नगर परिषद मधुबनी कार्यालय से संचिका गायब होने के मामले में दो कर्मचारियों कर कार्यबाई होना तय

 

जेटी न्यूज मधुबनी

नगर परिषद बोर्ड की हुई तीन बैठकों से सदस्यों के लगातार अनुपस्थित रहने के मामले में कई कर्मचारियों पर भी गाज गिरना तय माना जा रहा है। कर्मियों की ओर से बैठक की सूचना देने वाली पंजी और अन्य संचिकाओं को ही नप कार्यालय से गायब कर दिया गया है। खासकर इसमें नप के दो कर्मियों के ऊपर कार्रवाई की तलवार लटकती नजर आ रही है। संचिका गायब होने के मामले को विभाग ने गंभीरता से लिया है। विभाग के सचिव के आदेश पर डीएम ने सभी संबंधितों पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश ईओ को दिया है।

 

उपमुख्य पार्षद वारिस अंसारी ने बोर्ड की बैठक से अनुपस्थित रहने का मामला निर्वाचन आयोग के पास दर्ज कर उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग की है। उन्होंने वार्ड-22 की पार्षद शबनम आरा, वार्ड-28 के पार्षद खालिद अनवर और वार्ड नौ के पार्षद बेनजीर खालिद पर कार्रवाई किए जाने को लेकर निर्वाचन आयुक्त सहित सभी संबंधित अधिकारी को गत साल सितंबर माह में पत्र लिखकर मामला दर्ज कराया है। वहीं, इस मामले में संबंधित पार्षदों को अपना पक्ष देने के लिए निर्वाचन आयोग में तलब किया गया है। इन्हें 10 फरवरी को आयोग में भौतिक रूप से स्वयं अथवा अपने अधिवक्ता को भेज कर अपना स्पष्टीकरण दिए जाने का निर्देश दिया गया है। वहीं, वारिस अंसारी ने बताया कि शनिवार को इससे संबंधित पत्र प्राप्त हुआ है।

 

अनुपस्थित रहने के बावजूद बाेर्ड काे नहीं दी सूचना, अब 10 फरवरी को देना होगा जवाब

 

डीएम से मुकदमा वापस लेने की मांग की

 

शहरी क्षेत्र में पीएम आवास योजना के लाभार्थियों को लाभ दिलवाए जाने को लेकर गरीब-गुरबा अधिकार मंच के सदस्यों के ऊपर एफआईआर किए जाने को लेकर जिला सर्वोदय मंडल ने डीएम को आवेदन देकर मुकदमा वापस लिए जाने की मांग की है। मालूम हो कि बीते 18 जनवरी को गरीब-गुरबा अधिकार मंच के सदस्यों की ओर से कलेक्ट्रेट के मुख्य द्वार के सामने तकरीबन तीन वर्षों से लंबित आवास के भुगतान को लेकर प्रदर्शन किया था। इसी प्रदर्शन के आलोक में तैनात मजिस्ट्रेट की ओर से मंच के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद और सचिव विजय घनश्याम सहित 100 अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया था। हालांकि इसके लिए लगातार विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोगों की ओर से भी मुकदमा वापस लिए जाने की मांग की है। अब मामले में डीएम से हस्तक्षेप करने की अपील की गई है।

 

निर्वाचन आयोग ने संबंधित पार्षदों से मांगा है स्पष्टीकरण

 

इस मामले में निर्वाचन आयोग ने संबंधित पार्षद से स्पष्टीकरण पूछा था। इसमें उन्होंने नप द्वारा बोर्ड की बैठक की सूचना नहीं दिए जाने की बात कही है। इसके बाद विभाग ने ईओ को तलब कर इस संबंध में रिपोर्ट मांगी थी। ईओ ने विभाग से आने के बाद बोर्ड की बैठक की सूचना पार्षदों को दी जानी वाली पंजी को देखा तो उसमें से उस बैठक की सूचना पंजी गायब मिली है। इसके बाद इसकी सूचना विभाग को दी गई। इस पर विभाग ने सख्त एतराज जताया और कार्रवाई करने का आदेश दिया।

उपमुख्य पार्षद वारिस अंसारी ने बताया कि पिछले साल 24 फरवरी, 31 जुलाई और 31 अगस्त को हुई नप बोर्ड की बैठक में पार्षद उपस्थित नहीं हुए। जबकि इस दौरान अपनी अनुपस्थिति को लेकर बोर्ड को कोई सूचना भी नहीं दी गई और नहीं आने का कारण भी नहीं बताया गया। इनकी अनुपस्थिति के कारण बोर्ड की बैठक में इन वार्डों के विकास के संबंध में कोई चर्चा नहीं हो सकी। इससे योजना से संबंधित विकास संबंधी कार्य भी प्रभावित हुआ है। इसलिए प्रावधान के मुताबिक लगातार तीन बैठकों से अनुपस्थित रहने की स्थिति में पार्षदों को अयोग्य घोषित करने की कार्रवाई की मांग की गई है। बताया कि यदि कार्रवाई होती है तो इन वार्डो का प्रतिनिधित्व चेयरमैन के द्वारा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कार्रवाई होने से बैठक में बेवजह नहीं आने वाले पार्षदों के बीच एक कठोर संदेश जाएगा।

Website Editor :- Neha Kumari

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