प्रख्यात साहित्यकार डॉ0 राम देव झा को साहित्यकारो ने किया श्रद्धांजलि अर्पित

जेटी न्यूज मधुबनी

साहित्य अकादमी दिल्ली की पूर्व मैथिली प्रतिनिधि डा. वीणा ठाकुर ने प्रख्यात साहित्यकार डा. रामदेव झा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा है कि अकादमी में प्रतिनिधि रहे डा. के देहावसान से एक युग का अंत हो गया है। वे मैथिली के अद्वितीय विद्वान थे। उनके निधन से मैथिली भाषा-साहित्य को अपूरणीय क्षति हुई है जिसकी भरपाई निकटभविष्य में असंभव सा है। वे कुशल शिक्षक भी थे जिनसे आज भी छात्र-छात्राओं का विशाल समुदाय गौरव का अनुभव करता है। मैथिली में उनका अवदान अतुलनीय और अमूल्य निधि है। युगों-युगों तक उनका योगदान मैथिली भाषा-साहित्य के विकास-महल को स्तंभ की भांति मजबूती प्रदान करता रहेगा।

साहित्यिक-सांस्कृतिक विचार मंच ऋचालोक के महासचिव डा. अमलेन्दु शेखर पाठक ने संस्था के उपाध्यक्ष पद को गौरवान्वित करने वाले डा. रामदेव झा को श्रद्धा-सुमन समर्पित करते हुए कहा है कि उनके देहावसान से मैथिली के विभिन्न क्षेत्रों में एक रिक्ति और उदासी पसर गयी है। साहित्य अकादमी के मैथिली परामर्शमंडल सदस्य डा. पाठक ने कहा है कि एक सुलझे हुए भाषाविद् डा. झा अपने अनुसंधान के साथ ही मिथिला की सोंधी खुशबू से ओतप्रोत मैथिली की अपनी मौलिक कहानियों, उपन्यास, नाटक आदि के लिए सदा स्मरणीय रहेंगे। उनकी विद्वता का सानी नहीं था। उनके शिष्यों की विशाल श्रृंखला तो है ही उनके शिक्षक भी इस पर फख्र करते थे कि डा. रामदेव झा उनके छात्र रहे थे। अक्षर-साधक डा. झा मैथिली के विकास आंदोलन में भी अपनी प्रत्यक्ष -परोक्ष सहभागिता देते रहे और उन्हें समर्पित अभिनंदन ग्रंथ ‘सव्यसाची’ नाम को सार्थक करते रहे।

साहित्यिक-सामाजिक संस्था आनंद के डा. दिलीप कुमार झा ने शोक-संवेदना प्रकट करते हुए कहा है कि डा. रामदेव झा अपनी कृतियों में सदा अमर रहेंगे। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे और उनका अवदान हमेशा सभी का मार्गदर्शन करता रहेगा। मैथिली के सर्वांगीण विकास में अपनी भूमिका के लिए वे सदा याद किये जाते रहेंगे।

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