पंडित दीनदयाल उपाध्याय का अर्थायाम चिंतन विषय पर विशिष्ट व्याख्यान

जेटी न्यूज 

मोतिहारी।पु0च0

महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी (बिहार) के पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ और अर्थशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वाधान में 21.03.2021 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का अर्थायाम चिंतन विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का ऑन-लाइन आयोजन गूगल मीट द्वारा किया गयाI यह व्याख्यान ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम श्रृंखला के अंतर्गत आयोजित किया गयाI इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त आचार्य और वर्तमान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर क्षेत्र के क्षेत्र संघचालक प्रो. बजरंग लाल गुप्ता मुख्य वक्ता थेI प्रो. गुप्ता ने कहा अर्थायाम अर्थ के लिए वैसी ही एक संकल्पना  जैसे शरीर के लिए प्राणायाम । दीनदयाल जी के अनुसार अर्थव्यवस्था को स्वस्थ और सुदृढ़ बनाये रखने के लिए अर्थायाम की आवश्यकता होती हैI अर्थायाम से अभिप्राय अर्थव्यवस्था में संयोजन और समन्वय से हैI प्रो. गुप्ता के अनुसार पंडित दीनदयाल जी का मानना था कि अर्थव्यवस्था में न तो अर्थ का अभाव होना चाहिए और ना ही अर्थ का प्रभाव होना चाहिएI अर्थ के अभाव से जहां निर्धनता बढ़ती है, वही अर्थ के प्रभाव से उपभोक्तावाद को बढ़ावा मिलता हैI

प्रो. गुप्ता के अनुसार पंडित जी उत्पादन में वृद्धि, उपभोग में संयम और वितरण में समानता के हिमायती थेIउनके उनुसार उत्पादन वितरणाभिमुख और वितरण उपभोक्ताभिमुख होना चाहिए, जिसे प्रो. गुप्त ने ममतामयी वितरण कहाI प्रो. गुप्ता के अनुसार पंडित दीनदयाल जी के अर्थायाम चिंतन के तीन आधार स्तम्भ हैं – स्वदेशी, स्वावलंबन और विकेंद्रीकरणI अर्थव्यवस्था के सम्यक विकास के लिए पंडित जी ने अन्त्योदय की संकल्पना पर भी बल दिया हैI हर पेट को रोटी, हर हाथ को काम, और हर खेत को पानी के लक्ष्य को पूरा करने पर ही सही अर्थों में अर्थायाम हो सकेगाI

इस अवसर पर विषय प्रवेश करते हुए केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो. जी. गोपाल रेड्डी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन की उन परिस्थितियों और निजी समस्याओं पर प्रकाश डाला जिनसे गुजरते हुए विभिन्न राजनितिक, सामजिक और आर्थिक विषयों पर पंडित जी के दार्शनिक विचारों का प्रादुर्भाव हुआI कार्यक्रम की अध्यक्षता महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने कीI इस अवसर पर उन्होंने अतीत की सनातन परम्परा में से उपादेय तत्वों का अनुसरण करने का आवाहन कियाI उन्होने  महाकवि कालिदास के प्रसिद्ध संस्कृत ग्रंथ  रघुवंश से श्लोको का अर्थ-अन्वेषन करते हुए समकालीन राजनीतिक-आर्थिक प्रसंगों के अनुरूप नई अर्थ-दृष्टि और चेतनाबोध प्रदान किया।

डॉ. नरेन्द्र कुमार आर्य, निदेशक, दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ ने अतिथियों का स्वागत कियाI समाज विज्ञान संकायाध्यक्ष और ओ. एस. डी. (प्रशासन)- प्रो. राजीव कुमार ने आभार-ज्ञापन कियाI कार्यक्रम का संचालन अर्थशास्त्र विभाग के सहायक अध्यापक डॉ. श्रीधर सत्यकाम ने कियाI कार्यक्रम का तकनीकी पक्ष डॉ. कैलाश चन्द्र प्रधान, विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र और श्री संतोष कुमार, शोध-छात्र, पटना विश्वविद्यालय ने संभाला। इस अवसर पर विभिन्न विभागों के अध्यक्ष, शिक्षक, शोधात्री और छात्र आभासी मंच से जुड़े रहेI

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