*क्या है रामानुजन पुरस्कार, जिसे पाकर भारतीय प्रोफेसर नीना गुप्ता ने बढ़ाया देश का मान?*

*क्या है रामानुजन पुरस्कार, जिसे पाकर भारतीय प्रोफेसर नीना गुप्ता ने बढ़ाया देश का मान?*

जेटी न्यूज

नई दिल्ली::- श्रीनिवास रामानुजन एक महान भारतीय गणितज्ञ थे। उन्होंने गणित के क्षेत्र में संख्या सिद्धांत, गणितीय विश्लेषण और अनंत श्रृंखला में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। एक अंग्रेज गणितज्ञ हार्डी ने उनके योगदान को पहचाना था।

हाल ही में इंडियन स्टैटिस्टकल इंस्टीट्यूट (ISI), कोलकाता में मैथ की प्रोफेसर नीना गुप्ता को गणित के क्षेत्र में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक रामानुजन पुरस्कार मिला है। इस पुरस्कार का पूरा टाइटल रामानुजम प्राइज फॉर यंग मैथमेटिशियन है। अलजेब्रिक जियोमेट्रो और कम्यूटेटिव अल्जेब्रा में शानदार कार्य के लिए नीना गुप्ता को ‘विकासशील देशों के युवा गणितज्ञों का 2021 DST-ICTP-IMU रामानुजन पुरस्कार’ दिया गया है।

प्रो. नीना गुप्ता यह सम्मान पाने वाली तीसरी महिला हैं। वहीं, अब तक चार भारतीयों को यह पुरस्कार मिल चुका है। मिनिस्ट्री ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, प्रो. नीना गुप्ता को यह पुरस्कार मिलने के बाद इंडियन स्टैटिस्टकल इंस्टीट्यूट (ISI) का मान बढ़ा है। कारण कि अब तक जिन चार भारतीयों को रामानुजन पुरस्कार मिला है, उनमें से तीन ISI के ही फैकल्टी मेंबर हैं।

*क्या है रामानुजन पुरस्कार?*

गणित के क्षेत्र में रामानुजम पुरस्कार की गिनती दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में होती है। गणित के प्रोफेसर सरयुग प्रसाद ने पत्रकारों को बताया कि यह पुरस्कार हर साल विकासशील देशो के युवा गणितज्ञों को दिया जाता है। उनकी उम्र 45 वर्ष से कम होनी चाहिए। यानी एक लाइन में कहा जाए तो 45 वर्ष से कम आयु के युवा गणितज्ञ को गणित के क्षेत्र में नई पहचान बनाने के लिए रामानुजन पुरस्कार दिया जाता है।

महान भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की स्मृति में वर्ष 2005 में इस पुरस्कार की शुरुआत हुई थी और तब से प्रतिवर्ष यह सि​लसिला चला आ रहा है। इसे इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरेटिकल फिजिक्स रामानुजन पुरस्कार भी कहा जाता है। यह पुरस्कार इटली में स्थित अंतर्राष्ट्रीय सैद्धांतिक भौतिकी केंद्र द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। इसके लिए फंड अल्बेल फंड के माध्यम से प्रदान किए जाते हैं।

*कौन थे श्रीनिवास रामानुजन?*

श्रीनिवास रामानुजन एक महान भारतीय गणितज्ञ थे। रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर, 1887 को तमिलनाडु के इरोड गांव में हुआ था। उन्होंने गणित के क्षेत्र में संख्या सिद्धांत, गणितीय विश्लेषण और अनंत श्रृंखला में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। एक अंग्रेज गणितज्ञ हार्डी ने उनके योगदान को पहचाना।

हार्डी ने साल 1913 में रामानुजन को कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के लिए आमंत्रित किया। हालांकि, साल 1919 में हेपेटिक अमीबासिस ने रामानुजन को भारत लौटने के लिए मजबूर किया। बाद में वे टीबी से पीड़ित हो गए। भारत लौटने के बाद लंबी बीमारी के कारण 26 अप्रैल, 1920 को मात्र 32 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।

*पहले भी कई पुरस्कार पा चुकी हैं नीना गुप्ता*

प्रो नीना गुप्ता की जन्मभूमि और कर्मभूमि, दोनों कोलकाता ही है। यहीं जन्मी और यहीं पली-बढ़ींं प्रो नीना की स्कूलिंग खालसा हाई स्कूल से हुई। फिर उन्होंने बेथ्यून कॉलेज में मैथ ऑनर्स से बीएससी किया। फिर उन्होंने इंडियन स्टैटिस्टकल इंस्टीट्यूट (ISI) से ही गणित में मास्टर्स और फिर पीएचडी किया। वे यहीं फैकल्टी के तौर पर कार्यरत हैं।

नीना गुप्ता को साल 2019 में शांति स्वरूप भटनागर प्राइज फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी से भी सम्मानित किया जा चुका है। इससे पहले वर्ष 2014 में अलजेब्रिक जियोमेट्रो के फील्ड में जरिस्की कैंसिलेशन प्रोब्लम को सॉल्व करने के लिए भी उन्हें नेशनल साइंस एकेडमी की तरफ से यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड से नवाजा गया था।

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