पंचायत प्रतिनिधि के अधिकारों में लगातार हो रही कटौती दुखद दलीय प्रतिनिधि नहीं उठाते हैं हक की आवाज- अम्बिका गुलाब यादव

पंचायत प्रतिनिधि के अधिकारों में लगातार हो रही कटौती दुखद
दलीय प्रतिनिधि नहीं उठाते हैं हक की आवाज- अम्बिका गुलाब यादव
जेटीन्यूज।

मधुबनी। त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकारों में क्रमशः हो रही कटौती न सिर्फ दुखद है बल्कि स्वस्थ प्रजातंत्र के लिए ख़तरनाक भी है। पंचायत चुनाव निर्दलीय होता है लेकिन उनके वोट पर चुनें जाने वाले विधानपरिषद सदस्य किसी न किसी पार्टी के समर्थन से चुनावी मैदान फतह करते हैं। बाद में दलीय दबाव के कारण पंचायत प्रतिनिधियों के हक व हुकुक की आवाज नहीं उठा पाते हैं। अंततः नुकसान पंचायत प्रतिनिधि एवं पंचायती राज व्यवस्था को होता है। इसीलिए स्थानीय निकाय के आसन्न एम एल सी चुनाव में गैर दलीय प्रत्याशी का जीतना जरूरी है। जिसके लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार अम्बिका गुलाब यादव है।उक्त बातें जिला परिषद आवासीय परिसर में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को संयुक्त रुप से संबोधित करते हुए जिला पार्षद राही कुमारी के पति व पूर्व जिला पार्षद संजय पासवान,जिला पार्षद मधु राय, जिला पार्षद उमर अंसारी , पूर्व जिला पार्षद भारत भूषण यादव ,झांझपट्टी आशा के मुखिया पिंटू यादव ने सोमवार को कहीं है।

नेताओं ने कहा है कि दलीय आधार पर चुनकर जाने वाले एम एल सी अब तक पंचायत प्रतिनिधियों को ठगते रहें हैं।वे सिर्फ अपनी पार्टी एवं स्वयं के लाभ के लिए का करते रहे है। यही कारण है कि2001 में गठित पंचायती राज प्रतिनिधियों के अधिकारों में कटौती होती रही है।अब तो विभागीय कर्मचारियों को भी प्रतिनिधियों के नियंत्रण से बाहर कर दिया गया है।
कांफ्रेंस में उपस्थित पूर्व विधायक गुलाब यादव ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष ने मुझे बुलाकर विधान परिषद का चूनाव लड़ने को कहा। आदेशानुसार पंचायत प्रतिनिधियों के बीच लगातार जन संपर्क अभियान शुरू किया जो जारी है। लेकिन एक साज़िश के तहत एनडीए उम्मीदवार को लाभ पहुंचाने के लिए एक कमजोर उम्मीदवार को पार्टी का उम्मीदवार बना दिया गया है।

इस मौके पर उपस्थित पंचायत प्रतिनिधियों ने कहा कि खुद के मान सम्मान एवं अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होकर जाति, धर्म व दलीय प्रतिबद्धता से उपर उठकर अंबिका गुलाब यादव को जीताकर विधानपरिषद भेजने का मन बना लिया है। ताकि पंचायत प्रतिनिधियों के हक व हुकुक की रक्षा हो सके।

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