आदिवासी युवती पार्वती तिर्की ने हिन्दी में जीता साहित्य अकादमी का युवा पुरस्कार – हेमलता म्हस्के
आदिवासी युवती पार्वती तिर्की ने हिन्दी में जीता साहित्य अकादमी का युवा पुरस्कार – हेमलता म्हस्के
जे टी न्यूज
राह चलते हुए
एक मनुष्य ने कहा
यह धरती कितना बदल गई है
तब गांव के किसी बुजुर्ग ने कहा,
*वही सूरज, वही चांद चांद की रोशनी भी वही है,
धरती नहीं बदली, यह मनुष्य बदल गया है।*
झारखंड की एक कॉलेज में पढ़ाने वाली आदिवासी युवा कवयित्री पार्वती तिर्की की ऐसी ही अनूठी कविताओं के संग्रह फिर उगना को देश में साहित्य की सर्वोच्च संस्था साहित्य अकादमी ने 2025 के युवा पुरस्कार के लिए चुना है। हिंदी में पहली बार हुआ है कि किसी आदिवासी युवा कवयित्री को यह पुरस्कार प्राप्त करने का मौका मिला है।
झारखंड के गुमला शहर में 16 जनवरी 1994 को जन्मी पार्वती तिर्की की आरम्भिक शिक्षा गुमला के ही जवाहर नवोदय विद्यालय में हुई। इसके बाद उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से स्नातक और स्नातकोत्तर शिक्षा हासिल की और वहीं के हिन्दी विभाग से ‘कुडुख आदिवासी गीत : जीवन राग और जीवन संघर्ष’ विषय पर पी-एच.डी. की डिग्री ली।
कविता और लोकगीतों में उनकी विशेष अभिरुचि है। कहानियाँ भी लिखती हैं। एक कहानी ‘गिदनी’ ‘वागर्थ’ पत्रिका में छप चुकी है। ‘इंद्रधनुष’, ‘सदानीरा’, ‘समकालीन जनमत’, ‘हिन्दवी’, ‘प्रगतिशील हाँक’ आदि वेबपत्रिकाओं और ‘कृति बहुमत’, ‘देशज समकालीन’, ‘सदानीरा’ (एंथ्रोपोसीन अंक) आदि पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित हो चुकी हैं।
फिलहाल राँची विश्वविद्यालय, राँची के राम लखन सिंह यादव कॉलेज, हिन्दी विभाग में सहायक प्राध्यापक हैं। पार्वती तिर्की का लेखन हिंदी कविता का प्रांजल और अनूठा स्वर है उनकी कविता आदिवासी जीवन के संघर्ष, श्रम और प्रेम को एक साथ उपस्थित करती है । दो साल पहले उनका पहला कविता संग्रह फिर उगना राधाकृष्ण प्रकाशन, ने दिल्ली से प्रकाशित हुआ है जिसे उनकी रचनात्मक परिपक्वता के प्रमाण के तौर पर पढ़ना चाहिए
साहित्य अकादमी ने इसी के साथ अष्टम सूची में शामिल 24 भाषाओं में डोगरी को छोड़ कर शेष सभी भाषाओं रची गई जिन जिन कृतियों को चुना है उनके रचनाकार इस तरह हैं। असमिया के सुप्रकाश भुइंया, बांग्ला के सुदर्शन मोइत्रा , बोडो के अमर खुगुर बर अंग्रेजी के अद्वैत कोटरी, गुजराती के मयूर खाबड़ ,कन्नड़ के आर दिलीप कुमार, कश्मीरी की साएका सहर, कोंकणी के ग्लिनिस डायस, मैथिली की नेहा झा मणि, मलयालम के अखिल पी धर्मजन, मणिपुर के जितेन, मराठी के प्रदीप कोकरे, नेपाली के सुभाष ठकुरी, उड़िया के सुब्रत कुमार सेनापति, पंजाबी के मनदीप औलख, राजस्थानी की पूनम चंद्र गोदारा, संस्कृत के धीरज कुमार पांडेय, संथाली के फगुआ बस्की, सिंधी के मंथन बनानी ,तमिल के लतश मोहर, तेलुगू के प्रसाद सूरी ,उर्दू की नेहा रूबाब आदि को युवा पुरस्कार की चुना है। साहित्य अकादमी की ओर से एक या दो साल भीतर प्रकाशित और चर्चित पुस्तकों का चयन किया जाता है और उनके रचनाकारों को सम्मानित किया जाता है।



