16 फरवरी ग्रामीण भारत बन्द तथा औद्योगिक हड़ताल को सफलता के लिए किसान मजदूरों की व्यापक तैयारी-प्रभुराज नारायण राव
जे टी न्यूज़ : संयुक्त किसान मोर्चा तथा केंद्रीय ट्रेड यूनियनो द्वारा एमएसपी को कानूनी गारंटी , स्वामीनाथन कमीशन की अनुशंसाओं को लागू करने, किसानों को कर्ज से मुक्त करने, दिल्ली बॉर्डर पर शहीद 750 किसानों के परिवार को मुआवजा देने, लखीमपुर खीरी के पांच किसानो की हत्या के आरोपी गृह राज्य मंत्री मंत्री अजय मिश्र टेनी को बर्खास्त कर हत्या का मुकदमा चलाने , C2 + 50% किसानो को देने आदि मांगों को लेकर किसान 16 फरवरी को ग्रामीण भारत बंद तथा केंद्रीय श्रम संगठनों द्वारा 4 श्रम संहिता के खिलाफ मजदूरों के अधिकारों को लगातार सरकार द्वारा छीने जाने के खिलाफ तथा बढ़ते महंगाई के आधार पर मजदूरों को वाजिब मजदूरी आदि मांगों को लेकर आम औद्योगिक हड़ताल का आह्वान किया गया है।यह दोनों कार्यक्रम किसान और मजदूरों की संयुक्त कार्रवाई द्वारा सफल किया जाएगा। इसी रोशनी में देश भर के किसान संगठन तथा मजदूर संगठन लगातार अपनी रणनीतियां बनाने में लगे हुए हैं । इससे महत्वपूर्ण किसान और मजदूरों की मांगों से लोगों का दिमाग भटकाने के लिए केंद्रीय सरकार नए-नए सगूफे छोड़ रही है। 22 जनवरी को अयोध्या में श्री राम का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम विशुद्ध राजनीतिक कार्यक्रम था ।यही कारण था कि धार्मिक कार्यक्रम के बदले राजनीतिक कार्यक्रम होने के चलते चारों शंकराचार्य समारोह का बहिष्कार किए। अनेकों धार्मिक गुरु इस राजनीतिक समारोह से अपने को अलग रखा। जबकि इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रधान मोहन भागवत , उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी, राजपाल आनंदी बेन पटेल जैसे अनेक भाजपा के नेता इस समारोह में उपस्थित थे ।लेकिन अन्य सभी दलों के नेताओं ने इसका बहिष्कार किया। इसका राजनीतिक लाभ लेने के नियत से ही ये सारी कारवाई संघ और भाजपा द्वारा हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय संविधान और धर्मनिरपेक्षता की धज्जी उड़ाते हुए अपने निहित स्वार्थ के लिए इस धार्मिक कार्रवाई को अंजाम दिया।
प्रधानमंत्री और उनका कुनबा यह समझता है कि 2024 का लोकसभा चुनाव जय श्री राम के नाम पर हम जीत जाएंगे । जय श्री राम में आस्था रखने वाले लोग हमें अपना मत देंगे और हमारी विजय हो जाएगी। इतना ही नहीं वह देश के अंदर सांप्रदायिक उन्माद को भी लगातार बढ़ावा दे रहे हैं। पूरे देश में नफरत की हवा चल रही है ।हिंदू और मुसलमान के बीच दूरी पैदा किया जा रहा है और मूल जो समस्याएं हैं जैसे आम जनता की महंगाई , बेरोजगारी , किसानो को आत्महत्या से बचाना। कृषि कर्ज से किसानों को मुक्त करना। एमएसपी को कानूनी दर्जा देने जैसे समस्यायों से लोगों को भटकाने के लिए ढेर सारी कार्रवाई चल रही है। लोकसभा भवन के शिलान्यास के समय देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद थे । नई लोकसभा भवन का शिलान्यास करने का प्रथम कर्तव्य राष्ट्रपति का होता है । लेकिन आरएसएस की नजरों में वे दलित जाति से आते थे । इसलिए उनको दायित्व से वंचित कर दिया गया । ठीक उसी तरीके से नई लोकसभा के उद्घाटन के समय देश की राष्ट्रपति एक आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू को इस समारोह से अलग कर दिया गया। क्योंकि यह आदिवासी होने के चलते हिंदू धर्म के विधि विधान की कार्यों में सम्मिलित नहीं हो सकती और स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उद्घाटन समारोह को संविधान की मर्यादाओं का तनिक भी ख्याल नहीं रखते हुए निहायत ही धार्मिक माहौल बनाकर नई संसद में धर्म से जुड़े धर्म गुरुओं ,साधु, संतों का समारोह बनाकर कार्रवाई को अंजाम दिया गया । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समाजवादी नेता बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर , चौधरी चरण सिंह, एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न मरणोपरांत दिया है ।यह कोई भाजपा की स्वस्थ परंपरा के कारण नहीं है । बल्कि अयोध्या बाबरी मस्जिद का विध्वंस करने वाले कट्टर हिंदू धार्मिक नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देना था। जिसके लिए रास्ता प्रशस्त किया गया है। देश को कलंकित करने वाले, स्वतंत्रता आंदोलन को कमजोर करने वाले और अंग्रेजों को सहयोग करने वाले सावरकर, हेडगेवार, गोलवरकर को भी भारत रत्न देने की योजना संघ और मोदी ने बना रखा है ।
ऐसी गंभीर स्थिति में देश का विपक्ष एकजुट होने में अभी सफलता नहीं पाया है । पूरा विपक्ष यानी इंडिया को मूर्त रूप देने वाला बिहार का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं मोदी की गोद में जा बैठा है। अब पूरी जवाबदेही कांग्रेस की है। जिसका मुख्य नायक राहुल गांधी भारत जोड़ो नया यात्रा की मुहिम में लगे हुए हैं और उनको इंडिया गठबंधन की मजबूती ,सीटों की समस्याओं को सुलझाने की जवाबदेही नजर नहीं आती ।ऐसी स्थिति में निश्चित रूप से कांग्रेस बिखर रहा है । विपक्ष निराशा का शिकार हो रहा है और कांग्रेस की तरफ से एकजुटता की कोई पहल नहीं दिख रही है । जिसकी आज आवश्यकता है।