हिन्दी साहित्य परिवार तक का सफर है सुहाना,प्रेरणादायी और साहित्यिक गतिविधियों को सरल ,सुगम बनाने का माध्यम

हिन्दी साहित्य परिवार तक का सफर है सुहाना,प्रेरणादायी और साहित्यिक गतिविधियों को सरल ,सुगम बनाने का माध्यम
जे टी न्यूज़


वैशाली : मिलना और जुलना एकसफर की परिणति या परिणाम होता है।किसी हिन्दी भाषी का , हिन्दी परिवार से जुड़ना एक सौभाग्य ही नहीं अपितुराष्ट्रीय गौरव की बात है।उस समय तो इसका मह्त्व और भी बढ़ जाता है जब कोई गैर हिन्दी भाषी हिन्दी साहित्य परिवार का झन्डा लेकर आगे बढता है या बढाने का जुनून ही पैदा नहीं करता है वरणहिन्दीभाषी कोउत्साह ,उमंग ,उल्लास का मार्ग प्रशस्थकरराष्ट्रीयता ,और राष्ट्रभाषा की दशा और दिशा तय कर मंजिल को सुगमऔर सुलभबनाने कीराह से नफरत की दीवार ढहाने कीप्रवृत्ति की ओर सबको प्रेरितकरने,नेतृत्व करने को आगे बढता है। ऐसा ही व्यक्तित्व है हिन्दी साहित्य परिवार के संस्थापक स्नेह प्रिय अलीअंसारी साहब, इनकी हिन्दी साहित्य के प्रति लगाव,राष्ट्र के प्रति समर्पण, राष्ट्रभाषा के प्रति अद्भुत आकर्षण प्रशंसनीय ही नही सराहनीय भी है। आज के स्थापना दिवस पर 17000 हजार सदस्यता की मंजिल को तय कर आगे बढ्ने की क्षमता इन्हे निश्चित रुप से हिन्दी परिवार की संचालिका,सेवा निवृत,हिन्दी के प्रति समर्पित शिक्षिका श्री मती किरण जो,आधीआवादी का प्रतिनिधित्व करती हैं से ही मिली है।इनका योगदान भी सोने की अंगूठी में हीरे के नग की तरह है। अपने कनिष्ठ पुत्र नीरव के कारण मुझे भी बंगलोर जैसे गैर हिन्दी भाषी प्रदेश में रहने का मौका मिला,नयाआदाब, बंगलोर दुरदर्शन आदि के निमन्त्रण पर जाने का और बोलने का मौका मिला।कौ न कहता है की वह गैर हिन्दी प्रदेश है एक से एक हिन्दी के प्रकांड वहाँ भरे है और इतनी तन्मयता तथा काव्य रस का आनद लेकर लोग तालियां बजाते हैं की आप दंग रह जायेंगे। आज मैं वादा करता हूँ कि अली अंसारी और किरण पाण्डेय के जुझारु व्यक्तित्व का सानिध्य मिला तो राज- भाषा हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के अब तक के अतृप्त
लालसा को पुरा कर हिन्दीको भारत माँ के माथे की विन्दी बना कर उनकी मनोकामना को पुरा करने मेअपनी पुरी ताकत लगा दूंगा ।


हिन्दी साहित्य परिवार को अली-किरन सशक्त करायेंगे। क्षेत्रवाद से उपर उठकर के हिन्दी को सशक्त बनाएँगे। हिन्दी साहित्यपरिवार सेजुड़ने के बाद इंटरनेट लाइव सहित्यिक काव्य गोष्ठियों मे भाग लेने का मौका मिला ।अब तक चार सम्मान पत्र हमे भी मिला,सहभागिता प्रमाण, काव्य श्री सम्मान,श्रेष्ठ काव्य सम्मान आदि। अभी -अभी U P के गोरख पुर स्थित ‘ बाबा गोरख नाथ की तपोस्थली में 16 अप्रेल रविवार को एक भव्य और विशाल हिन्दी एवं बहुभाषा का राष्ट्रीय साहित्यिक कवि सम्मेलन सह सम्मान समारोह का आयोजन हुआ,जिसमे विभिन्न प्रदेशों केसाहित्यकारों की भागीदारी विशेष कर यू पी,बिहार के कवि,कवयित्रीयों का एकबड़ा जमाववाड़ाहुआ। रविवार 16 अप्रेल को हिन्दी साहित्य परिवार के दूसरे स्थापना दिवस पर भारतीय सहित्यिक ,सांस्कृतिकसंस्थान के तत्वावधान में होटल प्रगती इन,एडी माओल के सामने गैस गोदाम गली में सुवह 11 बजे से शां 4 बजे तक कार्य क्रम चलता रहा।रस ,छन्द,अलंकार के साधक आ0 राम शरण साहू’ सजला” जी का आगमन गौरव की बात थी।

बिहार से कई कवि और कवयित्रीयों के अलावे मुझे भी हिन्दी,बज्जिका की कविता व ‘साहित्य से समाज का होगा कैसे विकास विषय पर अपने विचार रखने को आमंत्रित किया गया था बड़ा ही सार्गर्वीत कार्य क्रम हुआ। मुझे भी अंग- वस्त्र, मेमन्टो ,पट्टीएवं प्रशस्थी पत्र से सम्मानित किया गया।,बैंक आफ बडौदा के प्रबंधक,श्री नवीन कुमार श्रीवास्तव,प्रीति वाला सहय,सारोज वाला सहाय, उषा किरण ,प्रतिभा परासर ने भी अपने अपने विचार रखेऔर काव्यपाठ किया। मैं इस तरह के दुरदर्शी कार्य क्रमो के लिए अली अंसारी और किरन पांडे जी को साधुवाद देता हूँ और बराबर ईसतरह के सहित्यिक कार्य- क्रमों से साहित्य परिवार को सशक्त करने का आग्रह कर्ता हूँ ।हम लोगों का भी सहयोग लें। मेरा हिन्दी साहित्य परिवार को संदेश है कि:- निज प्रयास से सदा तुम आगे बढ़ते रहो। बनो सदा आकाशसा,मिटाओ तम प्रकाश सा।। समाज में साहित्य से तुम करो सदा विकास । सामजिक विकास का विचार हो आकाश सा।।
अली जी से हमे संदेशमिला :- रमजान हमें सिखलाता है आपसी स्नेह-प्यार से रहना। नफरत की वारुदी गन्धो औ’जाति-धर्म से दूरहीरहना।। इस प्रकार हम पाते हैं कि हिन्दी साहित्य परिवार का प्रयास,सराहनीय,प्रशंसनीय एवं प्रेरणा दायक ही नही अनुकर्णीय है ।अगर सरकार का , हिन्दी साहित्य सम्मेलन या राजभाषा विभाग का सहयोग और मार्ग दर्शन मिले तो यह साहित्य का सशक्त रुप स्थापित करने में सक्षम प्रतीत होता है। जय हिन्दी,जय हिन्दी साहित्य परिवार ।

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