…इलाज में घोर लापरवाही के कारण हुई बंसल की पत्नी की मृत्यु : ….. प्रदीप कुमार नायक

** घनश्याम नेतृत्व टीम की मनमानी के चलते क्या श्री अग्रसेन इंटरनेशनल हॉस्पिटल चढ जाएगा बदहाली की भेंट
** समाज के लोगों ने समय रहते यदि नहीं लिया इस मामले को संज्ञान में तो यह धरोहर पड़ सकती है खटाई में ।
** समाज का आरोप है कि चंद लोगों को छोड़कर बाकी सभी हजारों ट्रस्टीयों एवं समाज के लिए जानलेवा महामारी में कर दिए हॉस्पिटल ने दरवाजे बंद
** ट्रस्टीयों का मानना है कि मैनेजमेंट की गैर जिम्मेदाराना हरकत से चली गई समाज के सैकड़ों लोगों की जान
** मरीज गेट पर तड़प तड़प के मरते रहे और घनश्याम टीम मैनेजमेंट ने नहीं उठाए बेबस ट्रस्टीयों के फोन
** मैनेजमेंट कुछ लोगों का सहारा लेकर बचाना चाहती है इस मुद्दे से अपनी जान लेकिन दानदाताओं के गले से नहीं उतर रही उनकी कोई भी बात
दिल्ली : घनश्याम नेतृत्व में उद्घाटित श्री अग्रसेन इंटरनेशनल हॉस्पिटल जो रोहिणी में स्थित है मैनेजमेंट ने जिसका विख्यात रूप से प्रचार भी किया जिसमें उद्घाटन के माध्यम से घनश्याम गुप्ता ने सभी ट्रस्टी यों के साथ उद्घाटन की फोटो खिंचवा कर उनके दिलों में स्थान बनाने की कोशिश की है और इस धरोहर की स्थापना से वो समाज सेवा के क्षेत्र में पूरी उत्तरी दिल्ली में अपना लोहा मानते हैं व समाज के बहुत से संगठनों में मुख्य रूप से शामिल हैं ये लोग कोरोना महामारी की जानलेवा लहर के दौरान अपनी गैर जिम्मेदाराना हरकत से अब समाज के अधिकांश लोगों की नजर में एक दोषी के रूप में संदेह के घेरे में आ चुके हैं । पिछले लगभग 40 दिनों से सोशल मीडिया पर पूरी तेजी से वायरल हो रहे घनश्याम नेतृत्व टीम द्वारा संचालित हॉस्पिटल से समाज के हजारों ट्रस्टी व लोग काफी हताश , निराश व भारी पीड़ित नजर आ रहे हैं जिन्होंने घनश्याम गुप्ता व उनकी टीम पर सीधा सीधा आरोप लगाया है कि मैनेजमेंट की गैर जिम्मेदाराना हरकत ने ट्रस्टीयों के परिजनों की जान ले ली है। हकीकत में पूरा मामला क्या है इसके बारे काफी लोगों की राय व उनकी सोशल मीडिया पर चल रही आपस की वार्ता से संवाददाता ने इस विषय की कुछ तह तक पहुंचने का प्रयास किया है जिसके द्वारा यह पता चला है कि अग्रवाल समाज के लगभग 6000 लोगों ने ट्रस्टी के रूप में भारी योगदान देकर श्री अग्रसेन इंटरनेशनल हॉस्पिटल का निर्माण करवाया है जो कि दिल्ली रोहिणी के सेक्टर 22 में स्थित है जिसमें काफी समय से घनश्याम नेतृत्व टीम का संचालन है जैसे कैसे करके इस टीम के द्वारा काफी मशक्कत के बाद हॉस्पिटल का पूर्व में उद्घाटन किया गया है लोगों का यह भी कहना है कि इस हॉस्पिटल की शुरुआत समाजसेवी राजनीतिज्ञ श्यामलाल गर्ग , राम अवतार गर्ग आदि कई लोगों के द्वारा की गई थी जिसमें घनश्याम गुप्ता भी शामिल रहे बाद में आपस की विभिन्न विचारधाराओं के मध्य नजर यह दो खेमों में बट गए ।

