चमकते सितारों से सजेगा परबत्ता विधानसभा का चुनावी अखाड़ा
नामी गिरामी दिग्गजों के चुनाव लड़ने की है संभावना
चमकते सितारों से सजेगा परबत्ता विधानसभा का चुनावी अखाड़ा / नामी गिरामी दिग्गजों के चुनाव लड़ने की है संभावना
जे टी न्यूज़, खगड़िया(गीता कुमार): चुनावी स्पेशल स्टोरी • परबत्ता विधानसभा क्षेत्र का चुनावी गणित परबत्ता विधानसभा क्षेत्र के इतिहास की बात करें तो इस विधानसभा क्षेत्र में जब भी जदयू और राजद आमने-सामने रहा है तो विधानसभा चुनाव में कांटे की टक्कर देखने को मिला है।अब तक परबत्ता विधानसभा में जदयू और राजद के बीच में पांच बार सीधा मुकाबला हुआ है।जिसमें राजद प्रत्याशी दो बार जीते हैं तथा जदयू के प्रत्याशी तीन बार जीते हैं।बात करें वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में परबत्ता विधानसभा सीट से राजद के प्रत्याशी के तौर पर सम्राट चौधरी ने चुनाव जीता था। वहीं 2004 के उपचुनाव में राजद प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा था। जदयू प्रत्याशी रामानंद प्रसाद सिंह ने पहली बार जेडीयू का परचम लहराया था। वहीं 2005 फरवरी के विधानसभा चुनाव में फिर से राजद प्रत्याशी और जदयू प्रत्याशी के बीच में आमना सामना हुआ। जहां पर राजद प्रत्याशी को मात्र 1977 वोटो से हार का सामना करना पड़ा था। वहीं 2010 के चुनाव में फिर से राजद प्रत्याशी सम्राट चौधरी ने जदयू प्रत्याशी रामानंद प्रसाद सिंह को महज 808 मतों से चुनाव हराकर दूसरी बार जीत दर्ज किया था।
दिलचस्प रहा था 2020 का विधानसभा चुनाव
2020 के विधानसभा चुनाव में राजद और जदयू के बीच पांचवां मुकाबला देखने को मिला था। जहां राजद और जदयू प्रत्याशी में कांटे की टक्कर देखने को मिला था। जदयू के डॉक्टर संजीव कुमार ने राजद प्रत्याशी दिगंबर प्रसाद तिवारी को 951 मतों से चुनाव हरा दिया। इस बार का मुकाबला भी बहुत ही कांटे और दिलचस्प होने के आसार हैं। इस वर्ष 2025 विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है। परबत्ता विधानसभा सीट एक तरह से कहा जाए दोनों पार्टियों की तरफ प्रत्याशी के तौर पर संभावना कुछ और बन सकता है। बहरहाल परबत्ता सीट से जदयू और राजद के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकता है।
प्रत्याशियों की लगी है लंबी कतार, किसे मिलेगा यह होगा टिकट बड़ा सवाल..
बताते चले कि जदयू के निवर्तमान विधायक डॉ संजीव कुमार इस बार फिर से जदयू के उम्मीदवार के तौर पर दावेदारी कर रहे हैं। वहीं उनकी चर्चा परबत्ता विधानसभा के चौक चौराहे पर राजद के प्रत्याशी के तौर पर भी हो रही है। इस चर्चा ने परबत्ता की राजनीति को गर्म कर दिया है। लेकिन पत्रकारों से बातचीत के दौरान डॉक्टर संजीव कुमार का कहना है कि उन्हें फिर से नीतीश कुमार का आशीर्वाद प्राप्त है और वे फिर से परबत्ता विधानसभा से जदयू के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव में उतरेंगे। वहीं जदयू से पूर्व मुख्यमंत्री सतीश प्रसाद सिंह के पुत्र सुनील सिंह की सक्रियता देखी जा रही है।उनका दावा है कि नीतीश कुमार का आशीर्वाद उनके साथ है। वहीं एनडीए के घटक दलों में भाजपा के द्वारा परबत्ता सीट से चर्चित चेहरा उतरने की संभावना दिख रही है।परबत्ता के पूर्व विधायक व प्रदेश के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के चुनाव लड़ने की भी बातें चौक चौराहे पर हो रही है। वहीं उनकी धर्मपत्नी को भाजपा का टिकट मिलने को लेकर भी लोगों में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही है। वहीं राजद के कोर वोटो में सेंधमारी के लिए यादव जाति से आने वाले वेद प्रकाश यादव की भी दावेदारी भाजपा के प्रत्याशी के तौर पर देखी जा रही है। जबकि भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता परबत्ता विधानसभा से दो बार चुनाव लड़ चुकी सुहेली मेहता की भी दावेदारी है। वहीं अगले 2020 के विधानसभा चुनाव में लोजपा के प्रत्याशी के तौर पर बाबूलाल शौर्य चुनाव लड़े थे। उनकी भी दावेदारी भाजपा से होने की बात चल रही है।
वहीं महागठबंधन के मुख्य घटक दल में भी टिकट लेने वालों की कमी नहीं है। राजद से दिगंबर तिवारी की पत्नी सुरेखा तिवारी की चुनाव लड़ने की दावेदारी है। वहीं एनडीए का कोर वोटर समझें जाने वैश्य बनिया समाज से आने परबता नगर पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि रंजीत कुमार साह की दावेदारी राजद प्रत्याशी के तौर पर है। वहीं पूर्व विधायक विद्यासागर निषाद की पुत्रवधू गोगरी नगर पंचायत के अध्यक्ष रंजीता कुमारी निषाद की दावेदारी भी राजद से देखने को मिल सकती है। वही राजद अतिपिछड़ा प्रकोष्ट के राज्य महासचिव सह गौछारी पंचायत के मुखिया शम्भू चौरसिया की दावेदारी राजद प्रत्याशी के तौर पर देखने को मिल सकता है। वहीं महागठबंधन का हिस्सा कांग्रेस पार्टी से वर्तमान बेगूसराय खगड़िया के एमएलसी राजीव कुमार सिंह जो वर्तमान परबत्ता विधायक डॉक्टर संजीव कुमार के बड़े भाई हैं,उनकी भी दावेदारी कांग्रेस पार्टी से देखने को मिल सकता है। दोनों मुख्य गठबंधन से कौन उम्मीदवार होंगे ये तो आने वाले समय में ही पता चलेगा।जनसुराज पार्टी से पूर्व जिप उपाध्यक्ष विनय कुमार बरुण और डॉक्टर धर्मेंद्र चौरसिया भी इस चुनाव में अपना किस्मत आजमाने के लिए तैयार हैं। वहीं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के परबत्ता अंचल मंत्री कैलाश पासवान भी विधान सभा मे लाल झंडा फहराने के लिए आतुर हैं। वही अतिपिछड़ों के हक अधिकार के लिए संघर्षरत अतिपिछड़ा अधिकार मंच के लोगों का कहना है कि यदि दोनों मुख्य गठबंधन दलों से किसी अतिपिछड़ा उम्मीदवार नहीं दिया तो हम अतिपिछड़ों को एकीकृत कर निर्दलीय उम्मीदवार अतिपिछड़ा समाज से देंगे। बहरहाल परबत्ता विधानसभा के चौक चौराहे चाय-पान की दुकान पर राजनिति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों में बहस की दौर जारी है एवं 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव को लिए राजनीतिक जोड़ घटाव का भी खेल जारी है।
