काष्ठ से कलम तक’* की संघर्षतम यात्रा की बनी साक्षी- बेटी साक्षी – बाबु प्रसाद शर्मा जे टी न्यूज, विभूतिपुर(विनय कुमार राय): बिहार के समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर प्रखंड के छोटे से ग्राम जोगिया में साक्षी कुमारी का बचपन बीता। गाँव साधारण था, संसाधन सीमित थे, पर सपनों की उड़ान असीम। साक्षी एक बढ़ई समाज के परिवार से थी। उसके पिता राम नरेश शर्मा लकड़ी से जीवन गढ़ते थे—दरवाज़े, चौखट, मेज़ और कुर्सियाँ। खुरदरे हाथों में मेहनत की रेखाएँ थीं, पर आँखों में बेटी के भविष्य की चमक बसती थी।_ _साक्षी अपने बस्ते को सँभाल लेती और राजकीय जनार्दन प्रसाद नारायण सिंह उच्च विद्यालय, नरहन जाती। कक्षा में वह आगे बैठती, प्रश्न पूछती और उत्तर खोजने का धैर्य रखती। किताबें उसकी सहेली थीं और समय उसका अनुशासन। वह हर दिन नई चीजें सीखने के लिए उत्सुक रहती थी। उसके शिक्षक उसकी जिज्ञासा और लगन की प्रशंसा करते थे।_ _घर लौटकर साक्षी पिता के पास बैठती और पाठ दोहराती। पिता मुस्कुराकर कहते— “बेटी, मेरी मेहनत से घर बनते हैं, तू अपनी मेहनत से भविष्य बना।” माँ के स्नेह और पिता के विश्वास ने उसे हर कठिनाई में सँभाला। रातें अक्सर दीपक की रोशनी में कटतीं। जब थकान दस्तक देती, तो वह समस्तीपुर जिले की मिट्टी से उठती उम्मीदों की आवाज़ सुनती। उसे पता था कि उसकी सफलता सिर्फ उसकी नहीं, पूरे समाज की होगी।_ _साक्षी के दिन और रात एकाकार हो गए थे। वह पढ़ाई में इतनी मग्न थी कि उसे समय का पता ही नहीं चलता था। उसके माता-पिता भी उसकी पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने देना चाहते थे। वे उसे हर संभव सहायता प्रदान करते थे।_ _फिर आया वर्ष 2025। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा आयोजित बोर्ड परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ जिसमें साक्षी कुमारी, बिहार प्रथम टॉपर बनकर विद्यालय एवं समाज को गौरवान्वित की । समस्तीपुर जिले के गाँव जोगिया में उत्सव का वातावरण छा गया। बढ़ई समाज की बेटी ने अपनी लगन, अनुशासन और परिश्रम से इतिहास रच दिया था।_ _उस दिन पिता के औज़ार एक ओर रखे थे। उनकी आँखों में नमी थी, पर वह नमी गर्व की थी। साक्षी समझ चुकी थी— काष्ठ से कलम तक की यह यात्रा सिर्फ उसकी नहीं, बल्कि समस्तीपुर जिले की हर उस बेटी की है जो सपनों को सच करने का साहस रखती है।_ _साक्षी की कहानी ने पूरे जिले को प्रेरित किया। वह एक उदाहरण बन गई कि कैसे कठिन परिस्थितियों में भी मेहनत और लगन से सफलता प्राप्त की जा सकती है। साक्षी ने साबित कर दिया कि वह न केवल अपने परिवार का नाम रोशन कर रही है, बल्कि अपने समाज और जिले का भी नाम ऊंचा कर रही है।_

काष्ठ से कलम तक’* की संघर्षतम यात्रा की बनी साक्षी- बेटी साक्षी – बाबु प्रसाद शर्मा

जे टी न्यूज, विभूतिपुर(विनय कुमार राय):
बिहार के समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर प्रखंड के छोटे से ग्राम जोगिया में साक्षी कुमारी का बचपन बीता। गाँव साधारण था, संसाधन सीमित थे, पर सपनों की उड़ान असीम। साक्षी एक बढ़ई समाज के परिवार से थी। उसके पिता राम नरेश शर्मा लकड़ी से जीवन गढ़ते थे—दरवाज़े, चौखट, मेज़ और कुर्सियाँ। खुरदरे हाथों में मेहनत की रेखाएँ थीं, पर आँखों में बेटी के भविष्य की चमक बसती थी।_

_साक्षी अपने बस्ते को सँभाल लेती और राजकीय जनार्दन प्रसाद नारायण सिंह उच्च विद्यालय, नरहन जाती। कक्षा में वह आगे बैठती, प्रश्न पूछती और उत्तर खोजने का धैर्य रखती। किताबें उसकी सहेली थीं और समय उसका अनुशासन। वह हर दिन नई चीजें सीखने के लिए उत्सुक रहती थी। उसके शिक्षक उसकी जिज्ञासा और लगन की प्रशंसा करते थे।_
_घर लौटकर साक्षी पिता के पास बैठती और पाठ दोहराती। पिता मुस्कुराकर कहते— “बेटी, मेरी मेहनत से घर बनते हैं, तू अपनी मेहनत से भविष्य बना।” माँ के स्नेह और पिता के विश्वास ने उसे हर कठिनाई में सँभाला। रातें अक्सर दीपक की रोशनी में कटतीं। जब थकान दस्तक देती, तो वह समस्तीपुर जिले की मिट्टी से उठती उम्मीदों की आवाज़ सुनती। उसे पता था कि उसकी सफलता सिर्फ उसकी नहीं, पूरे समाज की होगी।_
_साक्षी के दिन और रात एकाकार हो गए थे। वह पढ़ाई में इतनी मग्न थी कि उसे समय का पता ही नहीं चलता था। उसके माता-पिता भी उसकी पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने देना चाहते थे। वे उसे हर संभव सहायता प्रदान करते थे।_


_फिर आया वर्ष 2025। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा आयोजित बोर्ड परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ जिसमें साक्षी कुमारी, बिहार प्रथम टॉपर बनकर विद्यालय एवं समाज को गौरवान्वित की । समस्तीपुर जिले के गाँव जोगिया में उत्सव का वातावरण छा गया। बढ़ई समाज की बेटी ने अपनी लगन, अनुशासन और परिश्रम से इतिहास रच दिया था।_
_उस दिन पिता के औज़ार एक ओर रखे थे। उनकी आँखों में नमी थी, पर वह नमी गर्व की थी। साक्षी समझ चुकी थी— काष्ठ से कलम तक की यह यात्रा सिर्फ उसकी नहीं, बल्कि समस्तीपुर जिले की हर उस बेटी की है जो सपनों को सच करने का साहस रखती है।_
_साक्षी की कहानी ने पूरे जिले को प्रेरित किया। वह एक उदाहरण बन गई कि कैसे कठिन परिस्थितियों में भी मेहनत और लगन से सफलता प्राप्त की जा सकती है। साक्षी ने साबित कर दिया कि वह न केवल अपने परिवार का नाम रोशन कर रही है, बल्कि अपने समाज और जिले का भी नाम ऊंचा कर रही है।_

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