चुनाव आयोग ने अपने चरित्र को ही बदरंग कर लिया
चुनाव आयोग ने अपने चरित्र को ही बदरंग कर लिया आलेख–प्रभुराज नारायण राव 
जे टी न्यूज
बिहार में चुनाव आयोग भाजपा का एक सहयोगी संगठन बन कर काम कर रहा है।यह सारी दुनिया देख रही है।अब इसे स्वायत शासी निकाय कहने में गुस्सा आ रहा है।चुनाव आयुक्त ने अपनी सारी संवैधानिक मान्यताओं को तिलांजलि दे दिया है ।यह सुप्रीमकोर्ट के सुझावों को भी मानने से इन्कार कर दिया।क्योंकि इसे तो इसने तो बिहार में भाजपा और उनके सहयोगियों को 2025 के विधान सभा चुनाव में जिताने का मन बना लिया है।वह अब पीछे हटना नहीं चाहता।
चुनाव आयोग ने बिहार में 65 लाख से ज्यादा वोटरों को वोट देने से वंचित कर दिया है।बेशक इसमें 22 लाख वोटर मृत भी शामिल है।लेकिन ऐसे हजारों वोटर ऐसे भी हैं।जिनको मृत तो घोषित कर दिया गया है।लेकिन वह जिंदा है।चुनाव आयोग जिस निर्लज्जता से 35 लाख से ज्यादा वोटर को दूसरे राज्यों में शिफ्ट होना बतला रहा है।वह बहुत बड़ा अन्याय है।क्योंकि सब जानते हैं कि बिहार के नौजवानों का एक बड़ा हिस्सा अन्य राज्यों में रोजगार करने गया है।वह अपना काम छोड़ कर मतदाता सूची में अपना दर्ज कराने नहीं आ रहा है। हां वह मतदान देने के समय जरुर आता है।वैसे सभी नौजवानों को चुनाव आयोग किसी अन्य राज्यों में शिफ्ट बतला कर उन्हें मतदान से वंचित करना चाहता है।क्योंकि रोजगार की तलाश में घर और परिवार छोड़ कर,अपने मां,बाप,पत्नी और बच्चों को छोड़ कर परिवार के खाने की जुगाड़ में दर दर भटक रहा है।वह अपना मत भाजपा को देने नहीं जा रहा है।इसलिए निर्ममता पूर्वक उसका नाम वोटर लिस्ट से हटाया जा रहा है।
चुनाव आयुक्त भाजपा और नरेन्द्र मोदी की भक्ति में इतना लीन हो गया है कि विपक्ष द्वारा चुनाव आयोग की हठ धार्मिताओं पर और उसकी संविधान विरोधी कारगुज़ारियों पर उंगली उठाने पर अपने निजी प्रतिष्ठा का सवाल बना लेता है न जाने क्या अनाप शनाप बकने लगता है।
हाल ही में सभी विपक्ष सहित राहुल गांधी ने जब वोट चोरी का कच्चा चिट्ठा चुनाव आयोग का रखा।तो उसने राहुल गांधी को शपथ भरने को कहा ।अन्यथा उनके ऊपर करवाई करने को कहा।इस सारे प्रसंग में भारत सरकार चुनाव आयोग के साथ खड़ी दिख रही है।
इतना ही नहीं केंद्र सरकारों तथा भाजपा सरकारों के सभी मंत्री ,भाजपा तथा उनके सभी सहयोगी दलों के नेतागण चुनाव आयोग का मुखौटा पहन कर संसद से सड़क तक नजर आ रहे हैं।इस काम में अदाणी,अंबानी के सभी मीडिया यानी गोदी मीडिया पूरी तन्मयता के साथ उनके कतार में खड़ी है।
अब तो साफ दिखने लगा है कि मोदी और उनके डबल इंजन की सरकार को बाबा साहब भीमराव अंबेडकर निर्मित संविधान की कोई आवश्यकता नहीं है।वे भारत में मनु स्मृति को संघ के सहारे पूर्ण रुप से लागू करना चाहते हैं।
लेकिन इनके विचारों से इनके कुछ सहयोगी पार्टियां इनसे इक्तेफाक नहीं रखते।फिर भी उनका मुखालफात नहीं कर पा रहे हैं।सच कहते हैं सियासत की कुर्सी इतनी बेवफा होती है कि कुछ लोग अपनी जमीर को बेच कर कुर्सी नशीं बने रहना चाहते हैं।वे भूल जाते हैं कि उनसे ज्यादा भोगी उनके कार्यकर्ता हो जाते हैं।अगर उनके नेता अलग भी हो जाएं ।तो दल के दूसरे नेता उन्हें दूध की मक्खी की तरह फेंक कर वहीं अपना आशियाना बना लेते हैं।नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की दशा इससे अलग नहीं दिखती।
पार्टी भी बदल देती , जाति भी बदल देती।
कुर्सी वो तवायफ है साथी भी बदल देती
लेकिन बिहार में चुनाव चोर ,गद्दी छोड़ का नारा परवान चढ़ता जा रहा है। इण्डिया गठबंधन का वोटर अधिकार यात्रा जिस रास्ते से गुजर रहा है।वहां जन सैलाब सड़कों पर नजर आ रहा है।यह कारवां वोटबंदी के खिलाफ बढ़ता ही जा रहा है।यह पूरे बिहार के सोय हुए लोगों को चुनाव चोरी के खिलाफ जगा रहा है।अब यह जा रहा है –
खेतों तक,झोपड़ियों तक,पसीना रोपते हथेलियों तक जो देगा बिहार को एक नया पैगाम,धूल चटा दो,वोट चोरी का है यहीं अंजाम
