सात फेरे होते ही एक लड़की का जीवन बदल जाता है

सात फेरे होते ही एक लड़की का जीवन बदल जाता है
जे टी न्यूज़


ऐसा क्यों होता है कि सात फेरे होते ही एक लड़की का जीवन बदल जाता है …. पिता के कंधे पर बैठकर सवारी करती है वही , और अपनी तोतली बातों से जो सबको हंसाती है घर की रानी कहलाती है,… ससुराल जाने के बाद उसके द्वारा बोला गया कोई भी बोल लोगों कुबोल क्यों लगता है….. जो सबके साथ साझेदारी और हिस्सेदारी में रहती थी साथ खाना साथ जीना ….वह केवल भोग की वस्तु क्यों बन जाती है…..
जिस घर को पूरा परिवार मिलकर संभाल रहा होता है, शादी के बाद वह पूरा परिवार केवल बहू पर निर्भर क्यों हो जाता है….. क्या सात फेरे की यही जिम्मेदारी है या इससे अलगकुछ…जैसे काम वाली बाई लगा ली बिना पगार के, केवल खाना-पीना खाएगी!! घर का हर सदस्य मालिक… हुक्म पर हुक्म …चलाएगा इस तरह सात फेरे किसी बंधन की तरह उसके जीवन से औपचारिकताओं के साथ बंध जाते हैं।। अलग-अलग रिश्तो में बंधी हुई स्त्री कभी सास ननंद पति देवर , सबकी ख्वाहिशों को पूरा करते जीवन अपने सपनों को मारते अंतर्द्वंद में ही जीती है……


क्या ऐसा नहीं हो सकता कि सात फेरों का अर्थ…. सात अलग तरह की खुशियों की सौगात हो….. बहु को बेटी बनाकर लाने की सौगात, एक पत्नी को प्रेमिका बनाने की सौगात,, घर की चाबियां की मालकिन कहलाने की सौगात… घर के हर सुख दुख में एक अहम सदस्य के तरह जिम्मेदारी जिम्मेदारी निभाने और अच्छा काम करने पर पीठ थपथपाई जाने की सौगात…..नए जीवन में शामिल होकर एक और नए जीव को जीवन देने कीसौगात।… उपहार का आदान-प्रदान… नई प्रीत के धागों में जुड़ जाने की सौगात….. लेकिन इन सब के बावजूद….. वजूद की कहानी…. सारी खुशियों पर पानी फेर देतीहै…

साभार – फेसबुक

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