विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर संत पाल टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में वृक्षारोपण व जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

बी.एड और डी.एल.एड प्रशिक्षुओं ने लिया हिस्सा; सामुदायिक सहभागिता पर जोर

विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर संत पाल टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में वृक्षारोपण व जागरूकता कार्यक्रम आयोजित
बी.एड और डी.एल.एड प्रशिक्षुओं ने लिया हिस्सा; सामुदायिक सहभागिता पर जोर

जे टी न्यूज़, बीरसिंहपुर/समस्तीपुर : संत पाल टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, बीरसिंहपुर के तत्वावधान में विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के अवसर पर वृक्षारोपण, साफ-सफाई, जल निकासी और जागरूकता रैली जैसे विभिन्न सामुदायिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस अवसर पर कॉलेज की प्राचार्या डॉ. रोली द्विवेदी ने प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी प्राचीन संस्कृति में जीवन का आधार प्रकृति के पांच तत्वों को माना गया है। उन्होंने इस दिवस के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह दिन प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझाने और लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है, ताकि प्राकृतिक संसाधनों का संतुलन बना रहे और भावी पीढ़ियां भी इनका लाभ उठा सकें। कार्यक्रम के समन्वयक कादरी सर ने कहा कि विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस एक सामूहिक आह्वान है, जिसका उद्देश्य प्रकृति का जिम्मेदार उपयोग, जैव विविधता का संरक्षण और सतत विकास को बढ़ावा देकर प्राकृतिक खतरों को कम करना है। वहीं, नरेंद्र सर ने पर्यावरणीय संसाधनों की सुरक्षा और पारिस्थितिकी संतुलन के लिए मानवता और पर्यावरण के बीच लचीले व सामंजस्यपूर्ण संबंध की आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि प्रकृति संरक्षण के लिए सामुदायिक सहभागिता अनिवार्य है, तभी हम पृथ्वी की प्राकृतिक विरासत को सुरक्षित रखकर भावी पीढ़ियों के लिए स्थायी भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं। वक्ताओं ने वर्तमान समय में बढ़ते प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग, जंगलों की कटाई और जैव विविधता के क्षरण जैसी समस्याओं पर चिंता जताई। उन्होंने इस दिवस को प्रकृति संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता और टिकाऊ भविष्य की दिशा में सकारात्मक बदलाव के लिए प्रेरणा स्रोत बताया। कार्यक्रम में बी.एड और डी.एल.एड के सभी प्रशिक्षु और संकाय सदस्य सक्रिय रूप से शामिल हुए। वृक्षारोपण और जागरूकता रैली के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश समुदाय तक पहुंचाया गया। यह आयोजन न केवल पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सफल रहा, बल्कि सामुदायिक सहभागिता के महत्व को भी रेखांकित किया।

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