10 महीने बाद भी परीक्षकों का भुगतान नहीं, जिम्मेदार कौन? : डाॅ सीता, विश्वविद्यालय, शिक्षा मंत्री और शिक्षा प्रधान सचिव पर लगाया मिलीभगत का आरोप
10 महीने बाद भी परीक्षकों का भुगतान नहीं, जिम्मेदार कौन? : डाॅ सीता, विश्वविद्यालय, शिक्षा मंत्री और शिक्षा प्रधान सचिव पर लगाया मिलीभगत का आरोप

जे टी न्यूज़
दरभंगा। परीक्षा संपन्न हुए साल लगने को है, उत्तर पुस्तिकाओं का मुल्यांकन हुए करीब 10 महीने हो गये, परीक्षा फल भी जारी हो गया मगर परीक्षकों का भुगतान आज तक नहीं हो सका है। ये सूरत हाल है ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा का। एक तो सरकार की वित्त रहित शिक्षा समाप्त करने के बात तय नियमानुसार अनुदान ताड़ का फल बना है, अनुदान की आस में अपने तथा अपने तीन पीढियों के अरमानों की चिता सजाये ये वित्त रहित शिक्षा कर्मी बद से भी बदतर जिन्दगी जी रहे हैं। परीक्षक के रूप में मिलने वाली राशि आंशिक ही सही मगर उनकी मुश्किलों को थोड़ा कम करती थी, किन्तु शिक्षा मंत्री, शिक्षा प्रधान सचिव और लनामिविवि के कुलपति की मिलीभगत का परिणाम है वह भी आज तक नहीं मिला है। जिले के कर्पूरीग्राम स्थित सुप्रसिद्ध गोकुल कर्पूरी फुलेश्वरी महाविद्यालय की सहायक प्राध्यापक गृह विज्ञान डाॅ सीता कुमारी ने गुरुवार को संवाददाता से उक्त बातें कही। उन्होंने बताया कि लनामिविवि के अंतर्गत आने वाले महाविद्यालय के छात्रों का के मूल्यांकन और प्रायोगिक परीक्षा के करीब दस महीने बीत जाने के बाद भी कार्यरत परीक्षक और वीक्षक के मूल्यांकन की राशि भुगतान नहीं किए जाने पर शिक्षकों में आक्रोश है। मिथिला विश्वविद्यालय के प्रशासनिक स्तर पर यह कहना कि लेखा प्रशाखा और परीक्षा विभाग में अधिकारियों कमी के कारण मूल्यांकन का भुगतान शिक्षकों को नहीं हो सका है, परंतु ऐसी बात नहीं है 2023 के परीक्षा का मूल्यांकन वीर कुंवर सिंह कॉलेज, दरभंगा में जनवरी 24 में मूल्यांकन कराई गई थी, इसी तरह समस्तीपुर दरभंगा मधुबनी और बेगूसराय में विभिन्न कॉलेजों में प्रायोगिक परीक्षा ली गई थी। जिसमें बाह्य परीक्षक और आंतरिक परीक्षक के रूप में शिक्षक प्रतिनियुक्त किये जाते हैं जिनका प्रायोगिक परीक्षा का राशि का भुगतान आज तक नहीं किए जाने से मिथिला विश्वविद्यालय के तमाम शिक्षकों के बीच असंतोष और आक्रोश व्याप्त है। मूल्यांकन और परीक्षा प्रायोगिक परीक्षा प्रथम पाठ सेकंड पार्ट थर्ड पार्ट फर्स्ट सेमेस्टर सेकंड सेमेस्टर के प्रयोग परीक्षा का भुगतान नहीं किया गया है। जबकि कॉफी मूल्यांकन वीर कुंवर सिंह कॉलेज सेमेस्टर 1 की कॉपी जनवरी 24 में जांच हुई थी जांच कराई गई थी उसका भी भुगतान अब तक नहीं किया गया है। डाॅ सीता ने कहा कि परीक्षा शुल्क वसूलने के बाद भी परीक्षकों का भुगतान नहीं होना क्षोभ जनक है। आप समझ सकते हैं कि किस तरह विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के बीच भ्रष्टाचार की जड़ मजबूत है। वर्तमान कुलपति द्वारा पार्ट 2 और पार्ट 3 की कॉपी ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के शिक्षकों से नहीं जांच करा कर अपने चेहेते परीक्षकों द्वारा जांच कराने के नाम पर विश्वविद्यालय को लूटने का प्रयास जारी है।

ऐसी भी जानकारी मिल रही है कि अपने विश्वविद्यालय के शिक्षकों से कॉपी मूल्यांकन करने पर भुगतान शत प्रतिशत विलंब से ही करना पड़ रहा था इसलिए वर्तमान कुलपति औने पौने मे फर्जी रूप से कॉपी की जांच कर कर विश्वविद्यालय के पैसे की राशि का बंदरबांट किया गया है। उधर इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए अप्पन पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव आरके राय ने बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति से मामले की उच्चस्तरीय जांच कर न्याय दिलाने की मांग की है।



