पहलवान सुनहरे भविष्य के लिए लड़ रहे हैं

पहलवान सुनहरे भविष्य के लिए लड़ रहे हैं
जे टी न्यूज

दिल्ली: जंतर-मंतर से नामी पहलवान बजरंग पुनिया ने कहा –” पहलवानों का परिवार एक है I जब हम मेडल जीतते हैं तो कोई यह नहीं कहता कि मेडल हरियाणा ने जीता I सभी कहते हैं मेडल देश का है I जिन यौन उत्पीड़क के खिलाफ़ आज हम लड़ रहे हैं , वे कहते हैं कि हम हरियाणा के हैं l आज हम अपनी बहन – बेटियों की आत्ममर्यादा के लिए नहीं लड़ें ,तो कभी हम किसी सही बात के लिए नहीं लड़ पाएगें I” वे आगे कहते हैं -” वे (राजनीतिज्ञ) बातें ज्यादा, काम कम करते हैं I हम खेल के लिए लड़ रहे हैं कैसे खेल आगे बढ़े I वे बाहुबली हैं,ताकतवर हैं I 84 मुक़दमे उनपर हैं I सात पहलवान ल़डकियों ने उनपर यौनउत्पीड़न की शिकायत की है I उनके आत्ममर्यादा की लड़ाई न लड़ी गई ,तो कोई परिवार कल कैसे अपनी बच्चियों को कुश्ती में भेजेंगे ?” साक्षी मलिक और विनेश का भी मानना है कि फेडरेशन के भीतर लड़कियों के लिए एक सुरक्षित माहौल हो I यह सवाल जायज है I क्रिकेट का गॉड,उड़नपरी या “दंगल” फिल्म का निर्माता या कलाकार इसे समझे या न समझे !


जब मेरी कॉम मुक्केबाजी में पदक जीती थीं – देश ने उनसे सवाल पूछा था — 200 बच्चों में बस 02 मेडल क्यों ? तीन साल बाद मेरी का जवाब था — वज़ह फेडरेशन की कमियाँ है ! 05 साल बाद विनेश ने भी इशारों में पीएम से फेडरेशन की शिकायत की थी I अभी वे लोग महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के खिलाफ़ खुल्लम-खुल्ला जंतर-मंतर पर हैं I 03 महीने बाद उनका नैशनल गेम है,साल भर बाद ओलंपिक है I उनको इसी वक़्त अखाड़ों में होना था , किंतु देश के सिस्टम ने उनको कहाँ पहुँचा दिया है ? और यह क्यों न हो 


WFI का 13 वर्षों से अध्यक्ष कौन है ? वह खिलाड़ी है या छह बार से बीजेपी का एमपी है, जो संसद का सबसे बड़ा अपराधी है I उनकी पत्नी सांसद है I उनका बेटा विधयक है I बाहुबली की उनकी छवि है I सरकारी जमीनों पर कब्जे का उनका इतिहास है I दाऊद इब्राहिम के साथ उनके रिश्तेनातों की वज़ह से उनपर टाडा केस भी हुआ है l एक ऐसा व्यक्ति कुश्ती संघ का अध्यक्ष कैसे हो सकता है ? क्या किसी भी खेल के फेडरेशन को सत्ता के दबाब से मुक्त नहीं होना चाहिए ?

अन्यथा सुप्रीम कोर्ट के दबाव में पॉस्को की धारा लगने के बाद भी यौन उत्पीड़न का आरोपी आज जेल में नहीं है ! बजरंग का कहना है –” हमारी लड़ाई का महत्त्व किसी मेडल पाने से बड़ा है I” वे असल में खेल का भविष्य देख रहे हैं I साक्षी और विनेश भी इस महत्व को भली – भांति समझती हैं I इसी समय देश को भी इसी महत्व को समझना है कि वे बेटियों को डलिया के भीतर ढंकने की कोशिश न करें I वे मेमने नहीं हैं I उनको साक्षी और विनेश जैसा बनायें — जो अपने भविष्य को दांव पर लगाकर सुनहरे भविष्य के लिए लड़ रही हैं I

Related Articles

Back to top button