108वें भारतीय आर्थिक परिषद सम्मेलन के दूसरे दिन वैश्विक अर्थव्यवस्था, वित्तीय प्रणाली और मानव विकास पर गहन मंथन
108वें भारतीय आर्थिक परिषद सम्मेलन के दूसरे दिन वैश्विक अर्थव्यवस्था, वित्तीय प्रणाली और मानव विकास पर गहन मंथन

जे टी न्यूज, चेन्नई: भारतीय आर्थिक परिषद के 108वें वार्षिक सम्मेलन के दूसरे दिन वैश्विक अनिश्चितताओं, भारतीय अर्थव्यवस्था की चुनौतियों, वित्तीय बाजारों, सामाजिक समावेशन और मानव विकास जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर उच्चस्तरीय विमर्श हुआ। देश-विदेश से आए वरिष्ठ नीति-निर्माताओं, अर्थशास्त्रियों और शिक्षाविदों ने भारत के Viksit Bharat @2047 के लक्ष्य को केंद्र में रखकर अपने विचार साझा किए।
सम्मेलन की दूसरे दिन के पहले सत्र में मानव विकास और सामाजिक समावेशन विषय राउंड टेबल चर्चा से हुआ ।
इस सत्र की अध्यक्षता श्री एस. गोपालकृष्णन, IAS (अध्यक्ष, SSC) ने की। इसमें स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया और भारत के वरिष्ठ अर्थशास्त्रियों ने भाग लेकर कहा कि स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के बिना विकसित भारत 2047 संभव नहीं है।
दूसरा सत्र श्री चंद्रबाबू नायडू एंडोमेंट लेक्चर की अध्यक्षता डॉ. जी. विश्वनाथन, संरक्षक, IEA एवं चांसलर, VIT ने की।
मुख्य वक्ता श्री स्वामीनाथन गुरुमूर्ति, पार्ट-टाइम डायरेक्टर, RBI बोर्ड एवं विज़िटिंग प्रोफेसर, IIT बॉम्बे थे

उन्होंने कहा कि भारत को एक मजबूत और स्थिर अर्थव्यवस्था के लिए वित्तीय अनुशासन, डिजिटल बैंकिंग और नवाचार आधारित विकास मॉडल अपनाना होगा।
तीसरा सत्र ब्रह्मानंद मेमोरियल लेक्चर की अध्यक्षता डॉ. सुधांशु भूषण, संपादक, Indian Economic Journal ने की।
मुख्य वक्ता प्रो. मनमोहन कृष्णा, पूर्व सदस्य, नीति आयोग एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालय थे।
उन्होंने कहा कि भारत की विकास यात्रा में संतुलित औद्योगिक और ग्रामीण विकास सबसे बड़ी चुनौती और अवसर दोनों है।
चौथा सत्र NSE–IEA Lecture Series on Financial Economics आयोजित हुआ।
इसकी अध्यक्षता प्रो. तम्मा कोटि रेड्डी, कुलपति (प्रभारी), ICFAI हैदराबाद ने की।
मुख्य वक्ता प्रो. एम. थेनमोझी, IIT मद्रास थीं।
उन्होंने वित्तीय तकनीक (FinTech), डिजिटल भुगतान, और पूंजी बाजारों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह भारत को वैश्विक वित्तीय शक्ति बनाने में मदद करेगा।
पांचवां सत्र में वैश्विक अनिश्चितताओं और भारतीय अर्थव्यवस्था पर मंथन हुआ । इस सत्र में डॉ. राजन सुधेश रत्ना (संयुक्त राष्ट्र ESCAP),
श्री टी. एस. तिरुमूर्ति, IFS (सेवानिवृत्त) (भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि, संयुक्त राष्ट्र),
डॉ. तीर्थंकर पटनायक (मुख्य अर्थशास्त्री, NSE),
प्रो. प्रवीन झा (JNU),
डॉ. राजीवन कृष्णास्वामी (पूर्व विश्व बैंक विशेषज्ञ) तथा
डॉ. आर. कन्नन (पूर्व UN अधिकारी) ने भाग लिया।
वक्ताओं ने कहा कि बदलती वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला, भू-राजनीतिक तनाव, जलवायु परिवर्तन और वित्तीय अस्थिरता के बीच भारत को मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था, आत्मनिर्भरता और संस्थागत स्थिरता पर ध्यान देना होगा।

IEA सम्मेलन का दूसरा दिन यह स्पष्ट करता है कि भारत को वैश्विक चुनौतियों के बीच संतुलित, समावेशी और नवाचार आधारित विकास की राह पर आगे बढ़ना होगा।
वित्तीय स्थिरता, सामाजिक समावेशन और संस्थागत मजबूती ही भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बना सकती है।

