*तड़पता होली*
*तड़पता होली*

प्रभुराज नारायण राव
जब भी चाहो बसंत को लाओ,
होली एक बहाना है।
खुशियां जब भी झोली में हो
समझो वसंत को आना है।
आर्यावर्त में होली की यह
परम्परा निराली है,
दिखते सिर्फ आंसुओं के मोती
कहीं कहीं खुशियाली है।
हिंदुस्तान की जनता के बीच
आयेगा उस दिन वसंत,
भ्रष्टाचार का नाम मिटेगा
कारपोरेट का होगा अंत ।
मोदी अडानी की चलती है
इनका नाचो गाना है,

मुट्ठी भर लो तुम भी अपनी
इनको हमें हराना है।
खुशियां होगी तब झोली में
तभी वसंत को आना है।



