*जिला सचिव अपने आप को जिला सत्र न्यायाधीश एंव न्यायमूर्ति से कम नहीं समझते, इनके रवैया से वर्कर में फैल रहा आक्रोश। समाचार संपादक रमेश शंकर झा/राजेश कुमार वर्मा की रिपोर्ट, समस्तीपुर बिहार। सब पे नजर सबकी खबर।*

समाचार संपादक रमेश शंकर झा/ राजेश कुमार वर्मा की रिपोर्ट,
समस्तीपुर बिहार।

समस्तीपुर जिले के व्यवहार न्यायालय परिसर में अवस्थित जिला विधिक सेवा प्राधिकार के जिला सचिव की कार्यशैली एंव बातचीत के लहजे से आमजनों एंव कई अधिवक्ताओं के साथ साथ इसमें कार्यरत कर्मचारी एंव पारा भोलेंटियर वर्करों सहित कुछेक पत्रकारों में आक्रोश व्याप्त होता जा रहा है। बताया जाता है की इनके द्वारा पारा भोलेंटियर वर्करों के साथ आने बाले जनमानस सहित पत्रकारों के साथ अव्यवहारिक व्यवहार किया जाता हैं।रोजाना भत्ते के रुप में दिऐ जाने वाली राशि साल दर साल तक नहीं दिया जाता है।वर्तमान में कार्यरत वर्करों को भी तीन – चार महीने से किसी भी प्रकार की भुगतान नहीं दिया गया है।कई पुराने पीएलभी ने बताया की हमलोगों के बकाया दैनिक भुगतान राशि को करने का आदेश उच्चन्यायालय सहित बालसा एंव नालसा से भी हो चुका है।लेकिन बकाए राशि का भुगतान आजतक नहीं किया गया है।पत्रकारों को तो ऐ कहते है की जबसे आप पत्रकारिता करते है उससे पहले करके मैं छोड़ चुका हूं ।

कईक लोगों ने बताया कि इनका कहना है उच्चन्यायालय के न्यायाधीश जब हमारे साथ है तो तुमलोग क्या कर सकते हो।सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार पैनल अधिवक्ताओं को दी जानेवाली रोजाना भत्ते की राशि भुगतान करने में भी धांधली बरती जाती हैं।पत्रकारों को तो इनके द्वारा कार्यक्रम इत्यादि में बुलाए जाने पर पानी तक नसीब नहीं कराया जाता है।जबकि आगत अतिथि एंव प्रेस प्रतिनिधि के नाम पर अच्छा खासा खर्च अवश्य होता हैं। माननीय सर्वोच्च न्यायमूर्ति अगर जांच कराने का कष्ट करें तो जिला विधिक सेवा प्राधिकार में पदाधिकारियों द्वारा किए जा रहे जनमानस के साथ वर्ताव व कार्यशैली की सत्यता उजागर होगी।

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