यू. आर. कॉलेज रोसड़ा: अतीत का गौरव वर्तमान की चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाएँ
प्रधानाचार्य डॉ. घनश्याम राय के नेतृत्व में महाविद्यालय में हो रहे ऐतिहासिक सुधार
यू. आर. कॉलेज रोसड़ा: अतीत का गौरव वर्तमान की चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाएँ / प्रधानाचार्य डॉ. घनश्याम राय के नेतृत्व में महाविद्यालय में हो रहे ऐतिहासिक सुधार
जे टी न्यूज, रोसड़ा (समस्तीपुर):
यू. आर. कॉलेज रोसड़ा, जो कभी उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान रखता था, आज संरचनात्मक उपेक्षा, प्रशासनिक उदासीनता और संसाधनों की कमी से जूझ रहा है। इसी विषय पर शोधार्थी रुपेश कुमार यादव और प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ. घनश्याम राय के बीच एक विशेष संवाद हुआ, जिसमें महाविद्यालय की वर्तमान स्थिति, समस्याएँ और सुधार की संभावनाओं पर गहन चर्चा की गई।प्रधानाचार्य डॉ. राय ने कॉलेज की डायरी और कैलेंडर भेंट स्वरूप प्रदान किए और बताया कि यदि प्रशासनिक सहयोग मिले तो यह महाविद्यालय पुनः अपनी गौरवशाली पहचान प्राप्त कर सकता है।
1960 में हुई थी कॉलेज की स्थापना-
यू. आर. कॉलेज रोसड़ा की स्थापना 1960 में रोसड़ा कॉलेज के रूप में हुई थी, जिसे बाद में महर्षि उदायनाचार्य के नाम पर पुनर्नामित किया गया। इसकी स्थापना में भूमिदाता बाबू राम विलास की महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिनकी दूरदृष्टि और परोपकारिता ने इस क्षेत्र में उच्च शिक्षा की नींव रखी। यह महाविद्यालय 12 एकड़ भूमि में फैला हुआ है और रोसड़ा अनुमंडल का एकमात्र उच्च शिक्षण संस्थान है। लेकिन संरचनात्मक जर्जरता और प्रशासनिक उदासीनता के कारण इसका विकास अवरुद्ध हो गया है।
संरचनात्मक अव्यवस्था और सुविधाओं की कमी- महाविद्यालय के कई भवन जर्जर स्थिति में हैं, जिन्हें अविलंब मरम्मत और पुनर्निर्माण की आवश्यकता है। छात्रों की संख्या में वृद्धि के बावजूद नए शिक्षण कक्षों का निर्माण नहीं हुआ, जिससे विद्यार्थियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।महाविद्यालय परिसर में स्थित पोखर लंबे समय से उपेक्षित पड़ा है, जिसका पुनर्विकास आवश्यक है।
छात्रावासों की दुर्दशा, महिला छात्रावास शीघ्र शुरू होने की संभावना- महाविद्यालय की भूमि पर जिलाधिकारी के निर्देशानुसार अति पिछड़ा एवं अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए छात्रावास का निर्माण हुआ, लेकिन इसमें महाविद्यालय के छात्रों की उपस्थिति नगण्य है। बाहरी छात्रों के समायोजन के कारण महाविद्यालय के विद्यार्थियों को छात्रावास की सुविधा नहीं मिल पा रही है।महिला छात्रावास को शीघ्र प्रारंभ करने का आश्वासन प्रधानाचार्य ने दिया है।
शिक्षकों और कर्मचारियों की भारी कमी- महाविद्यालय में कई विषयों के शिक्षक पद रिक्त हैं, जिससे विद्यार्थियों की शिक्षा प्रभावित हो रही है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भारी कमी के कारण प्रशासनिक कार्यों में बाधाएँ उत्पन्न हो रही हैं। रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्ति आवश्यक है ताकि शिक्षण और प्रशासनिक कार्य सुचारू रूप से संचालित हो सकें।
