बीएनएमयू के लिए बेहद खास रहा 11वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

बीएनएमयू के लिए बेहद खास रहा 11वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवसजे टी न्यूज, मधेपुरा :
भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय (बीएनएमयू), मधेपुरा के लिए 11वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस एक ऐतिहासिक और विशेष अवसर रहा। इस बार विश्वविद्यालय मुख्यालय में पहली बार दो अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसने इस दिन को और भी अर्थपूर्ण बना दिया।

1. योग संगम: प्रातःकालीन योगाभ्यास कार्यक्रम

राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) और ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘योग संगम’ कार्यक्रम सुबह 6:15 से 8:15 बजे तक विश्वविद्यालय के दीक्षा स्थल पर संपन्न हुआ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. बी. एस. झा ने की।

योग शिक्षिका सपना जायसवाल के मार्गदर्शन में प्रतिभागियों ने विभिन्न आसनों और प्राणायामों का अभ्यास किया।

एनसीसी कैडेटों ने विशेष सहयोग प्रदान किया।

इसमें विश्वविद्यालय के शिक्षक, पदाधिकारी, कर्मचारी, विद्यार्थी, शोधार्थी और अभिभावकगण ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

योग के लाभों पर विशेष बल

योग शिक्षिका ने ताड़ासन, वृक्षासन, त्रिकोणासन, भुजंगासन, शवासन, पद्मासन, सर्वांगासन और सूर्य नमस्कार के अभ्यास कराते हुए उनके शारीरिक और मानसिक लाभों की विस्तार से चर्चा की।

प्राणायाम के अंतर्गत भस्त्रिका, कपालभाति, अनुलोम-विलोम और भ्रामरी प्राणायाम पर विशेष प्रकाश डाला गया, जो तनाव, अवसाद और चिंता को दूर करने में सहायक होते हैं।

2. “अथ योगानुशासनम्” विषयक विचार गोष्ठी

दूसरा कार्यक्रम बीएनएमयू के अर्थशास्त्र विभाग और एनएसएस इकाई द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित विचार गोष्ठी थी, जिसका विषय था – “अथ योगानुशासनम्”।उद्घाटनकर्ता एवं मुख्य अतिथि थे कुलपति प्रो. बी. एस. झा

विशिष्ट अतिथि रहे पूर्व कुलपति प्रो. अनंत कुमार

मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. प्रभाष कुमार (नालंदा) ने विचार प्रस्तुत किए

विषय प्रवेश किया एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रज्ञा प्रसाद ने

संचालन किया असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नीतीश कुमार ने

योग को पाठ्यक्रम में शामिल करने पर सहमति

गोष्ठी में योग के आध्यात्मिक, मानसिक और सामाजिक आयामों, विशेषकर अष्टांग योग (यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि) पर गहन विमर्श हुआ। वक्ताओं ने इस बात पर बल दिया कि योग को शैक्षणिक पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जाना चाहिए ताकि युवा पीढ़ी इसका नियमित अभ्यास कर सके।

यह योग दिवस सिर्फ शारीरिक अभ्यास तक सीमित नहीं रहा, बल्कि चिंतन और संवाद के स्तर तक पहुंचा।

बीएनएमयू ने योग को एक जीवनशैली के रूप में प्रस्तुत करने की दिशा में सार्थक पहल की।

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