लॉक डाउन के कारण निजी स्कूल पर आर्थिक संकट गहराया, शीघ्र पहल करे सरकार


  • कार्यालय, जेटी न्यूज
    बेगूसराय । कोरोना वायरस के चलते पिछले 4 माह से बिहार में सभी सरकारी, निजी स्कूल्स एवं कोचिंग संस्थान बंद है। ऐसी स्थिति में करोड़ों बच्चों की प्रतिभाओं पर विराम चिन्ह लग गया है। खासकर बिहार के सरकारी स्कूलों की स्थिति सबसे अधिक खराब है। उक्त बातें शिक्षाविद् सह दरभंगा स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के प्रत्यासी राम नंदन सिंह ने कही।
  • उन्होंने कहा कि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए संकल्पित राज्य में शहर से लेकर गांव गांव तक बड़ी संख्या में निजी स्कूल तथा कोचिंग संस्थान चल रहे हैं। भारत सरकार के मानव संसाधन विभाग की एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 33 परसेंट बच्चे निजी विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। पिछले 4 महीनों से ये स्कूल एवं कोचिंग संस्थान बंद रहने के कारण शिक्षा व्यवस्था पर ग्रहण लग गया है।
  • दूसरी ओर निजी शिक्षण संस्थान बंद रहने के कारण संस्थान के संचालक आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। श्री सिंह ने कहा कि अब तो बड़ी संख्या में यहां के शिक्षकों को तथा शिक्षकेतर कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलने के कारण उनके समक्ष भुखमरी की स्थिति बनती जा रही है। क्योंकि इन स्कूलों को फीस नहीं मिल रहे हैं खासकर वैसे निजी स्कूल तथा कोचिंग संस्थान जो भाड़े के मकान में चलते हैं उनकी हालत और खराब होती जा रही है।
  • निजी स्कूल के संचालक अहापोह की स्थिति से गुजर रहे हैं। यह किसी को भी पता नहीं है कि कोरोना संक्रमण में कब कमी आएगी और लोग बाग राहत महसूस कर अपने बच्चों को यहां पढ़ने के लिए भेजेंगे। निजी स्कूल और कोचिंग संस्थान को बचाने के लिए सरकार की ओर से अनुदान राशि उपलब्ध कराने के लिए मजबूत पहल करने की मांग करते है। सरकार अगर फौरी तौर पर इन निजी स्कूलों को अनुदान नहीं देगी तो सभी स्कूल तो बंद हो ही जाएंगे और बच्चों की प्रतिभा पर भी लॉक डाउन लग जाएगा।
  • जिले के जाने-माने शिक्षाविद्, प्रवासी वैज्ञानिक तथा दरभंगा स्नातक निर्वाचन क्षेत्र विधान परिषद प्रत्याशी इंजीनियर आर० एन० सिंह कहते हैं कि राज्य में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है और उस से निजात दिलाने के लिए ये स्कूल एवं कोचिंग संस्थान बड़ी भूमिका निभाते हैं। यहां लाखों बेरोजगार लोग रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। इन स्कूलों के शिक्षकों के वेतन देने के लिए सरकार आर्थिक पैकेज मुहैया जल्द से जल्द करवाएं। इसके साथ ही शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्राइवेट स्कूलों का पिछले 4 साल से एक भी पैसा नहीं मिला है। सरकार यह राशि मुहैया करा देती तो कोरोना संकटकाल में शिक्षकों एवं स्कूलों के संचालक को काफी मदद मिलेगी।

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