महाविद्यालय के पुस्तकालय के पुनरुद्धार की आवश्यकता- यू. आर. कॉलेज रोसड़ा का पुस्तकालय मिथिला क्षेत्र के प्रमुख अध्ययन केंद्रों में से एक बनने की क्षमता रखता है। इसे आधुनिक सुविधाओं से युक्त करने और शोध एवं उच्च अध्ययन का केंद्र बनाने की योजना पर कार्य किया जा रहा है।
एनएसएस और एनसीसी की सक्रिय भूमिका- महाविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) और राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। ये कार्यक्रम छात्रों में अनुशासन, नेतृत्व क्षमता और सामाजिक दायित्व की भावना विकसित कर रहे हैं।
महाविद्यालय सुधार के लिए आवश्यक सुझाव- 1. रिक्त शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मियों के पदों पर शीघ्र नियुक्ति की जाए।
2. महाविद्यालय को परीक्षा केंद्र से अलग किया जाए, ताकि नियमित कक्षाएँ सुचारू रूप से संचालित हो सकें। 3. जर्जर भवनों के पुनर्निर्माण और नए भवनों के निर्माण की प्रक्रिया शीघ्र आरंभ हो। 4. छात्रावासों को सुविधाजनक और पूर्णतः क्रियाशील बनाया जाए। 5. पुस्तकालय को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाए, जिससे यह शोध एवं उच्च अध्ययन का प्रमुख केंद्र बन सके।
प्रधानाचार्य डॉ. घनश्याम राय के नेतृत्व में महाविद्यालय में ऐतिहासिक सुधार- यू. आर. कॉलेज रोसड़ा के प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ. घनश्याम राय ने अपने 9 महीने के कार्यकाल में महाविद्यालय में व्यापक सुधार किए हैं। ✔ IQAC (आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ) की स्थापना, ✔ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हॉल का निर्माण, ✔ नया परीक्षा भवन, प्रिंसिपल चैंबर, एंटी-चैंबर, पैंट्री और डायनिंग रूम, ✔ सभी कक्षाओं और पुस्तकालय का आधुनिकीकरण।
डॉ. राय ने इससे पहले जी. एम. आर. डी. कॉलेज, मोहनपुर, समस्तीपुर में तीन वर्षों तक प्रधानाचार्य रहते हुए ऐतिहासिक कार्य किए थे। वे पूर्णिया विश्वविद्यालय और नालंदा खुला विश्वविद्यालय में बतौर कुलसचिव भी महत्वपूर्ण योगदान दे चुके हैं।उदयनाचार्य रोसड़ा कॉलेज उनके अनुभव और मैनेजमेंट से कम समय में ही गुणवत्ता के साथ साथ पारदर्शिता को प्राप्त कर लिया है।
राष्ट्रीय पहचान की ओर अग्रसर यू. आर. कॉलेज रोसड़ा- प्रधानाचार्य डॉ. राय का मानना है कि यदि सरकार और प्रशासन उच्च शिक्षा सुधारों को प्राथमिकता दें, तो यू. आर. कॉलेज रोसड़ा को राष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित संस्थानों की श्रेणी में लाया जा सकता है। इसके लिए आवश्यक है:- संरचनात्मक और शैक्षणिक सुधार, प्रशासनिक सहयोग और पारदर्शिता, स्थानीय समाज और पूर्व छात्रों का सहयोग।
डॉ. राय ने स्पष्ट किया कि उच्च शिक्षण संस्थानों को बचाने का एकमात्र रास्ता यही है कि समाज अपने सहयोग से इन्हें पुनर्जीवित करे। यदि प्रशासन, समाज और पूर्व छात्र मिलकर इस दिशा में कार्य करें, तो यू. आर. कॉलेज रोसड़ा पुनः अपने गौरवशाली अतीत की ओर लौट सकता है और आने वाली पीढ़ियों के लिए उच्च शिक्षा का उत्कृष्ट केंद्र बन सकता है।

