*अखिल भारतीय शुगर केन फार्मर्स की केन्द्रीय कार्यकारिणी की बैठक कलबुरगी में*

*अखिल भारतीय शुगर केन फार्मर्स की केन्द्रीय कार्यकारिणी की बैठक कलबुरगी में*


ऑल इण्डिया शुगर केन फार्मर्स फेडरेशन की केन्द्रीय कार्यकारिणी कमिटी की बैठक 30 सितम्बर को हो रहे कर्नाटक के कलबुरगी में भाग लेने के लिए बिहार से बिहार राज्य ईख उत्पादक संघ के महासचिव प्रभुराज नारायण राव तथा उत्तर प्रदेश गन्ना किसान संघ के संयोजक साधु शरण प्रसाद एक साथ जाते हुए रायचूर में रुके ।यहां से कलबुरगी जाने के लिए ट्रेन बदलने के लिए रुके।
रायचूर स्टेशन पर महात्मा गांधी के दुर्लभ पेंटिंग को देखने का मौका मिला।ब्रिटिश भारत से आजादी के बाद 1947 में लोग जश्न मना रहे थे।रायचूर हैदराबाद निजाम के अधीन था।उसे अभी निर्णय लेना बाकी था कि वह भारत में रहे या पाकिस्तान जायl


उसके निजाम में एक तबका गांधी के चहेते थे।तो दूसरी तरफ हैदराबाद निजाम के आतंक और किसान ,मजदूरों पर ढाहे जा रहे जुल्म के खिलाफ लाल झण्डे के सहारे कम्युनिस्ट पार्टी नेतृत्व में किसान लड़ रहे थे।रायचूर के करीब डेढ़ करोड़ लोगों को अभी आजादी नहीं मिली थी।निजाम का कुख्यात अर्द्ध सैनिक बल रजाकार रियासत की दक्षिणी,पश्चिमी सीमा पर स्थित रायचूर शहर को रखवाली कर रहा था।उसे निजाम के खिलाफ विद्रोह करने वाले किसी भी व्यक्ति को जान से मार डालने का आदेश था।लेकिन रायचूर को आजाद कराने के लिए 13 महीने तक संघर्ष जारी रहा।तब तक भारत की नव गठित भारतीय सेना ने हैदराबाद पर कब्जा कर लिया।
अभी रायचूर कर्नाटक का हिस्सा है।यह नदियों से घिरा हुआ है।इसके उतर में कृष्णा तथा दक्षिण में तुंगभद्रा नदी है।रायचूर की हट्टी भारत के सक्रिय सोने का एकमात्र खद्दान है।यहां कपास की खेती भी होती है।

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