उद्घाटन के पश्चात मौजूदा ट्रस्टीयों में अब ये हौसला हो गया था की इस हॉस्पिटल के निर्माण के बाद अब उनकी जान-माल की रक्षा व उनका जीवन अधिकतर स्वस्थ रहेगा । लेकिन मार्च 2020 से पूरी दुनिया में कोरोना महामारी के कहर ने ने केवल अन्य हॉस्पिटलों की बल्कि श्री अग्रसेन इंटरनेशनल हॉस्पिटल की भी पोल खोल कर रख दी समाज के लोगों का कहना है की जिन लोगों ने लाखों करोड़ों रुपए देकर इस हॉस्पिटल का निर्माण करवाया , इस महामारी के दौरान जब उन्हें इलाज की जरूरत पड़ी तो जांच व कोरोना महामारी के नाम पर उनसे फिर लाखों रुपए की वसूली कर ली गई जबकि शुरूआती समय में इस महामारी में कोई ठोस इलाज किसी के पास नहीं था ।लेकिन महामारी से भयभीत लोग चुप रहे और इस ओर लोगों का कोई विशेष ध्यान नहीं गया । लोगों ने इसे हद तो तब माना जब अप्रैल 2021 में दोबारा से कोरोना महामारी जानलेवा बीमारी के रूप में पूरी तेजी के साथ दिल्ली के लोगों को परेशान कर दिया और लोगों में भारी भगदड़ मच गई इस आपात व भयावह स्थिति में जहां घनश्याम नेतृत्व टीम के द्वारा संचालित हॉस्पिटल लोगों की जान बचाने के काम आता वहीं पर घनश्याम टीम व हॉस्पिटल के डॉक्टर नर्स सिक्योरिटी गार्ड्स की मनमानी के चलते सैकड़ों लोगों की जाने चली गई लोगों को भारी असुविधाओं का सामना करना पड़ा ।

सी दौरान हॉस्पिटल के शुरुआती ट्रस्टी विश्व प्रसिद्ध समाजसेवी रोशन लाल बंसल से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि वो स्वयं और उनकी पत्नी 15 अप्रैल को कोरोना संक्रमित हुए तो उन्होंने हॉस्पिटल के कई मुख्य लोगों से लगातार कई दिनों तक हॉस्पिटल में बेड देने की अपील करते रहे आखिरकार उन्हें एक संदेश मिला कि अब उन्हें हॉस्पिटल में बेड दिया जाना है और उनके बच्चे अपनी मां नीलम बंसल को लेकर हॉस्पिटल के गेट पर पहुंचे जोकि बहुत ही सीरियस कंडीशन में थी लेकिन हॉस्पिटल के गार्ड्स ने गेट बंद करके उन्हें अंदर जाने से मना कर दिया वो हाथ पैर जोड़ते रहे चिल्लाते रहे कि उनका नंबर है पेशेंट को बहुत ज्यादा दिक्कत है एक बार दरवाजा खोल दो लेकिन किसी के भी कानों पर कोई असर नहीं हुआ और गार्ड्स कहते रहे कि मैनेजमेंट के ऊपर के मुख्य लोगों से बात कराएं तभी हॉस्पिटल में एंट्री होगी इसी दौरान नीलम बंसल ने गेट पर तड़प तड़प के दम तोड़ दिया और फिर हॉस्पिटल ने एक ड्रामा के अंदाज में तुरंत नीलम बंसल को अंदर ले जाकर बिना कोई एंट्री किए दिखावे के तौर पर ईसीजी जांच करके उसे मृत घोषित कर दिया और हॉस्पिटल से जाने के लिए बोल दिया । श्री बंसल ने कहा कि उनके बच्चे असमंजस हो गए कि उनके साथ यह कैसी घटना हो गई और अब उनके पास बहुत ही भयंकर स्थिति थी क्योंकि उनके पिता मैं रोशन लाल बंसल भी कोरोना संक्रमण की वजह से मेरा ऑक्सीजन लेबल घट रहा था कहीं ना कहीं इस दुर्घटना अर्थात दुखद घटना की वजह से वो मुझे अपने पिता को भी ना खो दें हॉस्पिटल से रोते चिल्लाते हुए अपनी मां के पार्थिव शरीर को लेकर बाहर आ गए और मुझसे मिलवाए बिना ही संस्कार कर दिया । समाजसेवी रोशन लाल बंसल का कहना है कि उनके साथ यह बहुत बड़ा धोखा हुआ है क्योंकि वो कई दिनों से अपनी धर्मपत्नी की गंभीर हालत को लेकर हॉस्पिटल में इलाज के लिए पुरजोर अपील कर रहे थे लेकिन जब तक हॉस्पिटल जाग पाता तब तक वो अपनी पत्नी को खो चुके थे श्री बंसल का कहना है कि वो ऐसे अकेले व्यक्ति नहीं है जिनके परिवार के किसी व्यक्ति ने हॉस्पिटल की लापरवाही के चलते अपनी जान गवाई है बल्कि ऐसे सैकड़ों बिलखते हुए परिवार हैं जो बड़ी उम्मीद के साथ हॉस्पिटल के गेट पर पहुंचे लेकिन कोई मदद ना मिलने की वजह से दौड़ते रहे और उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को हमेशा हमेशा के लिए खो दिया श्री बंसल का कहना है कि हो सकता है हम लोग