बिहार के नए गन्ना मंत्री ध्यान दें-प्रभुराज नारायण राव

बिहार के नए गन्ना मंत्री ध्यान दें-प्रभुराज नारायण राव
जे टी न्यू

 

बेतिया: बिहार राज्य ईख उत्पादक संघ के महासचिव प्रभुराज नारायण राव ने बिहार के गन्ना उद्योग मंत्री डॉक्टर समीम को बधाई देते हुए कहा है कि बिहार में 10 लाख रोजगार देने की बात अपने शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री ने किया है । आज बिहार में रोजगार की संभावनाएं बहुत कम है । अभी तक बिहार में कोई उद्योग नहीं लगाया गया । जिससे बेरोजगार नौजवानों को रोजगार दिया जा सके । इस पर पिछले एनडीए की सरकार की बहुत दिलचस्पी भी नहीं थी । लेकिन महागठबंधन की सरकार बनने के बाद बिहार के नौजवानों को रोजगार तथा किसानों को गन्ना की खेती से लाभ की आशा बड़ी है । डॉक्टर शमीम साहब से हम कहना चाहते हैं कि बिहार में 28 चीनी मिले थी । जिसमें से 10 चीनी मिलें चल रही हैं । पांच चीनी मिलें पश्चिम चंपारण में , तीन गोपालगंज जिले में , एक सुगौली पूर्वी चंपारण में तथा एक हसनपुर समस्तीपुर जिले में चीनी मिलें कार्यरत हैं । बाकी अट्ठारह बिहार राज्य शुगर कारपोरेशन के अधीन बन्द पड़ा हुआ है उन्होंने बंद चीनी मिलों को चालू करने का आग्रह किया है कि सभी बन्द पड़े 18 चीनी मिलें अगर चालू हो जाती हैं । तो दक्षिण बिहार के पटना के बिहटा , गया के गुरारी , नवादा के
वारसलीगंज से लगाएत पूर्णिया के बनमनखी , मधुबनी के सकरी , सिवान के पचरुखी , सारण के मढ़ौरा , मुजफ्फरपुर के गोरौल आदि इलाकों का विकास निश्चित है ।


श्री राव ने कहा कि 18 चीनी मिलो के चालू हो जाने से बिहार में 2 लाख नौजवानों को रोजगार की गारंटी हो जाएगी । इसके साथ साथ क्रय केंद्र पर खाने-पीने की दुकानें भी बढ़ जाएंगे । सबसे बड़ा खुशहाली किसानों को मिलेगा । जिनको नगदी फसल लगाने से सीधा लाभ होगा । उन्होंने कहा कि इससे बिहार के किसानों और नौजवानों को रोजगार मिलने से राज्य की स्थिति भी सुदृढ़ होगी । लेकिन ऐसा अभी तक नहीं करके एनडीए सरकार बिहार में नए नए उद्योग लगाने की ढिढोरा पीट रही है । मोदी सरकार ने अपने थके हुए अल्पसंख्यक मंत्री शाहनवाज हुसैन को बिहार में उद्योग मंत्री बना कर बिहार के विकास का प्रचार किया ।शाहनवाज हुसैन ने बिहार में बंद चीनी मिलों की जगह पर इथनौल प्लांट लगाने की घोषणा की । जो निश्चय ही बिहार के लिए आत्मघाती योजना है । बिहार के किसानों ने चीनी मिलों को जमीन दिया , तो मकसद था गन्ना उद्योग का विकास और उससे चीनी पैदा करना । चीनी मिलों को बंद करके उस स्थान पर अन्य उद्योग को लगाने की घोषणा किसी भी मामले में उचित नहीं है । दूसरी बात यह की चीनी मिले जो चल रही हैं । वह इथनौल बना रही हैं । बिजली बना रही है । प्रेसमड से खाद बन रहा है । बगास से कागज बन रहे हैं । इस तरीके से चीनी बनने के बाद मिलों ने बायो प्रोडक्ट के रूप में अनेक कीमती और महत्वपूर्ण चीजें बना रहे । इससे बिहार का संकट काफी हद तक दूर होगा । लेकिन इस सवाल पर बिहार सरकार की नजरिया विकास विरोधी लगती है और बिहार की जनता के कमर को तोड़ने का काम कर रही है । अगर चीनी मिलों की जगह इथनौल का प्लांट लगाया जाता है । तो इथनौल खाने के अनाज से बनता है ।

जिसकी बिहार में बहुत ही किल्लत है । क्योंकि उत्तर बिहार में बाढ़ से तथा दक्षिण बिहार में सुखाड़ से खाने के लिए पर्याप्त अनाज नहीं हो पा रहा है । सरकार भी इस पर विशेष ध्यान नहीं दिया है । ऐसी स्थिति में खाने के अनाज से बिहार में इथनौल बनाना । किसी भी मायने में जायज कदम नहीं है । बिहार राज्य ईख उत्पादक संघ अंत में गन्ना उद्योग मंत्री डॉक्टर समीम से मांग करता है कि आप चंपारण सहित बिहार के विकास के लिए बंद पड़े चीनी मिलों को अभिलंब चालू करें ।गन्ना का दाम 5 सौ रूपये प्रति क्विंटल किया जाए । चीनी बनने के बाद उसके बायो प्रोडक्ट मैं मिलों को हो रहे मुनाफे का आधा हिस्सा किसानों को दिया जाए । चीनी मिलों से पैदा हो रहे खाद्य किसानों को सस्ते दर पर उपलब्ध कराया जाए ।

Related Articles

Back to top button