समस्तीपुर में निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव पर संशय के बादल
समस्तीपुर में निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव पर संशय के बादल

जे टी न्यूज, समस्तीपुर: बिहार विधानसभा हेतु आम चुनाव 2025 की प्रशासनिक तैयारियां अपने चरम पर हैं। शत प्रतिशत, स्वतंत्र, निष्पक्ष, एवं पारदर्शी मतदान सुनिश्चित करने के लिए बैठकों व समीक्षा बैठकों का सिलसिला भी जारी है। इन सबके बीच एक सवाल भी फिजां मै तैर रहा है “क्या सच में निर्वाचन आयोग, जिला निर्वाचन पदाधिकारी और प्रशासन निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव संपन्न कराने को लेकर गंभीर है?”
एसआईआर को लेकर सवाल पूछने पर निर्वाचन पदाधिकारी का भड़क जाना, करीब 10 सालों से अधिक समय से जिला मुख्यालय में जमे पदाधिकारी को चुनाव की अहम जिम्मेदारी सौंपा जाना तो कुछ और ही कहानी कहते प्रतीत होते हैं। जी हाँ! चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी रौशन कुशवाहा द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में एसआईआर के परिणाम से जुड़े सवाल पर जिला निर्वाचन पदाधिकारी भड़क गए थे। वहीं जिला सूचना एवं विज्ञान पदाधिकारी मनीष कृष्ण विगत करीब 10 सालों से जमे हैं, जबकि शेष सभी पदाधिकारी, किरानी, यहाँ तक कि चपरासी का भी एक निश्चित अंतराल पर तबादला होता रहा है।
चुनाव आयोग के निर्देश के अनुसार तीन साल से अधिक समय से एक ही जगह टिके कर्मी या पदाधिकारी को चुनाव कार्य की जिम्मेदारी नहीं देना है।
बताते चलें कि, लोकसभा चुनाव के समय तत्कालीन जिला सूचना एवं विज्ञान पदाधिकारी समस्तीपुर आशुतोष सिंह के बाद इन्हें प्रभार दिया गया था, तब वह सहायक जिला सूचना एवं विज्ञान पदाधिकारी समस्तीपुर के रूप में पदस्थापित थे। श्री कृष्ण इन 11 सालों में तीन लोकसभा ओर दो विधानसभा चुनाव करा चुके हैं। माना यह जा रहा है कि किसी दल विशेष के बड़े नेता की कृपा से चुनाव आयोग के निर्देश को ताक पर रख कर श्री कृष्ण के तबादले को टाल दिया जाता है।