अपनों की जिंदगियां बचा पाते नहीं बचा पाते लेकिन उनकी पीड़ा और उनके आरोप यह हैं की हॉस्पिटल मैनेजमेंट मौन होकर यह पूरे मामले को क्यों देखती रही लोगों के फौरन क्यों नहीं उठाए । उन्होंने क्यों लोगों की मदद नहीं की इससे इस पूरे दौर में मैनेजमेंट के मुख्य पदाधिकारियों की साजिश शायद पूरी प्लानिंग के तहत नजर आ रही है जिसकी जांच समाज के सामने जरुरी है हक्कीत में ये लोग समाजसेवक के चोले में एक अपराधी है हमारे परिवार के लोगों के हत्यारे हैं । जो लोग अभी भी इन कसूरवार लोगों की प्रशंसा का ढोल पीट रहे हैं मैं कहता हूं कि उनको शर्म आनी चाहिए हो सकता है तुम्हारे लोगों को वीआईपी ट्रीटमेंट के जरिए बचा लिया गया हो लेकिन जिन लोगों ने अपने परिजनों को खोया है तुम जैसे लोग उनकी मौतों पर अब इनके साथ तालियां बजाते और हंसते हुए नजर आते हैं भगवान आप सभी को सद्बुद्धि दे और आपके परिजनों को खुश व स्वस्थ रखें । अब समाज के लोगों का यह आरोप है की घनश्याम नेतृत्व टीम ने व उन्होंने स्वयं कुछ चंद लोगों को छोड़कर बाकी किसी के न तो फोन उठाएं न ही लोगों की मदद करने के लिए सामने आए और लोगों के हताश व नाराज होने के बावजूद भी मौन बनकर घर पर बैठे रहे । उनकी ओर से किसी प्रकार का संतुष्टि पूर्वक कोई जवाब ना मिलना लोगों के विरोध का मुख्य कारण बन गया ।अब दानदाता अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं और समाज के लोगों का कहना यह भी है कि मैनेजमेंट के द्वारा जो हॉस्पिटल निर्माण पर सैकडों करोड की लागत बताई जाती है क्या उससे केवल यह बहुमंजिला भवन ही तैयार किया गया है कहीं ना कहीं उसमें भारी घोटाले की संभावनाएं जताई जा रही हैं क्योंकि कहने को तो यह लोगों के दान से बना एक समाजिक हॉस्पिटल है जिसमें मरीजों की बहुत ही कम शुल्क पर सेवा व इलाज करने का मकसद था लेकिन आज यहां के शुल्क किसी बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल से भी कई जायदा महसूस किए जा रहे हैं ।

समाज के लोग चिल्ला चिल्ला कर मैनेजमेंट से पूछ रहे हैं कि क्या हॉस्पिटल के पास फिक्स डिपाजिट है और यदि है तो उनको लोगों की जिंदगियां बचाने के लिए प्रयोग क्यों नहीं किया गया केवल मात्र ऑक्सीजन व वेंटिलेटर बैड देने के नाम पर समाज के लोगों को लाखों रुपए के बिल क्यों थमा दिए गए । उनका मानना है की मैनेजमेंट के द्वारा निश्चित रूप से इसका संचालन ठीक नहीं है जिसके जरिए कोई न कोई भारी कमी रही है जिसकी वजह से आज लोगों को भारी परेशानी हो रही है और लोग इस हॉस्पिटल में अपना इलाज करवाने में असुरक्षित महसूस करने लगे हैं लोगों ने यह भी कहा है कि हम सभी महाराजा अग्रसेन की संतान जिसकी बदौलत पूरी दुनिया में उनके सिद्धांतों को लेकर लोगों की सेवा और उनकी रक्षा सुरक्षा करने का अग्रवाल समाज के द्वारा मुख्य भूमिका अदा की जाती है । क्या इस हॉस्पिटल के मुख्य संचालक कर्णधार महाराजा अग्रसेन जी के आदर्शों को भूल कर केवल अपनी मनमानी के चलते अंधकार में डूब गए हैं जिन की लापरवाही समाज के लोगों की जान जाने का कारण लगने लगी है । लोगों का मानना है कि यदि हॉस्पिटल की ओर से उन्हें मदद मिलती और समय रहते उनका उपचार हो जाता तो शायद जो लोग आज उन्हें छोड़ कर चले गए हैं वो इलाज के बाद उनके बीच में होते । समाज के लोग व ट्रस्टी यह भी पूछ रहे हैं की मैनेजमेंट