राम नवमी के दिन घर की सुख-शांति और आर्थिक समृद्धि के लिए जरूर करें यह काम, जानें पूजा विधि
विज्ञान और इतिहास के नजरिए से देखा जाए तो रामायण और महाभारत दो महाकाव्य हैं और भगवान श्री राम और भगवान श्रीकृष्ण इन महाकाव्यों के नायक। लेकिन धर्म, आस्था और विश्वास के नजरिए से देखें तो हिंदू संप्रदाय को मानने वालों के लिए यह अलग-अलग युगों के इतिहास ग्रंथ हैं जिनमें अधर्म के नाश के लिए भगवान विष्णु के धरती पर राम और कृष्ण के मानव रूप में अवतार लेकर संसार को अधर्म और पाप से मुक्त करने की अमर कथा है।
एक ओर जहां आज भी मर्यादा, और आज्ञापालन के लिए भगवान श्रीराम की मिसाल दी जाती है। तो वहीं कर्तव्यपरायणता के लिए भगवान श्रीकृष्ण का उपदेश मार्गदर्शन करता है। रामायण को लिखकर जहां भगवान श्रीराम का गुणगान करते ही महर्षि वाल्मिकि अमर हुए। वहीं भगवान श्री राम के चरित्र को रामचरित मानस के जरिए तुलसीदास जी ने रामलला के चरित को घर-घर पंहुचा दिया। चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की नवमी को भारतवर्ष में हिंदू संप्रदाय श्रीराम के जन्मदिन यानि की श्री रामनवमी के रूप में मनाता है।
भगवान श्री राम का जन्म
ज्योतिषाचार्य पं. मनोज कुमार द्विवेदी के अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की नवमी को अयोध्या में हुआ। श्रीराम का जन्म दिन के 12 बजे हुआ था। इस समय नवमी तिथि, पुष्य नक्षत्र व कर्क लग्न था।
राम नवमी से ही लिखनी शुरू हुई थी रामायण
माता कौशल्या की कोख से जन्म लेने पर भगवान विष्णु के मानव अवतार लेने पर इस जन्मोत्सव का आनंद देवताओं, ऋषियों, किन्नरों, चारणों सहित अयोध्या नगरी की समस्त प्रजा ले रही थी। इतना ही नहीं यह भी माना जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास ने श्री रामचरित मानस की रचना भी श्री रामनवमी के दिन ही शुरु की थी।
राम नवमी की पूजा विधि
सबसे पहले स्नान करके पवित्र होकर पूजा स्थल पर पूजन सामग्री के साथ बैठें।
पूजा में तुलसी पत्ता और पुष्प होना चाहिए।
उसके बाद श्रीराम नवमी की पूजा षोडशोपचार करें।
खीर और फलों को प्रसाद के रूप में तैयार करें।
पूजा के बाद घर की सबसे छोटी महिला सभी लोगों के माथे पर तिलक लगाएं।
श्री रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करें
हिंदू धर्म में आस्था रखने वालों के लिए श्री रामनवमी बहुत ही शुभ दिन होता है। श्री रामनवमी पर पारिवारिक सुख शांति और समृद्धि के लिए व्रत भी रखा जाता है। श्री रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करें। पूरे परिवार के साथ आरती करें, आरती के बाद पवित्र जल को आरती में सम्मिलत सभी जनों पर छिड़कें। अपनी आर्थिक क्षमता व श्रद्धानुसार दान-पुण्य भी अवश्य करें।
श्री रामरक्षा स्तोत्र के सुनने के लिए नीचे प्ले बटन पर क्लिक करें-
(श्रोत- अमर उजाला)
संपादिकृतः ठाकुर वरूण कुमार