भीषण बाढ़ की तबाही से लोग बेहाल।


बेगूसराय::-उत्तर बिहार में लगातार बाढ़ का खतरा बढ़ता ही जा रहा है और अभी तक गंगा के उत्तरी क्षेत्र के तकरीबन 12 जिले बाढ़ से तबाह हो रहे हैं। इन जिलों के 103 प्रखंड में 867 पंचायत बाढ़ के पानी से घिर गई है। जिले के 32 लाख की आबादी बाढ़ से पूरी तरह प्रभावित हो रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार कोरोना रोग के साथ ही बाढ़ ने 44 लोगों को ग्रास बना लिया है।

भारी बारिश और बाल्मीकि नगर बराज से गत दिन तीन लाख 60 हज़ार क्यूसेक पानी छोड़े जाने से इन क्षेत्रों में बाढ़ की विभीषिका बढ़ गई है। बिहार बाढ़ नियंत्रण विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार सीतामढ़ी के 14 प्रखंड, शिवहर के चार, सुपौल के 5, किशनगंज के 6, दरभंगा के 12, मधुबनी के चार, मुजफ्फरपुर के 12, गोपालगंज के 8, पूर्वी चंपारण के 15, पश्चिमी चंपारण के 9, खगड़िया के आठ, सारण के 7, समस्तीपुर के 5, प्रखंडों में बाढ़ का पानी भर रहा है।

अब तो बाढ़ ने अपना रौद्र रूप बेगूसराय जिले पर भी दिखाना शुरू कर दिया है। खासकर उत्तरी बेगूसराय के खोदावंदपुर और चेरियाबरियारपुर प्रखंड से होकर बहने वाली बूढ़ी गंडक नदी के तट बंधो पर पानी का दबाव बढ़ जाने के कारण बांध टूटने का खतरा बढ़ता जा रहा है। जानकारी के अनुसार पबरा गांव के अलावा मेहदाशाहपुर, विक्रमपुर, बसही, आकोपुर, मेघौल, (धर्मगाछी), मिर्जापुर, सागी के नजदीक भीषण जलधारा से भीषण कटाव से बांध में सुरंग हो जाने से पानी रिसने का समाचार आ रहा है।

इन कटाव स्थलों पर जिला प्रशासन की ओर से पूरी तरह से एहतियात बरती जा रही है लेकिन इसी तरह से पानी का दबाव बढ़ता रहा तो इन जगहों में बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है। आपदा प्रबंधन विभाग इन जगहों के कटाव स्थलों में सुरक्षात्मक कार्य युद्ध स्तर पर चला रहा है। सैकड़ो सालों से उत्तर बिहार में प्रति साल बाढ़ से तबाही होती है और नेपाल द्वारा अधिक मात्रा में जल छोड़े जाने के कारण बाढ़ का प्रकोप बढ़ता है।बाढ़ की रोकथाम के लिए भारत सरकार का नेपाल सरकार के साथ कोई कारगर समझौता अभी तक नहीं हो पाया जिससे उत्तरी बिहार में प्रत्येक साल भीषण बाढ़ आती है और बड़े पैमाने पर जानमाल की क्षति होती है। चूकि इस बार वर्षा अधिक हो रही है जिससे बाढ़ की विभीषिका विकराल है। 2003 में बिहार में बाढ़ से निजात दिलाने के लिए तत्कालीन बाजपेई सरकार ने ‘नदी जोड़ो’ योजना बनाई थी जिसके तरह उत्तर बिहार की सभी नदियों को दक्षिण बिहार की नदियों से जोड़ा जाना था। पर, अभी तक इस योजना पर अमल नहीं हो सका और योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। परिणाम यह है कि उत्तरी बिहार बाढ़ की त्रासदी झेल रहा है। एक तरफ बिहार के लोग कोरोना का कहर झेल रहे हैं तो दूसरी तरफ बाढ़ का दंश, ऐसी स्थिति में सरकार और जनता को मिलकर इस संकट से उबरने के लिए काम करना है।

दरभंगा स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के प्रत्याशी राम नंदन सिंह का कहना है कि बिहार एक तरफ कोरोना वायरस के संकट से तो दूसरी तरफ बाढ़ की विभाषिक से पस्त है। सरकार इन दोनों संकट के वावजूद विधान सभा का चुनाव करवाना चाहती है।
उन्होंने माँग की कि सरकार को अपना ध्यान और संसाधन बाढ़ रहत और कोरोना संकट से जनता को उबारने में लगाना चाहिए न कि विधान सभा चुनाव की तैयारी में।

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