के चंद कुछ लोगों ने पूरी व्यवस्था को क्यों बाधित किया जिसकी वजह से सिक्योरिटी गार्ड, डॉक्टर नर्स बार-बार ट्रस्टीयों को यह कहते रहे कि मैनेजमेंट के ऊपर के चंद लोगों से बात करिए या बात करवाइए उसी के बाद आप का इलाज आपको दवाई या एडमिशन दिया जाएगा । लोगों की मदद न करने के पीछे मैनेजमेंट के चंद लोगों का क्या मकसद रहा क्या उनके मंसूबे थे जिसकी वजह से आज पूरा अग्रवाल समाज की सेवा पर सवालिया निशान लग गया है और इन चंद लोगों की बदौलत समाज को इन्होंने कलंकित करने का प्रयास किया है । समाज के लोगों ने एक रिपोर्ट तैयार करके अब केंद्र सरकार, राज्य सरकार व सभी जांच एजेंसी से मांग करने का मन बना लिया है कि दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाए और पूरे हॉस्पिटल के निर्माण व संचालन की सीबीआई जांच हो ताकि भविष्य में ऐसे लोग सामाजिक धरोहरों को नुकसान पहुंचाते हुए अपनी जिम्मेदारियों का एहसास रखें और लोगों की निस्वार्थ भाव से सेवा व रक्षा करें । ट्रस्टीयों की यह भी मांग है की कोरोना महामारी के दौरान हॉस्पिटल ने कितने लोगों की मदद की कितने लोगों का इलाज किया और कितने लोगों को निशुल्क या कम शुल्क में चिकित्सा दी और इस समय में हॉस्पिटल के पास कितनी कलेक्शन आई । समाज के लोग इस हद तक नाराज हैं कि अब उन्होंने खुलकर इन मुख्य करणधारों का पूरा चिट्ठा तैयारी पर है ।

अब यह भी आरोप लगाए जा सकते हैं कि जब उन्होंने चुनाव के दौरान बड़ी-बड़ी बातें करके इस हॉस्पिटल को मेडिकल कॉलेज बनाने के बहुत से दावे किए थे लोगों की रक्षा करने और लोगों का मान बढ़ाने का आश्वासन दिया था तो फिर इसी टीम के प्रमुख लोगों ने एक दूसरा धार्मिक ट्रस्ट बनाकर और इस हॉस्पिटल को भूलकर क्यों करोड़ों रुपए इकट्ठे कर लिए जबकि यह हॉस्पिटल लोगों की सेवा में अभी सही तरह से संचालित भी नहीं हुआ था क्या यह लोग अपने नाम की चकाचौंद में इतने शुमार हो गए हैं कि इन्हें अब समाज का कोई डर नहीं है पाप और पुण्य में यह लोग कोई फर्क नहीं समझते भगवान को भी इन्होंने नजर अंदाज करते हुए केवल मात्र केवल अपने आप को दिल्ली का सर्वश्रेष्ठ सामाजिक नेता घोषित करवाने की होड़ लगी हुई है जिसके अंधकार में डूब कर इन्होंने इतना बड़ा अपराध कर दिया जिसका इन्हें एहसास भी नहीं है की इनकी इस लापरवाही की वजह से समाज के लोगों की जान जाती रही और यह बेसुध होकर अपने आशियाने में लोगों को गुमराह करने की योजनाएं तैयार करते रहे और समाज से प्रार्थना करने की बजाएं अपने चाहतों की मदद् से फिर से समाज को भ्रमित करने में लगे हैं । समाज के लोगों का कहना है कि अग्रवाल समाज, बेहतर कार्य करने वालों को जहां लगातार सम्मानित करता है उन्हें उच्च स्तर पर आदर देता है उनका मान बढ़ाता है लेकिन उन्हीं लोगों को किसी साजिश में शामिल होने के बाद जमीन दिखाने का भी कार्य करना जानता है उन्होंने कहा कि समाज की चुप्पी को कमजोरी ना समझा जाए ।जो लोग समाज के कसूरवार हैं उन लोगों को समाज किसी भी सूरत में माफ नहीं कर सकता । समाज के लोगों ने सभी दानदाताओं से अपील की है कि दान देना हमारी परम्परा है लेकिन उसका सही उपयोग हुआ है या नहीं इसकी जिम्मेदारी भी हमारी है आओ प्रयास करें कि समाज का धन सही दिशा व सही उद्देश्य के लिए खर्च हो ।

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