बुलडोजर राज या सांप्रदायिक सरकार

बुलडोजर राज या सांप्रदायिक सरकार
आलेख : प्रभुराज नारायण राव

जे टी न्यूज़
भारतीय जनता पार्टी और आर एस एस संयुक्त रुप से इस देश के संविधान तथा जनतांत्रिक अधिकारों को समाप्त करने का मुहिम छेड़ रखा है । पिछले दिनों किसान विरोधी 3 कृषि कानून लाए गए और 13 महीने तक लगातार चले संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन ने उन तीनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वापस लेने को मजबूर कर दिया । मजदूर हितैषी संविधान सम्मत 44 श्रम कानूनों को मात्र 4 श्रम संहिता में बदल दिया । इस तरीके से मजदूर वर्ग को सरकार के हवाले छोड़ दिया है । आज फिर एक नई योजना लेकर संघ प्रचारक मोहन भागवत तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में हुकूमत चला रहे हैं । उनकी यह सोच की देश में अतिक्रमण करके बड़े पैमाने पर अल्पसंख्यक वर्ग के लोग गुजर बसर कर रहे हैं । उन्हें बुलडोजर चलाकर उजाड़ देना है। यह कार्य पिछले यूपी में विधानसभा चुनाव दोबारा जितने के बाद शुरू हुआ और दिल्ली सहित देश के हर राज्य में बुलडोजर चलाकर अतिक्रमणकारियों को हटाने की कार्रवाई हो रही है । यह बुलडोजर अल्पसंख्यकों पर कम बल्कि देश के दलित वर्ग तथा अति पिछड़े वर्ग के लोगों पर ज्यादा चलाया जा रहा है ।

बिहार के अंदर पोखर पर बसे दलित तथा अति पिछड़े लोगों को बुलडोजर चलाकर उजाड़ा जा रहा है । उनके वास के लिए कोई वैकल्पिक योजना सरकार के पास नहीं है । यह मुहिम आपातकाल के दौर में गुटनिरपेक्ष राष्ट्र के सम्मेलन के मौके पर देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी तथा उनके पुत्र संजय गांधी ने दिल्ली को खूबसूरत बनाने , उसका सौंदर्यीकरण करने के नाम पर सड़क के किनारे झोपड़ी बनाकर गुजर बसर कर रहे लाखो गरीबों को उजाड़ कर दिल्ली को खूबसूरत बनाने का काम किया गया था । आज उसकी पुनरावृति मोदी सरकार कर रही है ।लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि आज की मोदी सरकार का बुलडोजर अभियान दिखाने के लिए अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को उजाड़ने का प्रचार चल रहा है । लेकिन इस अभियान का शिकार सबसे गरीब शोषित , दलित वर्ग हो रहे है । हमें इसका मजबूती के साथ मुकाबला करना है । जिस देश का प्रधानमंत्री देश के 135 करोड़ लोगों के विकास की बात हर रोज करता है । वही देश के गरीब तबके को बुलडोजर से उजाड़ रहे हैं । जिनको घर के लिए जमीन नहीं है । उनके लिए कोई व्यवस्था करने के बजाए उन लोगों को बेघर बना देना और भूखों मरने के लिए विवश कर देना इनका एक मात्र लक्ष्य है । आज हमें वामपंथ तथा देश के दूसरे प्रगतिशील , धर्मनिरपेक्ष ताकतों को गोल बंद कर एक बड़ी लड़ाई छेड़ने के लिए आगे बढ़ना है । इसके लिए संगठन को और मजबूत बनाना तथा बड़े पैमाने पर गरीब दलित एवं अल्पसंख्यकों को सड़क पर उतारना होगा तभी इस भाजपा तथा आर एस एस के घृणित मंसूबों से निजात दिलाया जा सकता है । दिल्ली के जहांगीरपुरी में गरीबों के मकानों को बुलडोजर से गिराने की मुहिम को माकपा की पोलित ब्यूरो के सदस्य कामरेड वृंदा करात , का. राजीव कंवर आदि बुलडोजर के सामने खड़ा होकर मजबूती से सामना करते हुए बुलडोजर की गति को पीछे ढकेल दिया था । माकपा की 23 वीं पार्टी कांग्रेश ने यह ऐलान किया है कि इस सांप्रदायिक तथा फासीवादी शक्तियों को परास्त करने के लिए , संघर्ष को मजबूत आधार दिलाने के लिए , गांव गांव में संगठन को मजबूत बनाया जाए और लड़ाई को मजबूती के साथ छेड़ा जाए ।

आज मंगाई चरम सीमा पर पहुंच गई है । बेरोजगारों की लंबी कतार स्पष्ट रूप से दिख रही है । शिक्षा का निजीकरण के चलते भारी संख्या में बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं । खाने का संकट बढ़ गया है । खेती घाटे की बन गई है । बटाईदार भी आज खेती करने को तैयार नहीं है । सभी तरह के अनुदानों को समाप्त किया जा रहा है और देश के प्रधानमंत्री ने एम एस पी के लिए किसानों की प्रतिनिधत्व वाली कमिटी बनाने का वादा किया था । लेकिन अभी तक नहीं बन पाया है । मोदी सरकार से मुकाबला के लिए एक मात्र रास्ता एक मजबूत संघर्ष खड़ा करना है । इसी रोशनी में 7 अगस्त को बिहार में वामपंथी दल तथा महागठबंधन संयुक्त रुप से बिहार के सभी जिलों में इन्हीं मुद्दों को लेकर मार्च निकालेंगे और इस जन विरोधी सरकार के विरुद्ध संघर्ष के लिए जनता को गोलबंद करेंगे ।

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