राज भवन पर शिक्षा माफिया का कब्जा

राज भवन पर शिक्षा माफिया का कब्जा
जेटी न्यूज।


समस्तीपुर । जी हां, उपर सही पढा आपने, हालिया कुलपति के चयन पर सरसरी निगाह डालें तो कथन की सच्चाई का आभास होगा। खबर है कि वरियता को ताक पर रख कुलपति के चयन केलिए लाखों में डील हुई है। सनद रहे कि बिहार में मात्र राज्यपाल बदले गए हैं, न कि राज भवन के सभासद। फलत: एक अच्छे छवि वाले राजपाल की बदनामी हो रही है। बताते चलें कि बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों में भ्रष्टतम लोगों की कुलपति के रूप में नियुक्ति के कारण शिक्षा का चीर हरण होना लगा है। जानकारी के मुताबिक मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संजय कुमार की नियुक्ति में राज भवन में पदस्थापित अधिकारियों ने राज्यपाल की आंखों में धूल झोंककर नियुक्ति पत्र निर्गत कर दिया। चर्चा यह भी है कि प्रोफेसर संजय जिन जिन कॉलेजों में प्राचार्य के पद पर कार्य किया सभी जगह लाखों लाख रुपए की गवन किए जाते हैं किसी भी कॉलेज से एक कॉलेज से दूसरे कॉलेज जाने के क्रम में इन्हें आनपति प्रमाण पत्र नहीं लिया और न लेने की कोशिश की क्योंकि इन पर लाखों लाख गवन की कई गंभीर आरोप है राज भवन में पदस्थापित न्यायिक सेवा के अधिकारी एवं अन्य अधिकारी हाल में हुए कुलपति की नियुक्तियों में दो-दो करोड रुपए की वसूल किए जाने की चर्चा है। एनडीए गठबंधन में मंत्री से लेकर राज भवन और विश्वविद्यालय में केवल लूट खसोट के अलावा कोई काम नहीं होता है।

उल्लेखनीय है कि 2017 से सरकार द्वारा दिए गए अनुदान भी निजी कॉलेजों के प्रबंधन और कुलपति के साठ गांठ से शिक्षकों को प्राप्त नहीं हुआ है जानकारी के मुताबिक मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति मिथिला विश्वविद्यालय से साढे 5 करोड़ की राशि एक फेक नाम से लखनऊ पंजाब नेशनल बैंक में ट्रांसफर का विश्वविद्यालय को भारी स्तर पर चूना लगाया जिसकी शिकायत विश्वविद्यालय के कई शिक्षक और अप्पन पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव स, ने राज भवन और राज्य सरकार को पत्र लिखकर जांच करने की मांग की है।

परंतु शिक्षा माफियाओं के प्रभाव में तैनात अधिकारियों ने राज भवन में जांच की गई और ना ही राज्य सरकार के शिक्षा विभाग दोनों जगह शिक्षा माफिया हावी रहा है उदाहरण के रूप में अगस्त सितंबर2023 में पार्ट 2 की परीक्षा कब मूल्यांकन और प्रयोग प्रयोग परीक्षा में सम्मिलित शिक्षकों की पैसा आज तक भुगतान नहीं किया गया किसी ने कुछ भी बताने से बचते नजर आ रहे हैं, समाचार लिखने तक भुगतान नहीं किया जा सका है राज भवन और विश्वविद्यालय के साठ गांठ से शिक्षा व्यवस्था को चौपट किए जाने की एक साजिश रची जा रही है।

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