केन्द्र की मोदी सरकार और भारत का संविधान

केन्द्र की मोदी सरकार और भारत का संविधान
आलेख- प्रभूराज नारायण राव
जे टी न्यूज़


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चलने वाली भाजपा नीत केंद्रीय सरकार जिसने संविधान की रक्षा और उसके आधार पर चलने की कसमें खाई । आज लगातार बाबा साहब भीमराव अंबेडकर द्वारा चतुर्थ में के नेतृत्व में बनाई गई संविधान छेड़छाड़ कर रहे हैं संविधान में देश की जनता किसान मजदूर नौजवानों छात्रों के लिए बहुत सारे आर्टिकल्स में लेकिन धीरे-धीरे सभी मौलिक और जनतांत्रिक अधिकारों को समाप्त करने की करवाई मोदी सरकार कर रही है हमें ज्ञात होना चाहिए कि भारतीय संविधान के तहत हम एक कल्याणकारी राष्ट्र है । देश की जनता के पैसे से देश की जनता को सारी सुविधाएं प्रदान करने की केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है । लेकिन आज ऐसा नहीं हो रहा है । बल्कि अमेरिकी साम्राज्यवाद ,विश्व बैंक , आईएमएफ आदि के दबाव में देश की सारी नीतियों को तार-तार किया जा रहा है और दूसरी तरफ हमारे प्रधानमंत्री दुनिया के सबसे बड़े ताकतवर प्रधानमंत्री बनने का ढोल पीट रहे हैं ।

आज रुपए की कीमत में भारी अवमूल्यन हो रहा है । एक डॉलर की कीमत 84 रुपए पर पहुंच गया है । केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसे रुपए में गिरावट नहीं बल्कि डॉलर की मजबूती बता रही है । आज मंहगाई चरम सीमा पर है । देश में बेरोजगारों की लंबी कतार बनती जा रही है । स्वास्थ सेवाओं में भारी गिरावट है । लेकिन इस पर केंद्र सरकार की कोई ठोस कारवाई नहीं की गई । बल्कि ऐसे काम केंद्र सरकार कर रही है , जो आजादी के बाद पिछले दिनों बहुत कम स्तर पर हुआ है । आज सीबीआई , इ डी का दुरुपयोग मोदी सरकार अपने विपक्षियों पर कर रही है । मुख्यमंत्रियों के घर छापे पड़ रहे हैं । उनको भ्रष्ट साबित करने के काम में मोदी सरकार लगी हुई है । देश के जो भी विपक्ष के मजबूत लोग हैं ।अधिकांश लोगों के यहां सीबीआई ,आईटी और इ डी के द्वारा छापेमारी का काम बदस्तूर जारी है ।चाहे वह पूर्व प्रधानमंत्रियों के परिवार के लोगों या फिर विरोधी राज्य सरकारो के नेता हों।

यह सर्वविदित है की पूंजीवादी व्यवस्था में भ्रष्टाचार समाहित रहता है। उसके बगैर पूंजीवाद रह ही नहीं सकता । देश के नामजद भ्रष्टाचारी चाहे वह सुखराम हों , एनडी तिवारी या आरिफ मोहम्मद खान हों । जितने भी भ्रष्ट नेता डर से भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ले ली । आज वह पूरी तरह सुरक्षित हैं । विजय माल्या या नीरव मोदी को जिस तरीके से देश से निकालने में केंद्र सरकार की भूमिका रही , यह कोई अच्छी बात नहीं है । अब तो स्विस बैंक से काले धन निकालने की बात समाप्ति ही हो गई । जबकि पिछले 8 साल में स्विस बैंक में 40% रुपयों में वृद्धि हुई है । देश की सारी संपत्ति जो आजादी के दौर से ही देश के पास था । आज मोदी सरकार ने सबको बेंच दिया है । चाहे वह रेल हो सेल या भेल , बीएसएनएल स्टील प्लांट ,कोल खदान यहां तक की सभी मुख्य सड़कों को मोदी सरकार ने बेंच दिया है । लेकिन उन पैसों से क्या हो रहा है । वह पैसे कहां चले गए ।

