*वामदलों द्वारा आहूत 5 मई को 11 बजे से 3 बजे तक राज्यव्यापी धरना को सफल बनावें।*

 

जेटी न्यूज़।

पटना::- प्रभुराज नारायण राव, सदस्य बिहार राज्य सचिव मण्डल, भारत की कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने कहा है कि मजदूरों के जनक और समाजवादी व्यवस्था के नायक कार्ल मार्क्स के जयंती के दिन वामदलों के आह्वान पर 11 बजे से 3 बजे तक होने वाले धरना कार्य को सफल बनावें।

देश कोरोना के इस गम्भीर संकट के चपेट में फंसे हुए है। यह तेजी से पैर फैलाते जा रहा है। जनवरी 20 में सर्व प्रथम केरल के रास्ते प्रवेश किए इस ख़तरनाक महामारी से निपटने का काम केन्द्र सरकार को शुरू में कर लेना चाहिए था। लेकिन प्रधान मंत्री मोदी की प्राथमिकता में वह समस्या महत्वपूर्ण नहीं था

पहली बात तो यह है कि वामदल की सरकार केरल के अधीन था। किसी भाजपा के राज्य सरकार के अंदर नहीं था।

दूसरी बात देश मोदी सरकार सी ए ए, एन आर सी, एन पी आर के सवाल पर साम्प्रदायिकता का खेल खेल रहा था। जिससे भाजपाई खिलखिला रहे थे।

तीसरी बात दिल्ली विधान सभा चुनाव जीतने के लिए मोदी सरकार सारी शक्ति झोंक दिया था। भाजपा और उसके सहयोगी सारे मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मंत्री, सांसद, विधायक, लावा लस्कर लिए गृह मंत्री अमित शाह के अगुआई में मानो विजय पताका के अलावा कुछ था ही नहीं।

अमित शाह ने तो स्वयं कहा की बटन ऐसे दबाना, जिसका करेंट शाहीन बाग में लगे। इतना ही नहीं इनके मंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद राष्ट्रीय एकता व अखंडता को महज चुनाव जितने के लिए तार तार करते रहे।

चौथी बात नमस्ते ट्रंप ! प्रधानमंत्री मोदी कि छवि में पूरे विश्व में चार चांद लगाने जैसा था। इसी बहाने देश की जनता में यह विश्वास पैदा करना था कि दुनिया का सबसे बड़े दादा का मैं बूजम मित्र हूं। इसके लिए गुजरात का चुनाव करना जहां सबसे ज्यादा अमेरिकी रहते हैं।

उन कोरोना संक्रमित लोगों को अमेरिका से गुजरात बुलाना। अहमदाबाद को ऐसे सजाना जैसे अपातकाल के दिनों में संजय गांधी द्वारा दिल्ली में होने वाले एशियाड के सजावट एवं सौंदर्य के लिए गरीबों को उजाड़े जाने की याद दिला गई और वहीं ट्रंप जब हिड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन जैसी दवा नहीं देने पर अंजाम भुगतने के लिए तैयार की धमकी के जवाब के बदले नतमस्तक हो जाना और कोरोना वायरस से बचाव के लिए जिसकी जरुरत देश को था, उस दवा को अमेरिका भेजना दोस्ती की एक बानगी मिल ही गया।

पांचवी बात मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार को गिराकर भाजपा की सरकार बनाना। देश की जनता को कोरोनावायरस से बचाने से ज्यादा महत्वपूर्ण था।

छठी बात फ़रवरी की प्रारम्भ में जो काम ज्यादा महत्वपूर्ण था। उसे मार्च 24 को लॉक डाउन के लिए 4 घंटे के बदले तीन दिन का समय देकर सबको अपने घर तक पहुंचा दिया गया होता तो भी स्थिति आज जैसी भयानक नहीं होती।

आज कोरोना वायरस का देश में व्यापक जाल बिछ गया है। इस समय लोगों को घर पहुंचाने का निर्णय देश हीत में कत्तई नहीं हो सकता। लेकिन आज देश में भूख की समस्या सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। पलायन करने वाले मजदूरों के पास खाना खाने को पैसे नहीं है।

अगर आज वो अपने घर आ जाते हैं तो घर पर मां बाप के पास भी अब खाने को नहीं रह गया है। केरल की वामपंथी सरकार के मुख्यमंत्री पी विजयन ने फ़रवरी में ही छोटे से राज्य की बजट में विशेष प्रावधान करके 20 हजार करोड़ रुपए से राहत कार्य चलाया और सबके घर में खाने की पूरी व्यवस्था करने कारण ही कोरोनावायरस से पीड़ित एक नम्बर राज्य रहने के बाद आज केरल को पूर्ण नियंत्रण में कर लिया है।

लेकिन प्रधानमंत्री या बिहार के मुख्यमंत्री ने उस तरह का कोई सार्थक प्रयास अब तक नहीं किया। न तो सबके घर तक राशन पहुंचा और न हीं प्रवासियों तक पैसे पहुंचे। झूठ के आधार पर सार्थक नतीजा नहीं लाया जा सकता। अब भी ठोस कदम उठाने की जरुरत है।

ना कि कोरोना सेनानियों के उत्साह के नाम पर सेना के प्रधान विक्रम रावत द्वारा मोदी जी की तरह शंख, थाली, घंटी व बैंड बाजा बजाने की तरह समुद्र में युद्ध पोतों को रोशनी से चकाचक कर सेना के हेलीकाप्टर से सड़कों पर फूल वर्षा कर टेलीविजन द्वारा जन जन तक संदेश पहुंचाने का काम की कोरोना वायरस से संघर्ष कर रहे सेनानियों का उत्साह बढ़ाने जैसी राजनीतिक बोली नहीं बोलनी पड़ती।

तो फिर रोज इस आपदा में मर रहे सेवारत्त चिकित्सक , सेना के जवान एवं अन्य और हजारों ग्रसित परिवार के लोगों तक क्या परोस रहे हैं। बेशक इस पर खर्च हो रहे पैसों को राहत कार्य में खर्च किए जाते तो आज सब कुछ हार चुके प्रवासियों को सहायता देने के बदले उनसे भाड़े के पैसे की मांग जैसी शर्मनाक काम नहीं करनी पड़ती। उससे भी शर्मनाक तो यह की मजदूरों को लाने वाले ट्रेनों के खर्च कई राजनीतिक दल देने को तैयार हो गए हैं।

फिर मैं कहना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री जी आप प्रधानमंत्री केयर्स फंड से प्रवासी। आज मजदूरों को घर वापसी की गारंटी, प्रवासी मृतक परिवारों को 20 लाख रुपए मुआवजा, सभी परिवार को मुफ्त राशन और 10 हजार रुपए, सभी किसानों के कृषि कर्ज की माफी तथा पुन:खेती के लिए कर्ज, खाद, बीज, कृषि औजार सस्ते दर पर दिया जाय। आंधी, तूफान एवं ओलावृष्टि से भारी नुकसान हुए फसलों का हर्जाना दिया जाय। ईंख के बकाए पैसे ब्याज सहित चीनी मिलों से अविलंब दिलाया जाय।

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