2024 के संसदीय चुनाव में भाजपा हराओ, देश बचाओ

2024 के संसदीय चुनाव में भाजपा हराओ, देश बचाओ

 

राज्यपाल द्वारा संवैधानिक पदों के गलत इस्तेमाल पर रोक लगाओ

8 फरवरी को केन्द्र सरकार के भेदभाव, राज्यपाल द्वारा संवैधानिक पद का दुरूपयोग के खिलाफ पटना में देशव्यापी प्रतिरोध कार्यक्रम

 

प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए सीपीआईएम राज्य सचिव ललन चौधरी ने

जे टी न्यूज, पटना: मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार के एक दशक के शासन के दौरान देश में महंगाई, बेरोजगारी एवं आर्थिक असमानता में भारी वृद्धि हुई है। सरकार की ओर से इसके बारे में कोई अधिकारिक डाटा जारी नहीं किया जाता है। लेकिन हाल के बी.बी.सी. के यू-ट्यूब न्यूज पोर्टल पर जारी रिपोर्ट के अनुसार कोरोना महामारी के बाद देष के 15 प्रतिषत से अधिक गे्रजुएट और 25 साल के कम उम्र के 42 प्रतिशत ग्रेजुएटस के पास नौकरियाँ नहीं है।

 

भारत के नौजवान इस्राइल जाकर भी काम करने को तैयार है, जहाँ जान जाने का खतरा है। जहाँ तक आर्थिक असमानता का सवाल है, देष की 60 प्रतिशत जनसंख्या के पास देश की सम्पदा का मात्र 4.8 प्रतिशत हिस्सा है। देश के निर्धनतम 13.6 करोड़ लोग लगातार ऋण पर गुजारा करते हैं।

वर्ष 2014 में भारत के शीर्ष 1 प्रतिषत अमीरों के पास राष्ट्रीय आय की 22 प्रतिषत हिस्सेदारी थी अब 0.1 सबसे अमीर लोगों की सम्पदा देश के कुल जनसंख्या के 50 पप्रतिशत से अधिक है।

 

पिछले दस वर्षों में देशी-विदेशी कम्पनियों के हाथों में औने-पौने कीमतों पर देश की परिसम्पत्तियों को बेचा गया है और सभी सार्वजनिक सेवाओं का निजीकरण करने से आम जनता पर शिक्षा, स्वास्थ्य पर खर्चों के बोझ में भारी बढ़ोतरी हुई है। देश के अर्थव्यवस्था के विकास के झुठे आंकड़े पेश कर लोगों को गुमराह किया जाता है।

 

चुंकि भाजपा अर्थनीति की नकारात्मकता से परिचित है अतः उसके संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को तिलांजलि देते हुए अयोध्या में सरकारी स्तर पर राम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के जरिये घृणित रूप से सामप्रदायिक ध्रुवीकरण करने की कोशिश की है, जो देश की धार्मिक, सामाजिक भाषाई विविधता के लिये विनाषकारी है।

 

पिछले 14 वर्षों में सभी संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जा करते हुए देश के संविधान को बदलकर भाजपा सरकार, आर.एस.एस. के हिन्दू राष्ट्र के एजेण्डे को लागू करने के रास्ते पर आगे बढ़ रही है।

उपरोक्त परिस्थिति में देश के तमाम धर्मनिरपेक्ष एवं जनतांत्रिक शक्तियों को 2024 के संसदीय आम चुनावों में मोदी के नेतृत्ववाली भाजपा को हराने के लिए एकजुट होने की जरूरत है।

यह अत्यंत दुर्भाग्यजनक है कि जिस बिहार ने इंडिया गठबंधन को एक करने की दिशा में अगुवाई की थी, नीतीश कुमार ने उसके साथ गद्दारी करते हुए पूरी बेशर्मी के साथ एक बार फिर से घोर राजनीतिक अवसरवादिता एवं राजनीतिक पतन का उदाहरा प्रस्तुत किया है।

आशा है कि बिहार ने जिस तरह आपातकाल के खिलाफ लड़ाई की अगुवाई कर देश को तानाशाही के शिकंजे से बचाया था, उसी तरह इस बार के संसदीय चुनाव में और खासकर नीतीश कुमार को धूल चटाने का काम करेगी।

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) अगले दो महीनों में वाम जनवादी शक्तियों के साथ व्यापक राजनीतिक अभियान चलायेगी और पार्टी उम्मीदवारों के साथ-साथ भाजपा विरोधी सहयोगी दलों को जिताने के लिये हर संभव प्रयास करेगी।

पार्टी, अगामी 8 फरवरी को केरल की वाम जनतांत्रिक सरकार के खिलाफ केन्द्र सरकार के भेदभाव, राज्यपाल द्वारा संवैधानिक पद के दुरूपयोग के खिलाफ देशव्यापी प्रतिरोध कार्यक्रम के तहत् पटना के गर्दनीबाग में धरना आयोजित करेगी।

संवाददाता सम्मेलन में सीपीआईएम राज्य सचिव ललन चौधरी, केन्द्रीय कमिटी सदस्य अवधेश कुमार कुमार, विधायक दल नेता अजय कुमार, राज्य सचिव मंडल सदस्य अहमद अली मौजूद थे!*

निवेदक

मनोज कुमार चंद्रवंशी, राज्य कमिटी सदस्य

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