चुनावी बॉन्ड का फंडा आकंठ डूबे मोदी की भ्रष्टाचार का करेगा पर्दाफाश रिपोर्ट- प्रभुराज नारायण राव
चुनावी बॉन्ड का फंडा आकंठ डूबे मोदी की भ्रष्टाचार का करेगा पर्दाफाश
रिपोर्ट- प्रभुराज नारायण राव

जे टी न्यूज
चुनावी बॉन्ड के नाम पर कारपोरेटी काला बाजारियों से 16 हजार करोड़ रुपए काला धन अपने खाते में डलवाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ साफ कहा था कि इस चुनावी बॉन्ड की जानकारी किसी स्रोत से नहीं ली जा सकती है। यह दान के रुप में दिए गए पैसे हैं। 2014 के पहले भी देश के कारपोरेट जगत अपनी मर्जी के अनुरुप चुनावी पैसे देते थे।एक बार टाटा ने सी पी आई (एम) पार्टी को भी 60 हजार डॉलर का चेक दिया था। जिसको सी पी आई (एम)ने अस्वीकार करते हुए टाटा कंपनी को लिखा था कि हमारी पार्टी आपकी नीतियों के खिलाफ संघर्ष करती है। हम आपको सहयोग नहीं कर सकते। इसलिए आपके चेक पार्टी लौटा रही है।इस तरह संभव है कि चुनावी बॉन्ड के कुछ हिस्से कुछ अन्य पार्टियों को भी मिला हो।

इस तरह की मोटी चुनावी रकमें भाजपा या प्रधानमंत्री की झोली में आने के अनेकों रास्ते खुल गए। 2018–19 में बिहार के भाजपा ,जदयू की नीतीश कुमार की सरकार ने 10 रुपए प्रति क्विंटल का अनुदान बिहार के चीनी मिल मालिकों को दिया। यह बात हजम नहीं हो रही थी। बाद में पता चला कि जो चीनी मिल जितना क्विंटल गन्ना पेराई किया।उसके हिसाब से प्रति क्विंटल 10 रुपए के हिसाब से कुल पैसे मिल मालिकों ने नीतीश कुमार को वापस कर दिए। जो अरबों रुपए लोक सभा चुनाव जीतने के लिए खर्च किए गए।इन काले धन को उजागर करने के लिए देश की मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की पोलित ब्यूरो ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। तो सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय बेंच द्वारा सर्व सम्मति से यह निर्णय सुनाया गया कि इलेक्टोरल बॉन्ड द्वारा राजनीतिक दलों को मिलने वाले पैसों को गुप्त रखे जाने का कोई औचित्य नहीं दिखता । बल्कि यह कानूनन अपराध है।

इसलिए इन रुपयों का पूरा ब्यौरा देश की जनता के बीच जाना चाहिए। यह कहते हुए कितने पैसे किसको दिए गए उसका पूरा रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने मांगा है। आज यह भी प्रमाणित हो गया है कि इस देश में एक मात्र राजनीतिक दल माकपा ही है । जो किसी भी कारपोरेट घरानों से कभी भी कोई चन्दा नहीं लिया है।