यह किसी को ज्ञात नहीं है कि नोटबंदी से भारतीय जनता पार्टी को भारी फायदा हुआ । यह देखने को मिला है कि नोटबंदी के बाद देश का कोई भी ऐसा जिला नहीं है । जहां करोड़ों रुपए की लागत से भारतीय जनता पार्टी का जिला का सुसज्जित कार्यालय नहीं बना है । आज किसान भारी संकट में है । किसानों को स्वामीनाथन कमीशन की अनुशंसा के आधार पर फसल में लागत का डेढ़ गुना दाम देने का पूरा आश्वासन विगत लोकसभा चुनाव में दिया गया। प्रत्येक साल नौजवानों को दो करोड़ रोजगार देने की वादा लोकसभा चुनाव के समय प्रधानमंत्री ने किया और यही कारण है कि किसानों और देश के नौजवानों का भारी मत उन्हें प्राप्त हुआ और एक बार फिर गद्दी नसीन हो गए ।


किसानों के लिए एमएसपी को कानूनी दर्जा तो नहीं मिला । बल्कि किसान विरोधी तीन काले कृषि कानून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में पेश कर उसे पास कर कानून का रूप दे दिया। जिसके तहत किसानों की जमीन कारपोरेट को दे देना था ।आवश्यक 7 ईसी को समाप्त कर देना था और किसानों के द्वारा उत्पादित अनाजों को कारपोरेट को दे देना था ।फसलों का दाम मुक्त बाजार में बेचना था । यानी जहां ज्यादा पैसा मिले किसान वहां अपनी उत्पादन बेचे । किसानों को लूटने वाली इन चीजों को किसानों ने समझ ली और अखिल भारतीय किसान सभा तथा पंजाब के कई किसान संगठनों ने इसके खिलाफ में प्रतिरोध कार्रवाई शुरू कर दी ।

धीरे-धीरे दिल्ली के तमाम बॉर्डर को किसानों ने घेर लिया । देश के 500 से ज्यादा किसान संगठन इस आंदोलन में शामिल हो गए । देश के कोने कोने में किसान आंदोलन चलने लगा । 750 किसान 13 महीने तक चली ऐतिहासिक आन्दोलन में शहीद हो गए । केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे द्वारा थार गाड़ी से 5 किसानों को रौंद कर मार दिया गया ।किसान आंदोलन के बारे में नामा प्रकार की भ्रांतियां पैदा की गई । लेकिन किसान अपने एकमुश्त आंदोलन से नहीं डिगे और यह कारवाई 13 महीने तक चली लंबी किसानों की शांतिपूर्ण सत्याग्रह दुनिया में एक मिसाल बन गई । जब देश के हर जगह पर किसान आंदोलन बढ़ने लगे , तो भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में चलने वाली मोदी सरकार ने और स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों किसान विरोधी काले कानूनों को वापस लेने की टेलीविजन पर आकर घोषणा कर दी और किसानों से हड़ताल समाप्त करने का आग्रह किया । किसान जानते थे के प्रधानमंत्री दगाबाज हैं । इसलिए उन्होंने अपने आंदोलन को समाप्त नहीं कर आंदोलन को स्थगित करते हुए अपने घरों की तरफ लौट गए । प्रधानमंत्री ने वादा किया था एमएसपी को कानूनी दर्जा देंगे । तमाम शहीदों के परिवारों को मुआवजा देंगे । लखीमपुर खीरी के किसानों के हत्यारों को पहचान कर उचित कार्रवाई करेंगे । लेकिन एक बार फिर किसानों को धोखा मिला । एक कमेटी बनाने की सूचना केंद्र सरकार गह मंत्रालय द्वारा संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को 11 की कमिटी में 3 प्रतिनिधियों को शामिल होने को कहा गया । जिस कमेटी में 8 सरकार पोषित किसान विरोधी शख्सियत रहेंगे । किसानों ने उस कमेटी में रहने से इंकार कर दिया और अपने आंदोलन को चलाने का निर्णय लिया 

आज स्थिति इतनी बिगड़ गई है कि देश के हर क्षेत्र में नाकाम रहे देश के प्रधानमंत्री और उनकी सरकार सांप्रदायिकता का नंगा नाच करना ही अपना प्रथम कर्तव्य मांन रहे हैं । पूरे देश में नफरत का बीज बोया जा रहा है । हिंदू और मुसलमान का खेल खेला जा रहा है । एक तरफ संघ नेता मोहन भागवत और दूसरी तरफ मुस्लिम कट्टरपंथी नेता ओवैसी को खड़ा किया जा रहा है । मानो देश का बागडोर और देश की जनता इन्हीं फिरकापरस्तों की मुट्ठी में रहती है । इस खेल में तो और ज्यादा देश की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या फिर प्रिंट मीडिया हवा दे रही है ।


