चंपारण सत्याग्रह महज़ राजनीतिक आंदोलन नहीं: प्रो एन राजेंद्रन
मोतिहारी।पु0च0:- आज़ादी का अमृत महोत्सव के तत्वाधान में गांधी शोध केंद्र, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी में विशिष्ट व्याख्यानों का आयोजन हुआ। मुख्य अतिथि प्रो. एन., राजेंद्रन कुलपति अलगप्पा विश्वविद्यालय, तामिलनाडु ने बताया कि स्वाधीनता आंदोलन में गांधी जी का प्रवेश वस्तुतः चंपारण से शुरू होता है। गांधी जी ने चंपारण सत्याग्रह के माध्यम से निर्बल वर्ग के लोगों और महिलाओं को आज़ादी की लड़ाई से जोड़ा। उन्होंने बताया कि चंपारण सत्याग्रह को केवल एक राजनीतिक आंदोलन के रूप नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक आंदोलन और स्वच्छता के प्रति आग्रह के रूप में भी देखा जाना चाहिए।विशिष्ट वक्त भैरब लाल दास ने चंपारण सत्याग्रह के अनछुए पहलुओं पर बात की, मसलन गांधी के चंपारण आने से पहले यहां के रैयतों में निलहों के विरुद्ध जिस तरह हिंसक आंदोलन की पृष्ठभूमि बन रही थी। किस प्रकार निलहे प्रशासनिक मशीनरी से भी ज्यादा शक्तिशाली हो गए थे और रैयतों ने हिंसक विद्रोह के लिए सांकेतिक भाषा विकसित कर ली थी।
भैरब लाल ने लोक आख्यानों में गांधी की चर्चा करते हुए बताया कि तत्कालीन चंपारण जनमानस में गांधी का स्थान भगवान के बराबर था। कई लोकगीतों, विवाह गीतों में गांधी जी का विवरण दृष्टिगत है।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि जब हम चंपारण सत्याग्रह की बात करते हैं तो मात्र गांधी की चर्चा कर लेना पर्याप्त नहीं है। तमाम अज्ञात लोग जिन्होंने गांधी को चंपारण सत्याग्रह में सहयोग किया उन पर भी गंभीर चर्चाएं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह बौद्धिक वर्ग का दायित्व है कि अज्ञात को ज्ञात करें, उनके अवदानों को भी चिन्हित किया जाए।कार्यक्रम की शुरुआत में समाज विज्ञानपीठ के अधिष्ठाता प्रो राजीव कुमार ने अतिथियों का स्वागत किया।
विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो जी गोपाल रेड्डी ने विषय प्रवेश कराते हुए बताया कि चंपारण किस प्रकार राष्ट्रीय स्वाधीनता के आंदोलन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। कार्यक्रम का संचालन और धन्यवादज्ञापन गांधी शोध केंद्र के समन्वयक डॉ अम्बिकेश कुमार त्रिपाठी ने किया। इस अवसर पर प्रो पवनेश कुमार, प्रो संतोष त्रिपाठी, प्रो प्रणवीर सिंह, प्रो सुनील महावर, प्रो राजेन्द्र सिंह, प्रो शहाना मजुमदार, डॉ सरिता तिवारी, डॉ कैलाश प्रधान, डॉ जुगल किशोर दाधीच, डॉ नरेंद्र सिंह, डॉ अभय विक्रम सिंह, विश्वविद्यालय की जनसम्पर्क अधिकारी शेफालिका मिश्रा सहित अनेक शोधार्थी ऑनलाइन मध्य से कार्यक्रम में जुड़े रहे।
Edited By:- savita maurya