प्रतिरोधी तंत्र पर निर्भर करता है कोरोना से मौत का खतरा


जेटी न्यूज
बेगूसराय::-आराम तलब जिंदगी जीने वालों से शारीरिक श्रम करने वाले लोगों में संक्रमित रोगों का खतरा कम होता है। श्रम करने वाले लोगों के शरीर में रोगों से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। यही कारण है कि आज श्रमिक लोगों में कोरोना संक्रमण का फैलाव कम हो रहा है। जबकि अमीर और मेहनत नहीं करने वाले लोगों में रोग का प्रकोप बढ़ता जा रहा है।

इसके साथ-साथ मानसिक तनाव भी रोग को आमंत्रण देते हैं। आज की तारीख में विश्व के अमीर देश अमेरिका, इटली ,फ्रांस इंग्लैंड, ब्राजील सहित अनेक देशों में तेज गति से कोरोना फैलने और उस से ग्रसित हो बड़ी संख्या में लोगों के मरने की वजह आराम तलब जिंदगी है। इन देशों के लोग शारीरिक श्रम कम करते हैं जिससे उनके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर रहती है।

इसके साथ ही भारत के महानगर मुंबई, दिल्ली ,चेन्नई बेंगलुरु, भोपाल सहित अनेक बड़े शहरों में देहाती क्षेत्रों से अधिक गति से कोरोना का फैलाव हो रहा है और लोग मर भी रहे हैं। गत जून माह में विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार महानगरों में कोरोना से 7% लोग संक्रमित हुए जबकि देहाती क्षेत्र के लोग मात्र 1.3% लोग संक्रमित हो पाए हैं। चुकी महानगर के लोग शारीरिक श्रम कम करते हैं जबकि देहाती क्षेत्र के लोग अधिक मेहनत करते हैं।

ऐसी स्थिति में श्रमिकों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। मेडीरेक्सीन जर्नल में प्रकाशित वैज्ञानिकों के शोध के अनुसार कोरोना से हो रहे मौतों में अहम भूमिका शरीर के प्रतिरोधी तंत्र की है। अगर व्यक्ति के प्रतिरोधक तंत्र दुरुस्त है तो मौत का खतरा कम है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि व्यक्ति की उम्र क्या है।

ब्रिटेन के एडिनबर्ग एवं अन्य विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने करुणा से संक्रमित हो कर मरे लोगों के शवों के गहन परीक्षण के दौरान यह नतीजा निकाला कि किसी व्यक्ति की संक्रमण से मौत उसके प्रतिरोधी तंत्र की क्षमता पर निर्भर करता है। शोधकर्ताओं ने मौत के तुरंत बाद 11 शवों की 37 अंगों एवं संरचनाओं की पड़ताल की जिनमें फेफड़े भी शामिल था।

अब तक माना जाता रहा है कि कोरोना के कारण शरीर के कई अंगों के उत्तकों में सूजन हो जाती है जिससे धीरे-धीरे अंग कार्य करना बंद कर देते हैं। इन शवों का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि उत्तकों में सूजन कोरोना रोगियों का मौत का कारण नहीं है। इससे सिर्फ कोरोना रोग की पुष्टि होती है। शोधकर्ताओं ने कहा कि वायरस की मौजूदगी के चलते शरीर के अंगों को कोई ऐसी क्षति नहीं पाई गई कि वह मौत का कारण बने।

यह भी साफ नहीं होता कि कोविड वायरस सीधे किसी अंग को क्षति पहुंचाता है। कोरोना संक्रमण को लेकर वैज्ञानिक का यह विचार पुख्ता होता है कि शरीर का प्रतिरोधक तंत्र अच्छा है तो इससे मौत का खतरा कम है। वैज्ञानिकों ने साफ शब्दों में कहा कि शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए व्यायाम एवं शारीरिक श्रम आवश्यक है। इसी तरह वैज्ञानिकों के एक अंतरराष्ट्रीय शोध दल का कहना है कि किसी ब्लड ग्रुप ‘ए’ या ‘ओ’ होने से उसमें वायरस का खतरा कम या अधिक नहीं होता है। इससे पहले यह माना जाता रहा था कि ब्लड ग्रुप के आधार पर वायरस का खतरा बढ़ता या कम होता है।

इस प्रकार ब्लड ग्रुप से कोरोना का खतरा तय नहीं किया जा सकता है। अमेरिका के नेशनल सेंटर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन में प्रकाशित अमेरिका,इजरायल, फ्रांस ब्रिटेन के कई शोध संस्थानों के वैज्ञानिक ने अपनी शोध रिपोर्ट में कहा है की ब्लड ग्रुप ए बी के कारण किसी मरीज का संक्रमण कम या अधिक नहीं हो सकता है। रक्त समूह और संक्रमण के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया है।

दरभंगा स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के प्रत्याशी रामनंदन सिंह ने कहा कि प्रतिरोधक क्षमता के लिए शारीरिक श्रम तो जरूरत है ही साथ-साथ पौष्टिक भोजन भी उतना ही आवश्यक है। अभी आर्थिक मंदी के दौर में लोगों को खासकर शारीरिक श्रम करने वाले लोगों को पौष्टिक भोजन नहीं मिल पाता है। सरकार के जन वितरण प्रणाली के तहत अनाज तो मिल जाता है पर पौष्टिक भोजन नहीं मिल पाता है। लोगों को अपने खाने में हरी साग सब्जियां और मौसम अनुरूप फल जैसे अमरूद केला इत्यादि का सेवन करना चाहिए।

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