डिग्री एफिलिएटेड कालेजों को वर्ष 2016 के बाद नहीं मिला अनुदान

डिग्री एफिलिएटेड कालेजों को वर्ष 2016 के बाद नहीं मिला अनुदान


जे टी न्यूज, पटना (प्रो अरुण कुमार) : सरकार की उदासीनता से राज्य के संबद्ध डिग्री कालेजों में काम कर रहे हजारों शिक्षक और कर्मचारियों के समक्ष भुखमरी की स्थिति बनी हुई है। कहीं से कोई इन कर्मचारियों की सुधि लेने वाला नहीं है।इन कालेजों में काम करने वाले कर्मचारियों को वर्ष 2016 के बाद कोई अनुदान नहीं मिला है।विगत आठ वर्षों से वगैर पैसे के इन कर्मचारियों के लिए काम करना मजबूरी बन गई है।शिक्षक स्नातक क्षेत्रों से जीतने वाले विधान पार्षद और अनेकों विधायकों ने बार बार इस मामले को सरकार के समक्ष रखा है।सदन में भी जोड़दार आबाज उठाई गई है, वाबजूद इसके इस समस्या का समाधान खोजने में सरकार ने दिलचस्पी नहीं दिखाई है। उल्लेखनीय है कि बिहार में सबा दो सौ के करीब डिग्री एफिलिएटेड कालेज संचालित है।इन कालेजों पर संचालकों का अघोषित कब्जा है। अधिकांश कालेज राजनीतिक रसूखदारों या उनके वंशजों के कब्जे में है। इसीलिए इस प्रकार के कालेज लूट खसोट का अड्डा बना हुआ है और कालेज में काम करने वाले कर्मचारी निरीह प्राणी बने हुए हैं। यही कारण है कि माननीय उच्च न्यायालय और महामहिम राज्यपाल के आदेश की कालेज की समस्त आय की 70 प्रतिशत राशि वेतन मद में भुगतान की जाय का लाभ कालेज कर्मचारियों को नहीं मिल पा रहा है।

अधिकांश कालेजों में इस प्रावधान का उलंघन किया जा रहा है। महज कागज पर इसका हिसाब बना कालेज प्रबंधन द्वारा बंदरबांट किया जा रहा है। बिहार में संचालित तकरीबन 230-232 संबद्ध डिग्री कालेजों में सरकार द्वारा कर्मचारियों के वेतन भुगतान के लिए छात्र व परिणाम आधारित अनुदान भुगतान की व्यवस्था की गई है। इसके लिए हर वर्ष संस्थान में उत्तीर्ण करने वाले छात्रों की संख्या और श्रेणी के अनुसार दी जाने वाली अनुदान राशि की गणना कर पैसे आवंटित किए जाते हैं। पहले गणना की गई संपूर्ण अनुदान राशि कालेजों को दे दी जाती थी।अब इसमें भी एक बड़ा बदलाव कर कर्मचारियों को बड़ा झटका दे दिया गया है।अब किसी भी कालेजों को अनुदान मद में प्रतिवर्ष डेढ़ करोड़ की राशि ही दी जा रही है, चाहें गणना में छात्र व परिणाम के आधार पर उस कालेज की अनुदान राशि पांच करोड़ क्यों न बनती हो ! जबकि डेढ़ करोड़ से कम गणना वाले कालेजों को पूरी अनुदान राशि दे दी जाती है। सरकार द्वारा दी जाने वाली अनुदान राशि का भुगतान वर्ष 2016 के वाद नहीं किया गया है।


इसके अलावा डिग्री एफिलिएटेड कालेजों में कालेज की समस्त आय की 70 प्रतिशत राशि का भुगतान वेतन मद में किया जाना है।कालेज प्रबंधनों की दबंगई से यह राशि भी शिक्षक एवं कर्मचारियों को नहीं मिल पा रहा है।कुल मिलाकर राज्य के अधिकांश डिग्री एफिलिएटेड कालेज राजनेता और उनके खानदानों के चंगुल में क़ैद है और उनमें काम करने वाले शिक्षक और कर्मचारी भुखमरी के शिकार हैं। संबद्ध कालेज के एक शिक्षक कहते हैं कि “कैसे कटी कैसे कटी, अनुदान बिना जिंदगी कैसे कटी”। कहते हैं कि 80-90 के दशक में खुलने वाले इन डिग्री एफिलिएटेड कालेजों में कार्यरत शिक्षक और कर्मचारियों की उम्र 55-56 पार कर गयी है। सारे लोग बूढ़े और बीमार हो रहे हैं। ऐसे में पैसे की सख्त जरूरत है।और सरकार वर्ष 2016 के वाद अनुदान राशि जारी ही नहीं की है।

 

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