नरहन हाई स्कूल के मुख्य गेट पर कचरे का अंबार।विद्यालय प्रशासन उदासीन
नरहन हाई स्कूल के मुख्य गेट पर कचरे का अंबार।विद्यालय प्रशासन उदासीन

जे टी न्यूज, विभूतिपुर(विनय कुमार राय):
विभूतिपुर प्रखंड स्थित नरहन पंचायत स्थित एक उच्चतर माध्यमिक 10+ स्कूल जिसकी स्थापना 1941 में हुई थी आज भी किसी सक्षम प्रधानाचार्य की बाट जोह रहा है ताकि दसको से विद्यालय द्वारा स्थापित मूल्य मान्यता,गरिमा, व स्वक्छता का वातावरण पुनः बहाल हो सके। आज मुख्य प्रवेश द्वार पर गंदगी का अंबार महीनो से लगा है जिस द्वार से बच्चे देश के कर्णधार आते जाते है जिसका सामना कचरे पर दृष्टि पड़ने से उनके कोमल मानस पटल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना स्वाभिक है जिस बिना पर क्या खाक सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और आगे चलकर जीवन के किसी भी क्षेत्र में कुछ अच्छा कर पाएगा,

कहना मुश्किल है। हजारों की संख्या में छात्र छात्राओं के अलावे दर्जनों शिक्षक भी मुख्य द्वार से प्रवेश करते हैं। किसी ने इस बात को प्रधानाध्यापक तक उठाने की जहमत नहीं उठा रहे हैं।आखिर शिक्षा के मंदिर में डर किस बात का, जो डर का भाव कुछ और बता रहा है। एक विद्यालय कर्मी और स्थानीय लोगो ने भी पत्रकार से मुखातिब हो बताया कि खुद प्रधानाध्यापक खैनी और तंबाकू खा खा जहा तहां थू थू करते रहते हैं।
एक सामाजिक कार्यकर्ता सह पत्रकार के नाते खुद 15 दिन पुर्व विद्यालय जाकर विद्यालत प्रधान से इस बाबत बात की कि स्वच्छता अभियान पर विशेष ध्यान दिया जाय पर परिणाम उल्टी दिखी। उन चिन्हित जगहों पर अतिरिक्त गंदगी का ढेर पड़ा मिला। गंदगी की बात गेट की ही नही है अपितु कैंपस के अंदर भी देखने को मिलेगा। संसाधन की कमी नहीं है फिर भी विद्यालय प्रधान की उदासीनता कहे या उनकी विनम्र स्वभाव का फायदा कुछ स्थानीय कतिपय शिक्षक के द्वारा उनके अधिकार का हाई जैक कर लिया गया है ऐसा प्रतीत होता है।। स्थानीय अभिभावकों ने तो इस बात की ओर आगाह किया की पिछले 6 माह से 1 साल का लेखा जोखा कर उस बाबत किए गए विकास गतिविधि का विश्लेषण किया जाय तो सच्चाई सामने आ ही जायेगी। लाखो का न्यारा व्यारा की कहानी है।

विद्यालय में दसको से क्रीड़ा से संबंधित कोई एक्टिविटी नही हो रही है। स्टेडियम उदास है, सिर्फ बाहर से दरोगा बहाली के लिए दूर दराज से आए बेरोजगार लड़के अपने चंदे के पैसा इकट्ठा कर मिट्टी भरकर अभ्यास करते हैं।
यही नहीं 1974 में बने हरिजन छात्रावास जिसका विधिवत आज तक उद्घाटन नही हो पाया। जबकि विकाश फंड में पड़े करोड़ों की राशि से ये सब विकाश का काम हो सकता है।
अब देखना कि इस अनसुलझी समस्याओं को सुधि लेनेवाले संबंधित ईमानदार व कर्तव्यनिष्ठा पदाधिकारी कब प्रकट होते है।

