वैदेही कवि सम्मेलन में गूँजी गाँव की आवाज़
वैदेही कवि सम्मेलन में गूँजी गाँव की आवाज़
हँसी-ठहाकों और देशभक्ति से गूँजा रमौल का दुर्गा मंदिर परिसर

जे टी न्यूज, समस्तीपुर/शिवाजीनगर:
महाअष्टमी की पूर्व संध्या पर शिवाजीनगर प्रखंड अंतर्गत राजौर रामभद्रपुर पंचायत के रमौल गांव में सोमवार को दुर्गा मंदिर परिसर में दुर्गापूजा समिति रमौल के बैनर तले वैदेही कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया। इस आयोजन ने न सिर्फ साहित्यप्रेमियों को एक मंच पर जोड़ा, बल्कि ग्रामीण प्रतिभाओं को भी अपनी कला प्रस्तुत करने का अवसर दिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसमें प्रमुख रूप से साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार से सम्मानित कवि अमित मिश्र मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने कहा अब कविता गाँव की ओर लौट रही है। ऐसे आयोजन गाँवों में नई सांस्कृतिक चेतना का संचार करते हैं और नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ते हैं। उन्होंने दुर्गापूजा समिति की सराहना करते हुए कहा कि यह आयोजन मात्र मनोरंजन नहीं, बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक जागरूकता का प्रतीक है। कवि सम्मेलन के द्वितीय चरण में अमित मिश्र ने अपनी चर्चित कविता “कनिया भेल हरजाइ” का पाठ कर श्रोताओं को हँसी से लोटपोट कर दिया। उनके व्यंग्यात्मक और चुटीले अंदाज ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
युवा कवि सुमित मिश्र ने हड़बड़ाता इंसान देखता हूँ” कविता के माध्यम से वर्तमान समाज की आपाधापी और मानसिक अस्थिरता को उजागर किया। वहीं कवि विजय ने “लालपुर का लाल हूँ” कविता के जरिए अपने गाँव और आत्म-सम्मान की रक्षा का सशक्त संदेश दिया।
कवि सह शिक्षक जगमोहन चौधरी ने “फिर वीरों ने अतुल शौर्य से दुश्मन को ललकारा है” कविता के माध्यम से देशभक्ति की अलख जगाई, जिसे सुनकर सभा देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत हो गई।वहीं, कवि सौरव वाचस्पति ने अपनी आंचलिक शैली में प्रस्तुत कविता “निमकी मिर्ची धनिया चटनी ओ हो हो” से श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। उनकी कविता में मिथिलांचल की मिट्टी की सोंधी खुशबू और हास्य का पुट दर्शकों के दिल को छू गया।इस मौके पर दुर्गापूजा समिति के संयोजक संतोष कुमार, राजेश कुमार, प्रदीप सिंह, दर्शन मंडल, सुवोध गुप्ता, नीरज कुमार, मुकेश मास्टर, रोहित मंडल, राहुल कुमार, लालन मंडल सहित अनेक गणमान्य ग्रामीण उपस्थित रहे।समापन पर उपस्थित सभी लोगों ने ऐसे आयोजनों की निरंतरता की कामना की और समिति को धन्यवाद ज्ञापित किया। वैदेही कवि सम्मेलन ने यह साबित कर दिया कि गाँव अब केवल खेती-बाड़ी के केंद्र नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और साहित्यिक नवजागरण के सशक्त मंच बनते जा रहे हैं।



