिन उनकी मजबूरी है कि लगहर गाय का दो लात सहना ही पड़ता है। पिछले विधान सभा चुनाव में लोजपा ने अकेले 135 सीटों पर उम्मीदवार दिये थे और एकमात्र मटिहानी सीट जीत पायी थी। वह विधायक भी बाद में जदयू में शामिल हो गये थे।
पिछली बार चिराग ने खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान बताकर प्रचारित किया था और वे कहते थे कि भाजपा के साथ सरकार बनाएंगे। उस समय भाजपा के कई मजबूत उम्मीदवारों ने बागी होकर लोजपा का दामन थाम लिया था, लेकिन सभी हार गये। अब वह परिस्थिति नहीं है। लोजपा अकेले लड़ती है तो जमानत बचाना भी मुश्किल होगा। इसलिए सौदेबाजी के लिए एनडीए में बगावत का ड्रामा का रही है। सीट के मामले में भाजपा जितना देगी, उसे स्वीकार करने के अलावा चिराग पासवान के पास कोई विकल्प नहीं है।