विधायक बेटे के विरुद्ध पिता ने ठोकी चुनावी ताल,आखिर ये कैसी है चाल…?

भागलपुर के पीरपैंती विधानसभा सीट पर राजद विधायक रामविलास पासवान के विरुद्ध उनके पिता ने किया नामांकन

 

*बेटे के खिलाफ पिता की चुनावी ताल की खुलकर हो रही है चर्चा*

 

जेटीन्यूज़

भागलपुर : बिहार विधानसभा चुनाव में अलग-अलग नजारे देखने को मिल रहे हैं। इस बीच भागलपुर की पीरपैंती विधानसभा सीट पर पिता और पुत्र की वजह से खुलकर जोर-शोर से चर्चा हो रही है।

गौरतलब हो कि यहां दूसरे चरण में तीन नवंबर को मतदान होंगे, जिसको लेकर नामांकन का दौर शुक्रवार को ही खत्म हो चुका है। इसी कड़ी में राजद विधायक रामविलास पासवान के विरुद्ध उनके पिता उधाली पासवान ने भी नामांकन कर दिया है। पीरपैंती विधानसभा क्षेत्र से महागठबंधन की ओर से रामविलास पासवान राजद प्रत्याशी के रूप में किस्‍मत आजमा रहे हैं,जबकि उनके पिता उधाली पासवान ने भी हर बार की तरह पुत्र के साथ-साथ नामांकन किया है।

 

राजद विधायक हैं रामविलास पासवान

 

रामविलास पासवान राजद के विधायक हैं और 2015 विधानसभा चुनाव में भाजपा के ललन पासवान को 5144 मतों से शिकस्त देकर सदन में पहुंचे थे।पिछले चुनाव में राजद के रामविलास पासवान को 80,058 और भाजपा के ललन कुमार को 74,914 मत प्राप्त हुए थे।

 

बेटे ने हजारों समर्थकों के साथ किया है नामांकन और पिता ने…

 

निवर्तमान विधायक रामविलास पासवान जहां हजारों समर्थकों के साथ जयकारा लगाते हुए कहलगांव डीसीएलआर कार्यालय पहुंचे थे,वहीं उनके पिता अपने समर्थकों के साथ अलग जुलूस में सादगी के साथ पहुंचे थे और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पुत्र के विरुद्ध नामांकन का पर्चा दाखिल किया था। यही नहीं, बल्कि इस दौरान रामविलास पासवान के पिता वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को लेकर तय गाइडलाइन को फॉलो करते नजर आए और वे मुंह पर मास्क लगाए हुए थे। जबकि विधायक रामबिलास पासवान अपने समर्थकों के साथ बिना मास्क लगाये ही भ्रमण करते हुए नामांकन स्थल तक पहुंचे थे।

गौरतलब हो कि रामविलास पासवान और उनके पिता उधाली पासवान हरेक बार साथ-साथ नामांकन करते आए हैं और हर बार अंतिम दिन पिता (उधाली पासवान) अपना नामांकन पत्र वापस ले लेते हैं। जबकि इस बार पुत्र के विरुद्ध उनका अगला कदम क्या होगा, यह देखना वाकई दिलचस्प होगा। हालांकि इस समय बेटे के खिलाफ पिता की चुनावी ताल की पीरपैंती विधानसभा सीट पर जमकर चर्चा हो रही है। लोग यह जानने को वर्षों से उत्सुक हते हैं कि हर बार पुत्र के विरोध में पिता का नामांकन होना और फिर अंतिम समय में नामांकन वापस लेना आखिर राजनीति की यहकौन सी चाल है?

Website Editor :- Neha Kumari

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