संयुक्त किसान मोर्चा के जिला संयोजक प्रभुराज नारायण राव ने कहा देश गंभीर चुनौतियों से संघर्ष कर रहा है।

संयुक्त किसान मोर्चा के जिला संयोजक प्रभुराज नारायण राव ने कहा देश गंभीर चुनौतियों से संघर्ष कर रहा है।
जे टी न्यूज़, बेतिया

मोदी शासन और आजादी। संयुक्त किसान मोर्चा , पश्चिम चम्पारण के जिला संयोजक प्रभुराज नारायण राव ने कहा कि आज देश गंभीर चुनौतियों से संघर्ष कर रहा है । देश की आजादी को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमृत महोत्सव के रूप में पूरे देश में मना रहे हैं । वही दूसरी तरफ भाजपाई फिल्म अभिनेत्री जो लगातार मोदी की प्रशंसा के पुल बांधे हुए आ रही है । उसे पद्मश्री पुरस्कार से नवाजने के अवसर पर राष्ट्रपति भवन दिल्ली में शासक वर्ग के सामने कहती है कि आजादी हमें भीख में मिली है । असली आजादी तो 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद मिली। ऐसे शब्द का इस्तेमाल करने वाली भाजपाई अभिनेत्री कंगना राणावत देश की आजादी के दौरान भगत सिंह , चंद्रशेखर आजाद , राम प्रसाद बिस्मिल , आशफाकउल्ला खान , राजगुरु, सुखदेव , खुदीराम बोस , शहीद ऊधम सिंह जैसे लाखों शहीदों के शहादत के बाद मिली आजादी को भीख में मिली आजादी बतलाती है । वल्लभ भाई पटेल की 3000 करोड़ की आदमकद प्रतिमा बनाकर देश को सच्चे आजादी दिलाने मैं गांधी से भी ज्यादा महत्वपूर्ण पटेल को मानने वाले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के राष्ट्रपति के सामने अभिनेत्री कंगना राणावत सबके कुर्बानी और उनके जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों को धत्ता देते हुए 2014 में आजादी मिलने की बात करती है और इस पर बगैर कोई कारवाई किए देश के शासक वर्ग के लोग पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित करते है ।

तो यहीं पर प्रश्न खड़ा होता है कि ,लाखों कुर्बानियों और देश के लिए न्योछावर होने वाले मंगल पाण्डेय , लक्ष्मी बाई , गांधी , पटेल , नेहरू , अंबेडकर , आजाद , सुभाष जैसे नेताओं के परिश्रम और संघर्ष भरे जीवन को नकारने वाले कंगना राणावत को आप देशद्रोही कैसे नहीं मानते । आप ने शहीदों की खून से ओतप्रोत उस राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए अयोग्य करार कर कंगना पर कारवाई क्यों नहीं की । आप महात्मा गांधी के पुण्यतिथि पर गॉडसे जिंदाबाद करने वाले और गांधी को गोली मारने वाले अभिनय की दृश्य को दर्शाने वाले लोगों पर कोई शख्त कारवाई क्यों नहीं करते । 6 बार माफी मांगकर ब्रिटिश सरकार से पेंशन पाने वाले को आप देशद्रोही क्यों नहीं मानते । लेकिन देश की वर्तमान परिस्थिति में सांप्रदायिक सद्भाव की बात करने वाले , जातीय उन्माद पर रोक लगाने की बात करने वाले , महंगाई , बेरोजगारी से निजात पाने के लिए आजादी की बात करने वाले युवकों को , एक साल से चल रहे किसान आंदोलन को आप राष्ट्रद्रोही कहने में तनिक भी देर नहीं करते ।

नरेन्द्र मोदी सरकार की यह सारी कारवाई देश की आजादी को नकारने का है , आजादी के लिए दी गई लाखों लोगों के शहादत को नकारने का है । साथ ही 1906 में बनी हिंदु महासभा या 1925 में बनी आर एस एस जिसका एकमात्र मकसद हिन्दू और मुसलमानों को बांट कर आजादी के आन्दोलन को कमजोर करना था । आज उसी देशद्रोही ताकतों के हाथ में देश का बागडोर है । जिसे संघर्ष के बलपर परास्त करना है ।

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