वीर स्मरणोत्सव” में सीयूएसबी में याद किए गए 

वीर स्मरणोत्सव” में सीयूएसबी में याद किए गए 

बाबा फतेह सिंह और बाबा जोरावर सिंह

जे टी न्यूज़, गया : दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय में वीर बाल दिवस के उपलक्ष्य में “वीर स्मरणोत्सव” कार्यक्रम का आयोजन शिक्षा विभाग द्वारा मालवीय भवन में किया गया है। इस अवसर पर बाबा फतेह सिंह और बाबा जोरावर सिंह की शहादत को याद किया गया है। इस कार्यक्रम की शुरुआत दोनों शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई, इसके बाद छात्रों के लिए बाबा फतेह सिंह और बाबा जोरावर सिंह के जीवन को प्रदर्शित करने वाली एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म की स्क्रीनिंग की गई है। स्कूल ऑफ एजुकेशन के डीन और शिक्षक शिक्षा विभाग के प्रमुख प्रोफेसर रवि कांत ने मेहमानों का गर्मजोशी से स्वागत किया है।इसके बाद, सीयूएसबी में छात्र कल्याण के डीन प्रोफेसर पवन कुमार मिश्रा ने प्रतिभागियों को संबोधित किया और इस बात पर जोर दिया कि लाखों लोगों के बलिदान के बाद देश को आजादी मिली है। अतः अब अपने राष्ट्र को सुरक्षित रखना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।

इसके बाद, इतिहास विभाग के प्रमुख डॉ. सुशांशु कुमार झा ने वज़ीर खान और गुरु गोबिंद सिंह के बीच वर्ष 1704 में हुए युद्ध के ऐतिहासिक संदर्भ पर प्रकाश डाला और बताया कि कैसे गुरु गोबिंद सिंह के सभी चार पुत्रों ने शहादत को गले लगा लिया है।

इसके ततपश्चात, सीयूएसबी के कुलपति प्रोफेसर कामेश्वर नाथ सिंह ने छात्रों को संबोधित किया और कहा कि गुरु गोबिंद सिंह का परिवार राष्ट्रीय चरित्र का प्रतीक है, जिन्होंने गुरु तेगबहादुर सिंह, स्वयं और उनके चार पुत्रों सहित अपने पूरे परिवार का बलिदान दिया है। आगे उन्होंने कहा कि यह परिवार देशभक्ति की मिसाल है तथा युवाओं के लिए रोल मॉडल है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह संघर्ष इस्लाम और सिख धर्म के बीच धार्मिक टकराव नहीं था, बल्कि यह अच्छाई और बुराई के बीच की लड़ाई थी, जो प्रभुत्व और उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष को दर्शाता है। उन्होंने उस समय के मुगल मंत्री शेरशाह के कार्यों पर भी प्रकाश डाला, जिन्होंने दो निर्दोष बालकों की हत्या न करके गुरु गोबिंद सिंह से बदला लेने से इनकार किया था। उन्होंने बताया कि कैसे शेरशाह का निर्णय उसकी नैतिकता को दर्शाता है।उन्होंने कहा की राष्ट्र भक्ति ही राष्ट्र की शक्ति होती है और उसी से कोई भी राष्ट्र महाशक्ति बनता है। उन्होंने उल्लेख किया कि हिन्दू धर्म एक धर्म नहीं बल्कि एक संस्कृति एवं जीवन जीने का तरीका है। जिसमें “वसुदेव कुटुंबकम” की विचारधारा निहित है। उन्होंने अवसर और संसाधन होने पर अपने राष्ट्र के लिए बलिदान देने में संकोच न करने के महत्व को रेखांकित किया है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि जो लोग देश और समाज के लिए योगदान देते हैं उन्हें दुनिया याद रखती है, बजाय उन लोगों के जो खुद को और अपने परिवार को प्राथमिकता देते हैं।

 

कार्यक्रम का समापन कार्यक्रम समन्वयक, डॉ तरूण कुमार त्यागी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ है। सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रज्ञा गुप्ता ने कार्यक्रम का संचालन किया है। इस अवसर पर डॉ. मंगलेश कुमार मंगलम, प्रो. रोशन कुमार, सहायक रजिस्ट्रार श्री शशि रंजन, एकता कुमारी छात्रावास परिचारिका, विश्वविद्यालय के शोधार्थी छात्र एवं  छात्राएं उपस्थित थे।

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