बसंत*
बसंत*
जे टी न्यूज
देखो मधु-मधुर बसंत का हुआ आगमन
नीरव मन के आँगन में खिला स्नेहिल सुमन।
अवनि ओढ़ ली पीली-पीली चुनरिया, प्रकृति,
नवपल्लवित हो उठी पेड़ पौधों को मिला नवजीवन।
रंग बिरंगे फूलों से मादक हो गया वातावरण।
किंशुक, पलाश के लाल लाल फूल लगे मनभावन।
देखो अनुराग भरा ॠतुराज का हुआ आगमन।।
मधु-विभव लुटाती ऐसी चली है मदमस्त पवन,
हरे-भरे तरु-पल्लव झूमें और झूमें गेहूँ की बाली
देखो मदमाते बौरों से लद गयी आमों की डाली
चना,मटर,अरहर लहलहाये चहुँओर फैली हरियाली
अनुपम दृश्य देखकर हर्षित हुआ जन-जन का मन।
देखो मधु-मधुर बसंत का हुआ आगमन।।
कोयल की कूक से भौंरो के गुंजन से गुंजार हुआ गुलशन
जड़-चेतन अवचेतन मन में नव चेतना का संचार हुआ।
सरसों की भीनी भीनी खुशबू से सुरभित हुई साँसे,
अह्लादित, उल्लासित तरंगित हुआ सबका हृदयाँगन।
पुलकित प्रफुल्लित दिगंत ,कुसुमित हुआ कानन
गुनगुनी मीठी धूप में निखर-निखर सी गयी यौवन,
प्रियतम के आलिंगन को आतुर विरहन का तनमन।
देखो मधु-मधुर बसंत का हुआ आगमन।।
स्वरचित
अनुपमा अनुपमा सिंह सोनी