आज देश के सभी टीवी चैनल और अखबार मात्र दो पूंजीपतियों के हाथों में है । जिनका नाम अडानी और अंबानी है । इस चंद सालों में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बर्दहस्त के कारण अदानी दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पूंजीपति बन गया । जबकि अंबानी एशिया का सबसे बड़ा पूंजीपति है । देश की सारी संपत्ति कारपोरेट के हाथों दे देने का मन प्रधानमंत्री ने बनाया है । क्योंकि उन्हें पता है कि देश की गरीब जनता , अशिक्षित जनता पैसे पर खरीदी जाती है और अंबानी , अदानी जैसे कारपोरेट मित्रों के पैसे से हम वोट खरीद कर या फिर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन ईवीएम का खेल खेल कर लोगों का वोट हासिल कर लेंगे और हमारी सरकार कायम रहेगी । इतना ही नहीं इनके सुर और ताल इतने बुरे हैं कि एक तरफ जब पश्चिम बंगाल में पुल गिरता है और लोग हादसे के शिकार होते हैं । तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि यह हादसा भगवान ने नहीं किया , बल्कि फ्रॉड लोगों के चलते यह हादसा हुआ है । इसमें ममता दीदी और उनके भ्रष्ट सहयोगियों के चलते ऐसा हुआ । दूसरी तरफ अभी-अभी गुजरात के मोरबी में जब पुल हादसा हुआ है । जिसमें देर 150 से ज्यादा लोग मौत के शिकार हुए हैं । तो गुजरात में ही रह कर प्रधानमंत्री रोने जैसी अभिनय दिखलाते हैं । लेकिन घटनास्थल पर नहीं जाते । वह घटनास्थल पर तीसरे दिन जाते हैं । तो जब अस्पताल जाते हैं , तो रातों-रात अस्पताल का रंग रोगन टाइल्स , पीने के पानी के लिए वाटर कूलर और अस्पताल तक पहुंचने के लिए सड़कें बनाई जाती है और तब प्रधानमंत्री वहां पहुंचते हैं और इसे भगवानी हादसा बतलाते हैं । इसी सवाल पर भारत जोड़ो यात्रा में चल रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी से पत्रकारों ने जब पूछा की मोरबी के हादसे के बारे में तो उन्होंने कहा कि राजनीति करने का यह समय नहीं है । भारी संख्या में लोग इस दुर्घटना से मरे हैं । इसलिए उन्हें सलामी देने का आज जरूरत है और उनके परिवार के सदस्यों को सहलाने और उनके दुख में शामिल होने का जरूरत है । यह सुन देश का सारा बुद्धिजीवी और इमानदार पत्रकारिता मोदी के स्वार्थी चरित्र को उजागर किया है कि यह देश के प्रधानमंत्री का कर्तव्य कतई नहीं हो सकता । जो कर्तव्य पथ पर चलने का नाटक रचते हैं और निरंतर पिछले 8 सालों में उन्होंने कर्तव्याघात किया है।


दशहरा के समय गुजरात में गरबा देख रहा एक मुस्लिम युवक को खंभे में बांधकर बुरी तरह पीटा जाता है । तो दूसरी तरफ गुजरात दंगे के समय बिलकिस बानो के साथ बलात्कार करने वाले बलात्कारियों के जेल से छूटने के बाद भाजपा नेताओं द्वारा उनको फूल माला पहनाया जाता है और मिठाइयां खिलाई जाती है । देश के अंदर कौन सी राजनीति चल रही है । आज यह सवाल देश के सामने गंभीर सवाल है कि संविधान रहेगा कि नहीं रहेगा । देश की धर्मनिरपेक्षता बरकरार रहेगा कि नहीं रहेगा । हमारे जनतांत्रिक अधिकार रहेंगे कि नहीं रहेंगे और बहु भाषाई तथा बहुराष्ट्रीय हमारी देश की एकता और अनेकता में एकता यहीं हमारी विशेषता बनी रहेगी कि नहीं रहेगी । हम राष्ट्र की एकता और अखंडता की रक्षा को अक्छूर्ण रख सकेंगे कि नहीं रख सकेगे । यह आज देश के सामने सवाल है और इसके रक्षा के लिए एकमात्र रास्ता जनतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों के तहत संघर्ष का है ।

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